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मथुरा मानमोरी का शिलालेख, मिहिरकुल तोरमाण का पुत्र, mathura manmori ka shilalekh, mihirkul torman ka putra

मथुरा मानमोरी का शिलालेख, mathura manmori ka shilalekh

मथुरा मानमोरी का शिलालेख
मथुरा मानमोरी का शिलालेख

अन्य मथुरा मानमोरी का शिलालेख अन्य व राजस्थान में मौर्यकालीन साम्राज्य एवं शासन व्यवस्था की पर्याप्त जानकारी बैराठ ( जयपुर ) एवं निकटवर्ती क्षेत्र से प्राप्त अशोक के शिलालेखों से प्राप्त होती है ।

ड़िगढ़ यूनानी शासक मिनेण्डर ने 150 ई .
में माध्यमिका ( नगरी ) पर अधिकार करके साम्राज्य कि स्थापना कि थी ।

शुंग वंश के प्रतापी शासक पुष्यमित्र शुंग के साम्राज्य का विस्तार राजस्थान के दक्षिणी – पूर्वी भाग के मारवाड़ ( वर्तमान झालावाड़ जिला ) तक था ।

कनिष्क कालीन शिलालेख से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुषाण छाप वंश के सम्राट कनिष्क के साम्राज्य का विस्तार राजस्थान के पूर्वी भाग में उपस्थित था भरतपुर के नोह एवं निकटवर्ती क्षेत्र में खुदाई से प्राप्त सामग्री के आधार पर इस क्षेत्र में गुप्त साम्राज्य के विस्तार के साक्ष्य मिले थे ।

शासकों के प्रतापी शासक ‘ को पराजय कर विक्रमादित्य गुप्त ने सम्पूर्ण राजस्थान पर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था ।

यहा छठी शताब्दी के आरम्भ में हुण राजा तोरमाण ने गुप्तों से राजस्थान का मान छीनकर यहाँ पर हण साम्राज्य स्थापित किया था ।


महाराजा गजसिंह प्रथम, वीर अमरसिंह राठौड़, महाराजा जसवंत सिंह प्रथम (majaraja gajsingh pratham, veer amarsingh ratore, maharaja jaswant sigh pratham)

मिहिरकुल तोरमाण का पुत्र, miherkul torman ka putra

‘ मिहिरकुल ‘ एक प्रतापी शासक हुआ , जिसने बाडौली ( कोटा ) में शिव मंदिर का निर्माण करवाया था ।

यशोवर्मा ने 532 ई . में हुणों को हराकर राजस्थान में अपने साम्राज्य की स्थापना का उल्लेख किया ।

यशोवर्मा के पश्चात गुर्जर आए , प्रभाकरवर्द्धन ने गुर्जरों को हराकर समूचे उत्तर – भारत पर साम्राज्य स्थापित किया था ।

हनुमानगढ़ जिले प्रभाकरवर्द्धन के समय भीनमाल ‘ शासन का प्रमुख केन्द्र उपस्थिति था ।

हर्षवर्द्धन की मृत्यु के पश्चात भीनमाल के शासक नागभट्ट प्रतिहार का शासन प्रराम्भ हुआ

तथा उसकी राजधानी कन्नौज पर अधिकार कर उसपर शासन किया था ।

मिहिर भोज ने आदिवराह की उपाधि धारण की थी ।

1.महाराजा अजीतसिंह, वीर दुर्गादास राठौड़ (maharaja ajitsigh, veer durgadhas rathor) (1707-1724 ई.)


2.आऊवा का जम्मर( पुरुषों का जौहर) aahuva ka jammar(puruso ka johar)


3.राजस्थान के परमार राजवंश – आबू, जालौर, मालवा, किराडु, वागड़ के परमार (rajasthan ke parmar rajvansh – aabu, jallor, malva, kiradu, ke parmar)


4.नागभट्ट द्वितीय, भोजदेव प्रतिहार, राजोगढ़ के गुर्जर प्रतिहार (nagbhat divatiye, bhojdev pratihar, rajogadh ke gujar pratihar )



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