जीरो लोकगीत (ziro lokageet)
एक किसान की पत्नी अत्यधिक मेहनत के बाद जीरे के गाया जाने फसल में नुकसान होने पर दु : खी होकर अपने पति को सम्बोधित करते हुए जीरा नहीं बोने की विनती करती है । इस लोकगीत के बोल निम्न है
” ओ जीरो जीव रो बैरी रे , मत बावी म्हारा परण्या जीरो , पाणते करती रो पगल्या घिसे ग्या , कड़ली घिस ग्या चांदी रा
मोरिया ( मोरियो ) लोकगीत (moriya lokageet)
इस गीत में ऐसी तरुणी की व्यथा है जिसकी सगाई हो चुकी है लेकिन विवाह में देरी हो रही है ।
फाग लोकगीत– (phaag lokageet)
होली के अवसर पर महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला लोक गीत है ।
गणगौर लोकगीत— (ganagaur lokageet)
गणगौर के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है । ।
तीज लोक गीत- (teej lokageet)
श्रावणी तीज के अवसर पर श्रावण मास की प्रकृति की । सौदर्य चित्रण करने वाले तीज गीतों का गान किया जाता है ।
पटेल्या , बीडियो एवं लालर लोक गीत – (pateliya avm bideoavm lalar lokageet)
राजस्थान के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रचलित लोक गीत है। ।
बीछुडो़ लोकगीत–(vichuda lokageet)
पंछीड़ा लोक गीत (panchida lokageet)
ढुँढाड़ व हाड़ौती क्षेत्र में मेलों के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है ।
घुड़ला लोकगीत (gudala lokageet)
मारवाड़ क्षेत्र में प्रचलित लोक गीत जिसे कन्याओं के दीर्घायु । द्वारा घुड़ला त्यौहार के अवसर पर गाया जाता है ।
पीपली लोक गीत (pipali lokageet)
पुत्र जन्मोत्सव , तीज व चौमासा के दिनों में गाया जाने वाला लोक गीत । ।
कुरजाँ लोक गीत (kurja lokageet)
इस गीत में विरहिणी परदेस में बैठे अपनी पति को प्रवासी पक्षी कुरजाँ के माध्यम से संदेश पहुँचाती है ।
इसके बोल निम्न हैं
कुरजाँ ए म्हारी भंवर मिलादे ए |
1.गवरी लोकनाट्य, तमाशा लोकनाट्य (gavari locknatkiya, tamasha locknatkiya)
3.संत चरणदास जी एवं चरणदासी पंथ, संत सहजोबाई, दया बाई, संत मावजी (sant charandas ji avm charandasi panth, sant sahajobai, daya bai, sant mavaji)