(1) पवन ऊर्जा (pawan urja) :-

– 21 अक्टूबर 1999 को राज्य का प्रथम पवन ऊर्जा संयंत्र राजस्थान स्टेट पावर कॉरपोरेशन ली 2 MW का लगाया गया था | राज्य में निजी क्षेत्र के प्रथम पवन ऊर्जा परियोजना बड़ा बाग (जैसलमेर) में मैसर्स कॉलोनी इंडस्ट्रीज द्वारा 2001में शुरू की गई |
राज्य में पवन ऊर्जा के विकास हेतु इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटालर्जी ने 26 स्थानों का चयनित किया है जिनमें से निम्न स्थानों पर परियोजना प्रारंभ हो चुकी है- मोहनगढ़ , अमर सागर , बड़ा बाग ,सोढाबांधन -तेमडेराव (जैसलमेर) , देवगढ़ (प्रतापगढ़) , धमोतर(चित्तौड़गढ़) , हर्ष पर्वत ( सीकर ) , फलोदी – बीठड़ी(जोधपुर) , खाडोल (बाड़मेर) एवं जसवंतगढ़ (उदयपुर) 4 फरवरी 2000 को गलोहत सरकार ने पवन ऊर्जा प्रोत्साहन नीति 2000 की घोषणा की इसी सरकार ने पुणे अप्रैल 2003 में नई पवन ऊर्जा नीति घोषित की राज्य सरकार ने एक नीति गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत से विद्युत उत्पादन हेतु 2004 को लागू की जिसका लक्ष्य 400 mw रखा गया | राज्य में जुलाई 1999 में कैपटिव पावर प्लांट योजना लागू हुई जिसके तहत 100 mw समताका पहला कैपटिव पावर प्लांट राजस्थान राज्य खनिज निगम लिमिटेड (RSMML) |
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से झामर कोटडा (उदयपुर) में स्थापित हुआ
(2.) अक्षय ऊर्जा (akshay urja) :-
– राजस्थान ऊर्जा विकास अभिकरण (1985 REDA) तथा राजस्थान स्टेट पावर कॉरपोरेशन लि (RSPCL) नामक उपक्रमों का विलय कर 9अगस्त 2002 को राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम की स्थापना गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत के विकास एवं परिवर्तन |
विद्युत संयंत्रों की स्थापना हेतु की गई
(3.) सौर ऊर्जा (soar urja) :-
– राज्य के पश्चिमी जिले के प्रति वर्ग मीटर 5.8 से 6.4 किलोवाट और ऊर्जा प्राप्त करते हैं |
– 1972 में गठित गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत मंत्रालय भारत सरकार ने इस सौर ताप यंत्रों को बाजार में उपलब्ध करवाने के लिए प्रमुख नगरों में आदित्य दुकानें खोली | सौर ऊर्जा द्वारा खारे पानी को मीठा बनाने का संयंत्र भोलेरी (चूरू) में रेफ्रिजरेटर जैसलमेर के तीन जवाहर चिकित्सालय में 55000 लीटर पानी को गर्म करने वाला बड़ावाटर हीटर जयपुर के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस में स्थापित किया गया है |
– सौर ऊर्जा प्राप्त करने के दो माध्यम हैं |
1. सौर तापीय माध्यम
2. सौर फोटोवोल्टिक माध्यम
– राजस्थान में सौर ऊर्जा चिलिगं मिल्क प्लांट भरतपुर डायरी में लगा हुआ है |
– पश्चिमी राजस्थान के जिले (जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर) को सौर ऊर्जा उधम जॉन (SEEZ) में शामिल किया गया है |
– राज्य में गांवों में प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना के तहत अक्षय ऊर्जा निगम से 49 गांव को विद्युत यकृत किया जा चुका है| अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय भारत सरकार के दो-तिहाई वित्तीय सहयोग से झुंझुनू जिले के ग्रामगोरी में 100 किलोवाट क्षमता की ग्रिड इंटरएक्टिव सौर विद्युत परियोजना जून 2004 में चालू हो चुकी है | मथानिया( जोधपुर ) – में इंटीग्रेटेड कंबाइंड साइकिल पावरप्रोजेक्ट (ISCC) क्षमता – 140mw की स्थापना KFW(जर्मनी) विश्व बैंक के ग्लोबल इनवायर्नमेंण्ट फैचिलिती तथा भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से देश का पहला सबसे बड़ा भविष्य का अपनी तरह का पहला सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित हुआ |
यहां जलापूर्ति राजीव गांधी लिफ्ट नहर से तथा प्राकृतिक गैस आपूर्ति GAILकंपनीकर रही है |
– अगोरिया (बाड़मेर) में 50mw को प्रोजेक्ट में मैसर्स सनसोर्स इंडिया लि (अहमदाबाद) द्वारा लगाया गया |
– मोकला गांव(जैसलमेर) में 50mw का प्रोजेक्ट मैसर्स एमको एनरोन सोलर पावर डेवलपमेंन्ट ली ( यू . एस . ए)द्वारा स्थापित किया गया है |
– पावर पैक योजना का संबंध सौर ऊर्जा से हैजिसमें पूरे गांव को सौर ऊर्जा से विद्युतीकृत करते हैं |
3.त्रिवेणी संगम – माही, सोम, जाखम नदियां(triveni sangam – mahi, som, jakham nadiya)