चित्तौड़गढ़ दुर्ग की विशेषताएं (chittorgard durg ki visheshtaye)
इस दुर्ग का एक और बड़ा आकर्षण रानी पदमिनी के महल हैं । चित्तौड़गढ़ दुर्ग की विशेषताएं जो एक शान्त और खूबसूरत जलाशय पर स्थित हैं । ये महल वीरांगनाओं के आत्मोत्सर्ग की रोमांचक दास्तान के मूक साक्षी हैं । इन महलों से दक्षिण – पूर्व में दो गुम्बजदार भवन हैं जो ‘ गोरा बादल के महल ‘ कहलाते हैं । ‘ महासती ( महासतियां ) ‘ नामक स्थान पर चित्तौड़ के राजपरिवार की अनेक छतरियाँ व चबूतरे बने हैं ।
दुर्ग के भीतर अन्य प्रमुख भवनों में नौ कोठा मकान या नवलखा भण्डार ( पूर्व में संभवतः खजाना ; तोषाखाना ) एक लघु दुर्ग के रूप में है
जो बनवीर ने आन्तरिक दुर्ग बनवाने के उद्देश्य से बनवाया था ।
दुर्ग में विद्यमान प्राचीन और भव्य देव मन्दिरों में महाराणा कुम्भा द्वारा विनिर्मित विष्णु के वराह अवतार का कुम्भ स्वामी या कुम्भ श्याम मंदिर , सूरजपोल दरवाजे के निकट स्थित नीलकंठ महादेव का मन्दिर
महासती स्थान पर बना समिद्धेश्वर मन्दिर , मीराबाई का मन्दिर , तुलजाभवानी का मन्दिर , कुकडेश्वर महादेव मन्दिर आदि प्रमुख हैं ।
2.राजस्थान के दुर्ग, भूमि दुर्ग की विशेषताएं, वीर अमरसिंह राठौड़ (rajasthan ke durg, bhumi durg ki visheshatay, veer amarsingh rathor)
सूर्य मन्दिर (surya mandir)
चित्तौड़गढ़ दुर्ग की विशेषताएं यहाँ के ‘ कालिका माता के मन्दिर के विषय में इतिहास की धारणा है
कि मूलतः यह एक प्राचीन सूर्य मन्दिर था
( दसवीं शताब्दी में विनिर्मित ) बड़ी पोल नामक दरवाजे से पूर्व में ‘ सतबीस देवरी ‘ राजमहलों के निकट बना ‘ शृंगार चौरी ‘ जैन मन्दिर प्रमुख हैं । किले की पूर्वी प्राचीर के निकट एक सात मंजिला जैन कीर्ति स्तम्भ द्रष्टव्य है जो भगवान आदिनाथ का स्मारक बताया जाता है जिसका निर्माण जीजा बघेरवाल ने 10वीं या 11वीं शताब्दी के आसपास करवाया था । किले भीतर अथाह जलराशि वाले अनेक कुण्ड और जलाशय हैं यथा – रत्नेश्वर तालाब , कुम्भ सागर तालाब , गौमुख झरना , हाथीकुण्ड , भीमलत तालाब , झालीबाव एवं चित्रांग मोरी का तालाब । दुर्ग अन्य प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में कंवरपदे महल के खण्डहर , तोपखाना , भामाशाह की हवेली , सलूम्बर और रामपुरा की हवेलियाँ , हिंगलू आहाड़ा के महल इत्यादि प्रमुख है ।
दुर्ग में विद्यमान फतह प्रकाश महल को संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है
जिसमें अनेक कलात्मक देव प्रतिमाये , अलंकृत पाषाण स्तम्भ तथा बहुत सी पुरा सामग्री संगृहीत है ।
3.वन का दुर्ग, वन दुर्ग की विशेषताएं, अचलदास खींची री वचनिका (van ka durg, van durg ki visheshatay, achal daas kheenchee ri vachanika)