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महाराजा अभयसिंह, विजयसिंह, महाराजा मानसिंह (maharaja abhayasingh, vijayasingh, maharaja mansingh)

महाराजा अभयसिंह (maharaja abhayasingh)

महाराजा अभयसिंह
महाराजा अभयसिंह

अजीत सिंह के उत्तराधिकारी महाराजा अभयसिंह हुए जिनके शासनकाल में 1730 ई . में जोधपुर राज्य के खेजड़ली गाँव में अमृता देवी के नेतृत्व में वृक्षों की रक्षा हेतु 363 लोगों ने बलिदान दिया ।

यहाँ प्रतिवर्ष विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला लगता है ।

अभयसिंह के पश्चात उसका पुत्र रामसिंह गद्दी पर बैठा लेकिन वह निकम्मा व अयोग्य था

इस कारण सरदारों ने उसके विरुद्ध विद्रोह करके पितृहन्ता बख्तसिंह को गद्दी पर बैठाया ।

बख्तसिंह की हत्या जयपुर नरेश माधोसिंह ने करवा दी ।

1.राजस्थान के जलप्रपात (rajasthan ke jalprapat)


2.राजस्थान में खारे पानी की झीले (rajasthan me khare pani ki jeele)

विजयसिंह (vijayasingh)

बख्तसिंह की मृत्यु के पश्चात् 1752 ई . में उसका पुत्र विजयसिंह जोधपुर को गद्दी पर बैठाया ।

रामसिंह की कारगुजारियों से परेशान होकर 1786 ई . में नागों और दादू पंथियों की सेना तैयार कर ली लेकिन इस सेना के कारण सारे सरदार बिगड़ गये और इकड़े होकर विजयसिंह के विरुद्ध लड़ाई की घोषणा करवा दी । विजयसिंह ने उस समय तो किसी प्रकार सरदारों को मना लिया किन्तु बाद में उन्हें धोखे से कैद कर अधिकांश की हत्या करवा दी

– विजयसिंह ने अपने राज्य में कसाई व कलालों का धंधा पूरी तरह से बंद करवा दिया ।

विजयसिंह ने जाट जाति की गुलाब राय को अपनी पासवान ( उपपत्नी ) बना ली ।

जिसका शासन के कार्यों में काफी दखल था ।

गुलाबराय की हत्या होने पर दुखी होकर विजयसिंह भी मर गये ।

विजयसिंह ने 1780 ई . में चाँदी का सिक्का चलाया जो विजयशाही रुपए के नाम से जाना गया ।


1.राजस्थान कि झीले, बालसमंद झील जोधपुर, उदय सागर झील उदयपुर (rajasthan ki jeele, balsamnd jeel jodhpur, uday sagar jeel udayapur)

2.नकी झील (सिरोही) (naki jeel (sirohi)

महाराजा मानसिंह (maharaja mansingh) ( 1803 – 1818 ई . )

1803 ई . में जोधपुर के सिंहासन पर उत्तराधिकारी संघर्ष के पश्चात् भीमसिंह की मृत्यु के उपरांत महाराजा मानसिंह ने कब्जा किया । अपने संघर्ष काल में जालोर में मारवाड़ की सेना से घिरे मानसिंह को नाथ सम्प्रदाय के आयस देवनाथ ने जोधपुर के शासक बनने की भविष्यवाणी कर आशीर्वाद दिया ।

जालोर के किले में मानसिंह को आहोर के निकट स्थित कोटड़ा ठिकाणे के जागीरदार जुगतीदान वणसूर ( चारण ) ने हरसम्भव मदद की । राजगद्दी प्राप्त होने के पश्चात् महाराजा मानसिंह ने जुगतीदान वणसूर को ‘ लाखपसाव ‘ सहित पारलू गाँव ( बाड़मेर ) की जागीर प्रदान करके कोटड़ा ( आहोर , जालोर ) में कोट ( लघु दुर्ग ) , महलात एवं विभिन्न मन्दिरों ( जलंधर नाथ , शीलेश्वर महादेव , ठाकुरजी , करणीमाता इत्यादि ) का निर्माण करवाया ।

1.फतेहसागर झील उदयपुर, पुष्कर झील अजमेर (phatehasagar jeel udaypur, puskar jeel ajmer)


2.राजस्थान की मीठे पानी की झीले (rajasthan ki mithe pani ki jeele)


3.रेगिस्तान की अनेक पशु नस्लें – ऊंट, अश्व (घोड़े ), गधे, खच्चर, सुअर, कुक्कुट(मुर्गी)पालन (registan ki anek pashu nasle – unth, ashve(gode), gadhe, khachar, suar, kukkuta(murgi)palan)


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