सवाई जयसिंह – दितीय (savai jaisingh-ditiya)(1700 – 1743 ई.)
बिशनसिंह का पुत्र विजयसिंह सवाई जयसिंह दितीय के नाम से 1700 ई . में आमेर का शासक बना
जिसे ‘ सवाई ‘ की उपाधि औरंगजेब ने दी थी।
औरंगजेब की मृत्यु सवाई जयसिंह उपरान्त उत्तराधिकारी संघर्ष में शहजादे मुअज्जम (बहादुरशाह) की विजय हुई , लेकिन जयसिंह ने आजम का साथ दिया था , जिससे नाराज होकर बादशाह मुअज्जम ( बहादुरशाह ) ने जयसिंह के छोटे भाई को आमेर का शासक बनाया
तथा आमेर का नाम ‘ मोमिनाबाद ‘ रखा ।
औरंगजेब (oragjeb)
आमेर का राज्य छीनने से नाराज सवाई जयसिंह ने पुनः राज्य प्राप्त करने हेतु मेवाड़ व जोधपुर की सहायता प्राप्त करने का प्रयास किया लेकिन इससे पूर्व ही दीवान रामचन्द्र और कच्छवाह सरदारों ने जयसिंह का आमेर पर कब्जा घोषित कर दिया ।सवाई जयसिंह ने मराठों की बढ़ती शक्ति के विरुद्ध राजपूत शासकों को संगठित करने के लिए भीलवाड़ा के हुरड़ा नामक स्थान पर 17 जुलाई , 1734 ई . को राजपूताना के शासकों का सम्मेलन बुलाया ने अध्यक्षता उदयपुर के महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की , इसमें सहयोग का समझौता हुआ लेकिन इसका पालन नहीं हो सका ।
सवाई जयसिंह ने 1727 ई . को जयनगर ( जयपुर ) की स्थापना की , इसके वास्तुविद् पं . विद्याधर भट्टाचार्य थे । सवाई जयसिंह ने जयपुर , दिल्ली , उज्जैन , बनारस व मथुरा में वेधशालाओं ( जंतर – मंतर ) का निर्माण करवाया । इनमें से जयपुर स्थित जंतर – मंतर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा 30 जुलाई , 2010 को दिया गया है । सवाई जयसिंह ने नक्षत्रों की शुद्ध सारणी ‘ जीज मुहम्मदशाही ‘ बनाई तथा ‘ जयसिंह कारिका ( ज्योतिष ग्रंथ ) की रचना की ।
सवाई जयसिंह के दरबारी पुण्डरीक रत्नाकर ने जयसिंह कल्पद्रुम की रचना की ।
बूंदी के उत्तराधिकारी संघर्ष में हस्तक्षेप करना सवाई जयसिंह की सबसे बड़ी भूल थी
जिसके परिणामस्वरूप राजस्थान में मराठों का प्रथम आगमन हुआ ।
1.महाराजा अभयसिंह, विजयसिंह, महाराजा मानसिंह (maharaja abhayasingh, vijayasingh, maharaja mansingh)
2.राजस्थान के जलप्रपात (rajasthan ke jalprapat)
3.राजस्थान में खारे पानी की झीले (rajasthan me khare pani ki jeele)