कुम्भलगढ़ दुर्ग (kumbhalagadh durg)
( वर्तमान राजसमंद जिले में ) किला गिरिदुर्ग का एक अच्छा उदाहरण है । मेवाड़ और मारवाड़ की सीमा पर बने
कुम्भलगढ़ दुर्ग के किले का निर्माण मेवाड़ के यशस्वी शासक राणा कुम्भा ने करवाया था । यह निर्माण कुम्भा के प्रमुख शिल्पी और वास्तुशास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान शिल्पी मंडन की योजना और देखरेख में किया गया था । पर्वतमालाओं की गोद में बना कुम्भलगढ़ सही अर्थों में एक प्राकृतिक दुर्ग ‘ है । कई मील लम्बी विशाल और उन्नत प्राचीर जिस पर तीन चार घुड़सवार एक साथ चल सकें , प्राचीर के मध्य आनुपातिक दूरी पर बनी विशाल बुर्जे , ऊँचे और अवरोधक प्रवेश द्वार कुम्भलगढ़ के किले को दुर्भेद्य स्वरूप प्रदान करते हैं ।
कर्नल जेम्स टॉड ने इस दुर्ग की तुलना ( सुदृढ़ प्राचीर , बुर्जा एवं कंगूरों के कारण ) एटुक्सन से की है ।
इतिहासकार रायबहादुर हरबिलास शारदा ने इस किले को ‘ कुम्भा की सैनिक मेघा का प्रतीक बताया है ।
इस किले की ऊँचाई के बारे में अबुल फजल ने लिखा है
कि यह इतनी बुलन्दी पर बना हुआ है कि नीचे से ऊपर की ओर देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है । ‘ राजस्थान के गिरि दुर्गों में प्रमुख तथा हम्मीर की आन – बान का प्रतीक रणथम्भौर ( वर्तमान सवाईमाधोपुर जिले में स्थित ) अरावली पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा एक विकट दुर्ग है ।
1.राजस्थान के जल दुर्ग, गागरोण दुर्ग, गिरि दुर्ग (rajasthan ke jal durg, gaagaron durg, giree durg)
2.जालौर का दुर्ग, आबू का अचलगढ़ दुर्ग (jaalor ka durg, aabu ka achalagadh durg)
अरावली पर्वत श्रृंखला (araavalee parvat shrankhala)
बीहड़ वन और दम घाटियों के मध्य अवस्थित यह दुर्ग बीते जमाने में भारत के गिरि दुर्गों में श्रेष्ठ माना जाता था । इस दुर्ग के स्थापत्य की विलक्षण बात यह है कि इसमें गिरि दुर्ग और वन दुर्ग दोनों की विशेषताएँ विद्यमान हैं ।
रणथम्भौर की सदढ नैसर्गिक सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर अबुल फजल ने लिखा है
कि अन्य सब दुर्ग नगे है जबकि यह दर्ग बख्तरबंद है ।
गिरि दुगों में सिवाणा के किले ( वर्तमान में बाड़मेर जिले में स्थित ) का अपना महत्व है ।
यह किला जातीर से लगभग 30 मील दूर छप्पन के पर्वतों के मध्य अवस्थित है ।
सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाणा के किले पर आक्रमण किया था ।
दुर्ग की रक्षा का कोई उपाय न देख दुर्ग की ललनाओं ने जौहर का अनुष्ठान किया तथा वीर सातल सहित उसके सुभट सामन्त केसरिया वस्त्र धारण कर शत्रु सेना पर टूट पड़े तथा वीरगति को प्राप्त हुए ।
सिवाणा के साथ सातल – सोम और राठौड़ वीर कल्ला रायमलोत की शौर्य गाथाएँ जुड़ी हुई हैं ।
सिवाणा का किला ‘ संकटकाल में मारवाड़ ( जोधपुर ) के राजाओं का शरण स्थल रहा है ।
1.जयगढ़ दुर्ग, निराला दुर्ग (jayagadh durg, niraala durg)
3.पॉइंटिंग डिवाइस, टच – पैड, ट्रेक पॉइंट, ट्रैकबॉल (pointing device, toch-pad, track point, trackball)