कोटा के हाड़ा चौहान (kota ke hadha chohan)
सर्वप्रथम बूंदी के शासक जैत्रसिंह हाड़ा ने 1274 ई . में कोटिया भील को परास्त करके कोटा साम्राज्य को बूंदी में मिलाया । कोटा के हाड़ा चौहान के शासक राव रतनसिंह के पुत्र माधोसिंह द्वारा स्वतंत्र कोटा राज्य की स्थापना की गई ।
राव भावसिंह हाड़ा (rav bhavsingh hadha) ( 1658 – 1681 ई . )
राव शत्रुशाल के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र भावसिंह 1658 में बूंदी का शासक बना ।
भावसिंह के शासनकाल में बूंदी की चित्रकला चरमोत्कर्ष पर पहुँची ।
इसके बाद राव अनिरुद्ध हाड़ा ( 1681 – 1695 ईस्वी ) तथा राव राजा बुद्धसिंह ( 1693 – 1739 ईस्वी ) बूंदी के शासक बने । 1818 ई . में बूंदी के शासक विष्णुसिंह ने मराठों से सुरक्षा हेतु ईस्ट इण्डिया कम्पनी से संधि कर ली ।
राव माधोसिंह (rav madhosingh) ( 1634 – 1648 ई . )
माधोसिंह राव रतन का द्वितीय पुत्र था । इसका जन्म 1656 में बूंदी में हुआ था । वह अस्त्र – शस्त्र विद्या में पारंगत था और मुगल दरबार में उसका अच्छा सम्मान था । समय – समय पर सम्राट द्वारा उसके मनसब , खिलअत तथा जागीर में वृद्धि की गई । औरंगजेब भी माधोसिंह के युद्ध कौशल से प्रभावित था ।
माधोसिंह ने एक छोटा सा राज्य विरासत में प्राप्त किया था
जिसे अपने प्रयासों से बढ़ाकर उसने 43 परगनों में विभाजित कर दिया ।
राव मुकंदसिंह हाड़ा (rav mukandasingh hadha)(1648 1658 ई.)
माधोसिंह के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र राव मुकंदसिंह कोटा का शासक बना । उसने मुगलों के साथ दक्षिण , मालवा और चित्तौड़ के । युद्ध में भी भाग लिया ।
उत्तराधिकार के संघर्ष में वह धरमत के युद्ध में औरंगजेब के विरुद्ध लड़ा ।
1.सवाई जयसिंह-दितीय, औरंगजेब (savai jaisingh-ditiya, oragjeb)
राव जगतसिंह (rav jagatsingh) ( 1658 – 1683 ई . )
धरमत के युद्ध में राव मुकंदसिंह के खेत होने पर वह कोटा राज्य का शासक बना जिन्होंने सर्वप्रथम कन्या वध रोकने का प्रयास किया । 1680 ईस्वी में औरंगजेब बीजापुर और गोलकुण्डा के सुल्तानों तथा मराठों को पराजित करने के इरादे से दक्षिण की ओर बढ़ा तो उस समय जगतसिंह भी शाही सेना के साथ था ।
वहीं 1683 ई . में उसकी मृत्यु हो गयी ।