sirohi ke chouhan rajvansh (सिरोही के चौहान राजवंश (देवड़ा)) :-

चौहान राज वंश(सिरोही ) के देवड़ा चौहानों के संस्थापक लुम्बा माना जाता है |
जो जालोर के सोनगरी चौहानों का वंशज था ।
लुम्बा ने 1311 ई . में आबू – चन्द्रावती के परमारों को पराजित करके चौहान राज्य की स्थापना की थी।
( A ) लुम्बा के पश्चात् उसके पाँच उत्तराधिकारी क्रमशः तेजसिंह , से नाराज कान्हड़देव , सामन्तसिंह , सलखा एवं रायमल थे ।
चौहान राज वंश की राजधानी कभी चन्द्रावती तो कभी अचलगढ़ रही थी |
रायमल के पुत्र शिवभान ने सरणवा की पहाड़ियों के निकट शिवपुरी ‘ नामक नगर 1405 ई . में बसाया एवं दुर्ग बनवाया था । शिवभान के पुत्र सहासमल ने 1425 ई . में शिवपुरी ( प्राचीन सिरोही ) से दो मील की दूरी पर सिरोही ‘ नगर की स्थापना की थी।
सहासमल के पश्चात् ‘ लाखा ‘ ( 1451 – 1483 ई . ) सिरोही का प्रतापी शासक हुआ ।
उसने मेवाड़ के महाराणा ऊदा ( कुभा का पुत्र ) से ‘ आबू ‘ प्राप्त करके अपने राज्य में मिला दिया ।
लाखा एक कुशल प्रशासक एवं व्यवस्थापक था |
उसने सिरोही में कालिका माता का मंदिर बनवाया एव लाखनाव तालाब का निर्माण करवाया था ।
लाखा के पश्चात् जगमाल सिरोही का शासक हुआ जिसने 1474 ई . में बहलोल लोदी को पराजित करने में मेवाड़ के महाराणा रायमल का साथ दिया ।
जगमाल ने जालोर के किलेदार मलिक मजीद खाँ को पराजित किया।
जगमाल के बारे में कहा जाता है कि उसने अपने ससुराल पक्ष मेवाड़ के कुंवर पृथ्वीराज सिसोदिया को दवाइयां के बहाने जहर दे दिया |जिससे कुंभलगढ़ के निकट कुंवर पृथ्वीराज की मृत्यु हो गई थी | सिरोही के शासक शिवसेना 1823 ई. में राजस्थान में सबसे अंत में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि करके सुरक्षा का भार अंग्रेजों को सौंप दिया था |
इसके पश्चात चौहान राज वंश का लगभग समापन हो जाता है |
1.जोधपुर के राजा राव सातल, राव सूजा और राव गांगा (jodhpur k raja rav satal , rav suja or rav ganga)
2.राठौड़ राजवंश का इतिहास(मालाणी के राठौड़,जोधपुर ( मारवाड़ ) के राठौड़,)