कंप्यूटर की पीढ़िया (computer ki pidhiya)

कंप्यूटर की पीढ़िया (computer ki pidhiya)

कंप्यूटर की पीढ़िया
कंप्यूटर की पीढ़िया

प्रथम पीढ़ी (partham pidhi)(1942 – 1956)

पहली कंप्यूटर की पीढ़िया के कंप्यूटर में मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में वैक्यूम ट्यूबों एवं डेटा भंडारण के लिए चुंबकीय ड्रम का इस्तेमाल किया गया । उनका आकार काफी बड़ा था यहां तक कि उन्हें रखने के लिए एक पूर्ण कक्ष की आवश्यकता होती थी । वे बहुत महंगे थे , गर्मी का उत्सर्जन अत्यधिक था , जिसकी वजह से उन्हें ठंडा करना बहुत आवश्यक होता था और साथ ही उनका रखरखाव भी बहुत कठिन काम था । पहली पीढ़ी के कंप्यूटर को ऑपरेट करने के लिए मशीन भाषा का इस्तेमाल इसकी प्रोग्रामिंग भाषा के रूप में किया जाता था । पहली पीढ़ी के कंप्यूटर को इनपुट पंच्ड कार्ड और कागज टेप द्वारा दिया जाता था | पहली पीढ़ी के कंप्यूटर एक समय में एक ही समस्या को हल करने में सक्षम थे ।

1.हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर, सिस्टम सॉफ्टवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम, विडाजत, यूटिलिटीज (hardware or software, system software, operating system, Windows OS, utilities)

दूसरी पीढ़ी (dusari pidhi)( 1956 – 1965 )

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया था ।

ट्रांजिस्टर कुशल , तेज , कम बिजली की खपत और पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में अधिक सस्ते और विश्वसनीय थे । हालांकि , वे अत्यधिक गर्मी का उत्पादन किया करते थे , लेकिन और अधिक विश्वसनीय भी थे । इस पीढ़ी में , चुंबकीय कोर प्राईमरी मेमोरी और चुंबकीय टेप एवं चुंबकीय डिस्क सेकण्डरी भंडारण ( स्टोरेज ) उपकरणों के रूप में इस्तेमाल किया गया था । कोबोल और फोरट्रान के रूप में उच्च स्तरीय कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाएँ इस पीढ़ी में शुरू कि गई थी ।

1.कंप्यूटर से परिचय, कंप्यूटर की पीढ़िया (computer se prichaya, computer ki pidhiya)

तीसरी पीढ़ी (tisari pidhi)( 1965 – 1975 )

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर के स्थान पर इंटीग्रेटेड सर्किट ( आई . सी . ) का इस्तेमाल किया गया था

एक एकल आईसी ट्रांजिस्टर , प्रतिरोधों और कैपेसिटर की एक बड़ी संख्या को एक साथ संगठित कर के रख सकता है

जिसके कारण कंप्यूटर के आकार को और अधिक छोटा बनाया जा सकता था ।

इस पीढ़ी के कंप्यूटरों द्वारा इनपुट आउटपुट के लिए कीबोर्ड और मॉनिटर का इस्तेमाल किया गया था । ऑपरेटिंग सिस्टम की अवधारणा को भी ईसी समय पेश किया गया था । इस पीढ़ी में , समय साझा ( टाइम शेयरिंग ) और बहु प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम ( मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम ) की अवधारणा को पेश किया गया था ।

कई नई उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं की शुरुआत इस पीढ़ी में हुई , जैसे – फोरट्रान , IV , पास्कल , बेसिक इत्यादि ।


2.एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, वेब ब्राउज़र के नाम, डिवाइस ड्राइवर (application software, web browser ke name, device driver)

चतुर्थ पीढ़ी (chaturtha pidhi)( 1975 – 1988 )

इस पीढ़ी में माइक्रोप्रोसेसर की शुरुआत हुई जिनमे हजारों आईसी एक एकल चिप एक सिलिकॉन चिप पर निर्मित की जा । सकती थी . इस पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत बड़े पैमाने पर एकीकृत सर्किट ( वीएलएसआई ) तकनीक का इस्तेमाल किया करते थे । वर्ष 1971 में इंटेल 4004 चिप विकसित किया गया था , इसमें एक एकल चिप पर एक कंप्यूटर के सभी घटक ( कंपोनेंट ) स्थित होते थे । इस प्रयोग की वज़ह से छोटे आकार के कंप्यूटर ने जन्म लिया जिसे डेस्कटॉप कंप्यूटर या पर्सनल कंप्यूटर का नाम दिया गया । इस पीढ़ी में , समय के बंटवारे ( टाइम शेयरिंग ) की अवधारणा , वास्तविक समय प्रसंस्करण ( रियल टाइम प्रोसेसिंग ) , डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था और साथ ही नयी उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे C , C + + , डेटाबेस को इस पीढ़ी में इस्तेमाल किया गया था ।


1.वीर कल्लाजी, कल्ला राठौड़, हड़बू जी (veer kallaji, kalla rathor, harabu ji)

पंचम पीढ़ी (pancham pidhi)( 1988 से अब तक )

पांचवीं पीढ़ी के रूप में एक नई तकनीक उभर कर आई जिसे ULSI ( अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन अंतर्गत माइक्रोप्रोसेसर चिप में 10 लाख तक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक शामिल किया जा सकता था । इस पीढी में कवि बदि ( आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस ) की अवधारणा , वोइस रिकग्निशन , मोबाईल संचार , सेटेलाई संचार , सिग्नल डाटा प्रोसोसिंग को आरम्भ किया गया । उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे JAVA , VB और . NET की शुरुआत इस पीढी में कंप्यूटर मशीनों के विकास के क्षेत्र में प्रगति के कारण कंप्यूटर व्यापक व उपयोगी हो गया है

और हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा रहा है ।

नियमित रूप से चल रहे अनुसंधान और विकास के साथ यह निश्चित है

की हम समय गुजरने के साथ में नएनएनवाचारो का अनुभव करते रहेंगे ।

1.राजस्थान के लोकवदेता, रामदेवजी (rajasthan ke lockvadevta, ramdevji)


2.राजस्थान में कला एवं संस्कृति (rajasthan me kala avm sanskarti)


3.अब्दुल कलाम फारसी संस्थान, रवीन्द्र रंगमंच, जयपुर कत्थक केन्द्र, गुरुनानक संस्थान (abdul kalam farasy sansthan, ravindra ragmanch, jaipur katthak kendra, gurunanak sansthan)


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