राजस्थान में मत्स्य पालन (rajasthan me matsya palan)
-‘मत्स्य पालन की दृष्टि से राजस्थान में मत्स्य पालन की स्थिति संतोषजनक नहीं है यहां पर केवल अंतर्देशीय मछली पालन किया जाता है|
– राजस्थान में प्राचीन काल से ग्राम स्तर पर तालाबों, नाडियों एवं जलाशयों में मत्स्य पालन होता रहा है|
– वर्तमान में राज्य में स्थित विभिन्न प्रकार के जलाशयों काजल क्षेत्र लगभग 4 पॉइंट 2300000 हेक्टेयर है इतने बड़े जल क्षेत्र के बावजूद परंपरागत मछुआरा समुदाय के अभाव एवं आम जनता की मछली पालन के विरुद्ध भावना राज्य में मत्स्य व्यवसाय के विकास में बाधक है|राज्य में बांध एवं जलाशयों में कतला ,रोहु ,मृगल आदि देशी प्रजातियां तथा कॉमन काँर्प ,सिल्वर कोर्प ,ग्रास काँर्प आदि विदेशी प्रजातियों की मछलियां पाली जाती है|मछली पालन हेतु न्यूनतम 0.2 हेक्टर जल क्षेत्र वाले जलाशय दिन में कम से कम 6 माह तक 1 से 2 मीटर तक गहरा पानी रहता हो उपयुक्त रहते हैं |
1.राष्ट्रीय गोवंश एवं भैंस प्रजनन परियोजना (rashtriya govansh avm bhes parjanan priyojana)
2.राजस्थान में विविध विकास कार्यक्रम (rajasthan me vividh vikas karyakram)
राजस्थान मछलियां का प्रजनन काल (rajasthan machaliya ka parjanan kal)
– राज्य में मछली पकड़ने की निषेध ऋतु 16 जून से 31 अगस्त तक रहती है क्योंकि यह मछलियां का प्रजनन काल हैं तथा साथ ही वर्षा ऋतु होने के कारण दुर्घटना का डर भी रहता है|राज्य में मत्स्य संसाधन के विकास एवं संरक्षण हेतु 1953 में राजस्थान मत्स्य अधिनियम पारित किया गया मत्स्य विकास हेतु उदयपुर में 1958 में मत्स्य सर्वेक्षण एवं अनुसंधान केंद्र तथा 1969 में मत्स्य प्रशिक्षण महाविद्यालय स्थापित किए गए |
– राजस्थान सरकार द्वारा 1982 में पशुपालन विभाग में पृथक कर अलग से मत्स्य विभाग की स्थापना जयपुर में की गई|
– राजस्थान सरकार द्वारा 1982 में पशुपालन विभाग में पृथक कर अलग से मत्स्य विभाग की स्थापना जयपुर में की गई|
– 1992 में राज्य के स्रोत को ज्ञात कर संग्रह मत्स्य उत्पादन का आंकलन करने के लिए केंद्र प्रवर्तित अन्तर्देशीय मत्स्य संघ की योजना प्रारंभ की गई |वर्तमान में 15 जिलों में मत्स्य पालन विकास अभिकरण तथा राष्ट्रीय मत्स्य बीज उत्पादन फार्म शिवपुरा( कोटा) तथा कासिमपुरा (बांसवाड़ा) में कार्यरत हैं|
– राज्य में ,उदयपुर, बूंदी ,भीलवाड़ा ,अग्रणी मछली उत्पादन जिले हैं|
– बड़ी के तालाब (उदयपुर) में राज्य का पहला मत्स्य अभ्यारण प्रस्तावित है|
सांसद आदर्श ग्राम योजना, विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम (sansad aadars gram yojana, vidhayak ithaniya chetra vikas karyakram)
राजस्थान में पशुधन विकास हेतु किए जा रहे नवीन प्रयास
– मुख्यमंत्री पशुधन निशुल्क दवा आरोग्य योजना 15 अगस्त 2012 से प्रारंभ की गई है|
– केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड जोधपुर द्वारा नागौर जिले के मेड़ता नागौर एवं लाडनू तथा जोधपुर जिले के बालेसर एवं ओसियां तहसील में भेड़ संरक्षण हेतु परियोजना संचालित की जा रही है |अश्व विकास कार्यक्रम सिवाना (बाड़मेर )क्षेत्र में चलाया जा रहा है यह क्षेत्र मालानी नस्ल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है | राजस्थान गौशाला पिंजरापोल संघ , जयपुर में स्थित हैं गौशाला विकास कार्यक्रम के तहत दोसा एवं कोडमदेसर (बीकानेर) में दो गौसदन स्थापित किए गए हैं |
– राजस्थान की प्रथम पशुधन विकास नीति वर्ष 2009 -10 में प्रारंभ की गई थी|
2.इंदिरा आवास योजना(indira aavas yojana)
3.निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना, स्वविवेक जिला विकास योजना (nirmal gram purskar yojana, svaviveka jila vikas yojana)