राजस्थान के प्रमुख राजवंश, अग्निकुण्ड राजवंश, ब्राह्मण राजवंश, सूर्य राजवंश, चन्द्रवंशी राजवंश, rajasthan ke pramuk rajvansh, agnikund rajvansh, brahman rajvansh, surya rajvansh, chandravanshi rajvansh

राजस्थान के प्रमुख राजवंश, rajasthan ke pramukh rajvansh :-

राजस्थान के राजवंश
अग्निकुण्ड के राजवंश

राजस्थान के राजवंश राजपूतों की उत्पत्ति | सम्राट हर्षवर्धन के मृत्यूपरान्त भारत में नये राजस्थान के राजवंश का उदय हुआ , जिसमें सांभर में चौहान , बुंदेलखण्ड में चन्देल , गुजरात में चालुक्य ( सोलंकी ) , बंगाल में पाल वंश व तत्पश्चात सेनवंश प्रमुख उपस्थित हैं , ये सभी राजपूत कहलाये

–  तथा 7वींसे 12वीं शताब्दी तक का काल भारतीय इतिहास में राजपूत काल ‘ कहलाता हैं।

–   ‘ राजपूत ‘ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘ राजपुत्र ‘ से हुई है ।

–   जिसका प्रयोग प्राचीनकाल में शासक वर्ग के लिए होता था लेकिन उदय बाद में इसका प्रयोग जाति यावंश विशेष के लिए होने लगा था।

–   गुजरात – राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में भिन्न – भिन्न मत प्रचलित हैं निम्न

 ( 1 ) वैदिक क्षत्रियों की सन्तान मनुस्मृति में क्षत्रियों की उत्पत्ति ब्रह्मा ‘ सेतथा ऋग्वेद में ब्रह्मा की बाँहों से मानी गई है

–  जिनका कार्य निर्बलों की रक्षा बताया गया है ।

–    श्री गौरीशंकर हीराचंद ओझा व श्री सी.एम.वैद्य  नेराजपूतों को ‘ वैदिक आर्यों की सन्तान बताया है ।

राजस्थान की जनगणना – 2011(rajasthan ki janganna-2011) – सर्वाधिक(sarvadhik), न्यूनतम जनसंख्या(nivantam jansakhiya), सर्वाधिक, न्यूनतम वृद्धि दर

अग्निकुण्ड से उत्पत्ति, agnikund se utapti :-

–   चन्द्रबरदाई कृत पृथ्वीराज रासो ‘ के अनुसार वशिष्ठ मुनि ने आबू के यज्ञकुण्ड से परमार , चालुक्य , प्रतिहार तथा चौहान योद्धाओं को यज्ञ की रक्षा हेतु उत्पन्न किया गया था।

ब्राह्मणों से उत्पत्ति, agnikund se utapti :-

डॉ . भण्डारकर ने राजपूतों की उत्पत्ति किसी विदेशी ब्राह्मण वंश से बताई है । प्राचीन ग्रंथ ‘ पिंगल सूत्र में भी राजपूतों की उत्पत्ति ब्राह्मणों से मानी जाती है ।

–   डॉ . गोपीनाथ शर्मा ने मेवाड़ के गुहिलोतों को नागर ब्राह्मण गुहेदत्त का वंशज बताते हुए इस मतका समर्थन किया था इस बात का इतिहासकार जी . एच . ओझा ने खण्डन किया था 

राजस्थान में औद्योगिक विकास(rajasthan me odhogik vikas)

सूर्य व चन्द्रवंशी, surya or chandravanshi :-

–       10 वीं शताब्दी में चारण साहित्यकारों तथा तत्पश्चात् चित्तौड़ के शिलालेख ( 1274 ई. ) व अंकलेश्वर के शिलालेख ( 1285 ई . ) में राजपूतों को सूर्यवंशी वचंद्रवंशी माना गया है।     –     ० आबू में तेजपाल मंदिर के शिलालेख ( 1230 ई. ) में राजा धूमपाल को व हर्षनाथ मंदिर ( सीकर ) से प्राप्त शिलालेख में चौहानों को सूर्यवंशी बताया गया है ।


राजस्थान में सहकारिता आंदोलन (rajasthan me sahakarita aandolan)

पाश्चात्य विद्वानों का मत, paschaty vidhvano ka mat :-

–  कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार राजपूत विदेशी जातियों शक अथवा सिथियन के वंशज  हैं

–       वी . ए . स्मिथने राजपूतों को हूणों की संतान ‘ कहाँ  है 

– कर्नल जेम्स टॉड ने अग्निकुण्ड से उत्पत्तिकी कहानी को स्वीकार करते हुए बताया कि जब विदेशी आक्रमणकारी शासक बन गये तोउन्हें अग्नि संस्कार द्वारा पवित्र कर जाति व्यवस्था के अन्तर्गत अपने जाति लिया गया ।

–        पाश्चात्यविद्वान विलियम क्रुक के अनुसार राजपूतों के कई वंशों का उद्भव ‘ शक ‘व ‘कुषाण’ आक्रमण के समय हुआ था।


राजस्थान में कांच उद्योग, कागज उद्योग, सीमेंट उद्योग (rajasthan me kanch uddhog, kagaj, cement uddhog)

 चट्टोपाध्याय का मत ( मिश्रित मूल का सिद्धान्त), chattopadhayahi ka mat, missrit mul ka sidhant :-

–      सर्वाधिक मान्यइस मत के समर्थक डी . पी . चट्टोपाध्याय के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में कुछ भी कहना कठिन है लेकिन फिर भी राजपूतों की उत्पत्ति वैदिक कालीन क्षत्रियों से मानना सर्वाधिक संगत एवं उपयुक्त है ।

1.राजस्थान के प्रमुख उद्योग (rajasthan ke parmuk uddog) :- सूती वस्त्र उद्योग(suti vastra uddog), चीनी उद्योग(chini uddog), ऊन उद्योग(uhun uddog)


2.राजस्थान के उद्योग(rajasthan ke uddhog) – विभाग(vibhag), निगम(nigam), कंपनी(campani)


3.राजस्थान में ऊर्जा संसाधन – पवन ऊर्जा (pawan urja), अक्षय ऊर्जा (akshay urja), सौर ऊर्जा (soar urja)(rajasthan me urja sansadhan)


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