राजस्थान की लोक देवियां, करणी माता, राव शेखाजी, करणी के वंशज (rajasthan ki deviya, karni mata, rav shekhaji, karni ke vanshaj)

राजस्थान की लोक देवि करणी माता (rajasthan ki devi karni mata)

 करणी माता
करणी माता

करणी माता इनके बचपन का नाम ‘ रिदु बाई था । बाल्यकाल में ही कई चमत्कार दिखलाने से रिदु बाई ‘ करणी ‘ कहलाती हैं । करणीजी का विवाह साठीका ( बीकानेर ) के देपाजी बीटू के साथ हुआ था। इनके वंशज देपावत ‘ कहलाते हैं । एक जनश्रुति के अनुसार एक बार जब करणी जी का पुत्र लाख कोलायत सरोवर में नहाते समय डूबकर मर गया तो करणीजी ने यमराज का आह्वान करके उससे पुत्र को पुनः जीवित करने का आग्रह किया ।

यमराज के न मानने पर करणीजी ने अपनी चमत्कारिक शक्ति से पुत्र को जीवित किया तथा

यमराज से कहा कि आज के बाद मेरा कोई भी वंशज तुम्हारे पास नहीं आयेगा । देशनोक में आज भी यह मान्यता है

1.कैला देवी, आई माता (kela devi, aai mata)

करणी के वंशज (karni ke vanshaj)

देयावत की मृत्यु होने पर वह काबा (चूहा) बनता है ।

देशनोक स्थितकरणी माता मन्दिर में आज भी सैकड़ों चूहे दौड़ते रहते है ।

इसी कारण करणीजी ‘ चूहों वाली देवी ‘ ( The Goddess with Mice ) कहलाई ।इन चूहों में सफेद चूहे को करणीजी का रूप माना जाता है । इसका दर्शन करना शुभ माना जाता है । यहाँ पर चूहों को ‘ काबा ‘ कहा जाता है । ( काब वाली करनला ) । करणी माता का मन्दिर मढ़ ‘ कहलाता है । इनका मूल मन्दिर ( मढ़ ) देशनोक ( बीकानेर ) में है ।

इसके अलावा सुआप एवं मथानिया ( जोधपुर ) , अलवर एवं उदयपुर में इनके प्रसिद्ध मन्दिर है ।

करणीमाता बीकानेर के राठौड़ राजवंश के शासकों की कुलदेवी है । तथा ऐसा माना जाता है

कि जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग की नींव भी करणी माता के आशीर्वाद से राव जोधा द्वारा लगाई गई थी ।

1.जाट राजवंश, महाराजा सूरजमल, मुस्लिम राजवंश (jat rajvansh, maharaja surajamal, musilam rajvansh)

राव शेखाजी (rav shekhaji)

इन्होंने मुल्तान की कैद से छुड़ाया तथा उनकी पुत्री का विवाह बीकाजी के साथ करवाया ।

चैत्र एवं अश्विन नवरात्रों में देशनोक में विशाल मेले का आयोजन होता है

जहाँ देश के कोने – कोने से लाखों लोग दशनार्थ आते हैं ।

यूँ तो करणीजी राजस्थान के जन – जन की लोकदेवी हैं फिर भी चारण , शेखावत एवं राठौड़ राजपूत , वणिक वर्ग एवं खाती लोग करणी माता में विशेष आस्था रखते हैं । ऐसा माना जाता है कि देशनोक को करणीजी द्वारा बसाया गया था । करणी जी को आवड़ जी (तेमड़राय) का अवतार माना जाता है । देशनोक से एक किमी दूर नेहड़ी जी नामक स्थान है , जहाँ करणीजी अपनी गायों के साथ सर्वप्रथम आकर रही थी । एक जनश्रुति के अनुसार यहाँ के अत्याचारी शासक राव कान्हा का वध करके करणीजी ने रिड़मल को यहाँ का राज दिलाया था ।

1.भाटी राजवंश, यादव राजवंश (bhati rajvansh, yadav rajvansh)


2.सवाई जयसिंह-दितीय, औरंगजेब (savai jaisingh-ditiya, oragjeb)


3.सवाई ईश्वरीसिंह, सवाई माधोसिंह प्रथम, सवाई प्रतापसिंह (savai esvarisingh, savai madhosingh partham, savai partapsingh)


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