संत रैदास ( संत रविदास ) (sant redas (sant ravidas)
रामानन्द के शिष्य संत रैदास चमार जाति के थे । मीरा बाई भी इनसे प्रभावित थीं । इसके प्रमाण स्वरूप चित्तौड़गढ़ दुर्ग के कुंभश्याम मन्दिर परिसर में इनकी छतरी स्थित है । इन्होंने ईश्वर के निर्गुण निराकार रूप का बखान किया । इनके उपदेश संत रैदास की परची कहलाते हैं ।
1.राजस्थान में संत एवं संप्रदाय, संत पीपाजी, संत धन्ना, गुरु अर्जुन, संत रजबजी (rajasthan me sant avm sampradaay, sant pipaji, sant dhanna, guru arjun, sant rajabaji)
प्राणनाथजी एवं परनामी ( प्रणामी ) सम्प्रदाय (prannathji avm parnami sampradaay)
महात्मा प्राणनाथ का जन्म गुजरात के जामनगर में हुआ था ।इन्होंने गुरु निजानंद से दीक्षा लेकर विभिन्न सम्प्रदायों के उत्कृष्ट मूल्यों एवं उपदेशों का समन्वय करके ‘ परनामी सम्प्रदाय का प्रारम्भ किया गया था। परनामी लोग कृष्ण के निर्गुण स्वरूप की पूजा करते हैं ।
प्राणनाथ जी के उपदेश ‘ कुजलम स्वरूप ‘ नामक गंध में संग्रहित हैं
जिसकी पूजा इनके अनुयायियों द्वारा की जाती है ।
परनामी सम्प्रदाय की प्रधान गद्दी पन्ना ( मध्यप्रदेश ) में उपस्थित है ।
जयपुर में परनामियों का एक विशाल मन्दिर राजापार्क में उपस्थित है ।
1.शिला देवी, शीतला माता (शील माता) (shila devi, shitala mata(shil mata)
संतदास जी एवं गुड़ सम्प्रदाय (santdas ji avm good sampradaay)
महात्मा संतदास जी द्वारा प्रवर्तित निर्गुण भक्तियुक्त सम्प्रदाय ‘ गदड़ सम्प्रदाय ‘ कहलाया थे
क्योंकि संतदास जी गदही से बने वस्त्र पहनते थे । इस सम्प्रदाय की प्रधान गद्दी दांतला ( भीलवाड़ा ) में है ।
स्वामी लाल गिरि एवं अलखिया (svami lal giri avm alakhiya)
संप्रदाय 10वीं शताब्दी के प्रारम्भ में चूरू जिले के सुलखिया ‘ गाँव में जन्मे स्वामी लालगिरी द्वारा ‘ अलख सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया गया । स्वामी जी के अनुसार ईश्वर निराकार – निर्गुण है । इस सम्प्रदाय की प्रधान पीठ बीकानेर में है ।
इनके अधिकांश अनुयायी राज्य के चूरू एवं बीकानेर जिलों में उपस्थित हैं ।
इस सम्प्रदाय का प्रमुख ग्रंथ ‘ अलख स्तुति प्रकाश ‘ है । गलता ( जयपुर ) में इनका समाधि है ।
1.मेहाजी, तल्लीनाथ जी (mehaji, tallinath ji)
संत नवलदास जी एवं नवल सम्प्रदाय (sant navaldas ji avm naval sampradaay)
नागौर जिले के हरसोलाव गाँव में जन्मे संत नवलदास जी ने नवल सम्प्रदाय ‘ का प्रवर्तन किया । इनका प्रमुख मन्दिर जोधपुर में है । इनके अनुयायी जोधपुर एवं नागौर जिले में मिलते हैं
1.मामाजी, देव बाबा, वीर बिग्गाजी (mamaji, dev baba, veer biggaji)
सुंदर दास जी (sundra das ji)
सुंदर दास जी का जन्म 1596 ई . में दौसा के एक खण्डेलवाल वैश्य परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम संत चोखोजी ( परमानंद ) व माता का नाम सती देवी था ।
इन्होंने दादूदयाल से दीक्षा लेकर दादूपंथ का प्रचार – प्रसार किया तथा कई रचनाएँ लिखी थी ।
इनके प्रमुख ग्रंथ सुन्दरविलास , सुन्दरसार , सुन्दर ग्रंथावली एवं ज्ञान समुद्र है ।
संत सुन्दर दास जी की मृत्यु सांगानेर में हुई थी।
इन्होन दादूपंथ में ‘ नागा ‘ मत का प्रवर्तन किया था।