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राजस्थान में औद्योगिक विकास(rajasthan me odhogik vikas)

राजस्थान में औद्योगिक विकास(rajasthan me odhogik vikas) :-

राजस्थान में औद्योगिक विकास
राजस्थान में औद्योगिक विकास

–  राजस्थान में औद्योगिक विकास अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रारंभ से ही पिछड़ा रहा है राज्य का 61%भाग मरुस्थलीय है | जहां प्राय बहुत कम वर्षा होती हैं एवं वाह की परिस्थितियां उद्योग की स्थापना मेंसकारात्मक योगदान नहीं कर पाती है|

–   राज्य में विभिन्न औद्योगिक नीति बनाकर औद्योगिकरण को बढ़ावा दिया है जिससे आज राजस्थान अन्य राज्यों से कंधे से कंधा मिलाकर विकास की ओर बहुत तेजी से बढ़ रहा है |

–  वर्तमान मेंराज्य में 36 जिला उद्योग केंद्र एवं 8उपकेंद्र ( ब्यावर किशनगढ़ , बालोतरा , मकराना फालना,आबूरोडएवं फलोदी )कार्यरत है |

राजस्थान के थार मरुस्थल की सबसे लंबी नदी – लूनी नदी(rajasthan ke thar marusthal ki sabse lambi nadi – luni nadi)

–   राजस्थान में कारे बनाने का पहला कारखाना संयंत्र फरवरी 2014 में भिवाड़ी( अलवर )हौंडा कंपनी द्वारा लगाया गया था |

–  केंद्र सरकार द्वारा देश का पहला जैम बुर्स जयपुर में स्थापित किया जा रहा है |

–   राजस्थान में प्रथम इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर सलारपुर (अलवर) में स्थापित किया गया है |

–  नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी जोधपुर ने जुलाई 2010 में कार्यारंम्भ कर दिया है |

–  भारत सरकार केवस्त्र मंत्रालय की एकीकृत वस्त्र पार्क स्कीम के तहत राज्य में 4 नएवस्त्र पाक बनाने की मंजूरी भिवाड़ी ,अलवर, भीलवाड़ा ,दोसाएवं बालोतरा बाड़मेर के लिए मान्यता दी है |

राजस्थान में बायोगैस ऊर्जा संसाधनों का विकास(rajasthan me bayoges urja sansadhano ka vikash) – बायोमास ऊर्जा(bayomas urja), ऊर्जा : शेष – विशेष(urja: sesh – visesh)

बंगाल की खाड़ी की नदीया(bangal ki khari ki nadiya )

 

राजस्थान द्वारा निम्न विभिन्न औद्योगिक नीतियां अपनाई गई हैं(rajasthan duwara nimr vibhin odhogik nithiya apnae ghai hei) :-

(1) प्रथम औद्योगिक नीति( 24 जून 1978 )- इस नीति के अंतर्गत कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देकर बेरोजगारी व क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का प्रयास किया गया है |

(2)  द्वितीयऔद्योगिक नीति (अप्रैल ,1991) –  दितीयवित्तीय औद्योगिक नीति में रोजगार को बढ़ावा देना तथा खनन कार्य कृषिगत साधनों केउपयोग से विभिन्न साधनों को बढ़ावा दिया गया है |

राजस्थान में मिट्टी अपरदन की समस्या(rajasthan me miti apardan ki samsya)

(3)  तृतीय औद्योगिक नीति( 15 जून 1994 )-  तीव्र औद्योगिक विकास के लिए उद्योगों के निजीकरण का बढ़ावा दिया गया |

(4) चतुर्थ औद्योगिक नीति( 4 जून 1998 )-  नीति वर्तमान में भी चल रही है इसके अंतर्गत राज्य को विशिष्ट क्षेत्रों में विनियोग की दृष्टि से सर्वोच्च प्राथमिकता प्राप्त राज्य बनाना है |

– निवेश नीति 2003-  राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिएसरकार द्वारा 1 जुलाई 2003 को निवेशप्रोत्साहन नीति, 2003 को मान्यता दी गई |

1.राजस्थान में ऊर्जा संसाधन – पवन ऊर्जा (pawan urja), अक्षय ऊर्जा (akshay urja), सौर ऊर्जा (soar urja)(rajasthan me urja sansadhan)


2.राजस्थान में थार मरुस्थल में मिट्टी संबंधी अन्य समस्या(rajasthan me thar marusthal me miti samndit anye samsya)


3.राजस्थान की मिट्टियों का वर्गीकरण – रेतीली बलुई मिट्टी, भूरी रेतीली मिट्टी (rajasthan ke mittiyo ka vargikarn – retili balui mitti, bhuri retili mitti)


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