WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

जीरो लोकगीत, मोरिया, फाग, गणगौर, तीज, पटेल्या , बीडियो एवं लालर, बीछुडो़, पंछीड़ा, घुड़ला, पीपली, कुरजाँ लोकगीत(ziro lokageet, moriya, phaag, ganagaur, teej, pateliya avm bideoavm lalar, vichuda, panchida, gudala, pipali, kurja lokageet)

जीरो लोकगीत (ziro lokageet)

लोकगीत
लोकगीत

एक किसान की पत्नी अत्यधिक मेहनत के बाद जीरे के गाया जाने फसल में नुकसान होने पर दु : खी होकर अपने पति को सम्बोधित करते हुए जीरा नहीं बोने की विनती करती है । इस लोकगीत के बोल निम्न है
” ओ जीरो जीव रो बैरी रे , मत बावी म्हारा परण्या जीरो , पाणते करती रो पगल्या घिसे ग्या , कड़ली घिस ग्या चांदी रा

मोरिया ( मोरियो ) लोकगीत (moriya lokageet)

इस गीत में ऐसी तरुणी की व्यथा है जिसकी सगाई हो चुकी है लेकिन विवाह में देरी हो रही है ।

फाग लोकगीत– (phaag lokageet)

होली के अवसर पर महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला लोक गीत है ।

1.राजस्थान लोक संगीत लोकगीत एवं लोक वाघ – राजस्थानी शास्त्रीय संगीत (rajasthan shastriya sangit, rajasthani kavya guru ganpat, tok riyasat)

गणगौर लोकगीत— (ganagaur lokageet)

गणगौर के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है । ।

तीज लोक गीत- (teej lokageet)

श्रावणी तीज के अवसर पर श्रावण मास की प्रकृति की । सौदर्य चित्रण करने वाले तीज गीतों का गान किया जाता है ।

1.फड या पड़ लोकनाट्य, लीलाएँ लोकनाट्य, कत्थक लोकनाट्य (phad ya pad loknatkya, leelaye loknatkya, kathak loknatkya)

पटेल्या , बीडियो एवं लालर लोक गीत – (pateliya avm bideoavm lalar lokageet)

राजस्थान के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रचलित लोक गीत है। ।

बीछुडो़ लोकगीत–(vichuda lokageet)

पंछीड़ा लोक गीत (panchida lokageet)

ढुँढाड़ व हाड़ौती क्षेत्र में मेलों के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है ।

घुड़ला लोकगीत (gudala lokageet)

मारवाड़ क्षेत्र में प्रचलित लोक गीत जिसे कन्याओं के दीर्घायु । द्वारा घुड़ला त्यौहार के अवसर पर गाया जाता है ।

1.नौटंकी लोकनाट्य, स्वांग लोकनाट्य, भवाई लोकनाट्य, चारबैत लोकनाट्य (notanki loknatkya, svang locknatkiya, bhavai locknatakiya, charbet locknatkiya)

पीपली लोक गीत (pipali lokageet)

पुत्र जन्मोत्सव , तीज व चौमासा के दिनों में गाया जाने वाला लोक गीत । ।

कुरजाँ लोक गीत (kurja lokageet)

इस गीत में विरहिणी परदेस में बैठे अपनी पति को प्रवासी पक्षी कुरजाँ के माध्यम से संदेश पहुँचाती है ।

इसके बोल निम्न हैं

कुरजाँ ए म्हारी भंवर मिलादे ए |

1.गवरी लोकनाट्य, तमाशा लोकनाट्य (gavari locknatkiya, tamasha locknatkiya)


2.राजस्थान के लोकनाट्य – ख्याल लोकनाट्य, रम्मत लोकनाट्य (rajasthan ke locknatkiya – khyala locknatkiya, rammat locknatkiya)


3.संत चरणदास जी एवं चरणदासी पंथ, संत सहजोबाई, दया बाई, संत मावजी (sant charandas ji avm charandasi panth, sant sahajobai, daya bai, sant mavaji)


Leave a Comment