राजस्थान की सबसे लंबी नदी, लूनी नदी, rajasthan ki sabse lambi nadi, luni nadi
(1) लूनी नदी(मरु आशा / लवणवती / लावणी ), luni nadi maru aasha lavanvati lavani :- थार के मरुस्थल की सबसे महत्वपूर्ण एवं सबसे लंबी नदी लूनी का उदमअजमेर एवं पुष्कर के मध्य उपस्थित नागपाल तथा आनासागर झील से हुआ राजस्थान के कुलअपवाह क्षेत्र का 10.40% भाग लूणी बेसिन कहां है तथादृष्टि से या चंबल के पश्चात राज्य की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बड़ी नदी है
– यह नदी अजमेर ,नागौर ,जोधपुर, बाड़मेर, पाली ,जालोर, कुल 6 जिलों से बहते हुए ‘कच्छ के रण ‘मेंप्रवेश करके फैल जाती है अधिक वर्षा होने पर यह नदी कच्छ की खाड़ी में गिर कर (कुललंबाई 350 किमी राजस्थान में 330 किमी ) | लूनी नदी का उदगम स्थल पर साबरमती के रूप द्वारा जाना जाता है पुष्कर से या नदी निकलकर सरस्वती नदी का मिलन साबरमती से गोविंदगढ़(अजमेर) में होता है यह नदी लूनी नदी कहलाती है | कच्छ के रण में प्रवेश करते समय यह नदी कई धाराओंमें अलग-अलग स्थानों में विभक्त होकर दल दल का निर्माण करती है इस दलदली क्षेत्रको सांचौर (जालौर) में ‘नेहड’ कहते हैं | उद्गम स्थल में बालोतरा (बाड़मेर )तक इस नदी कापानी मीठा है |पंचपदरा झील की निकटता एवं लवणीय भूमि मैं बहने के कारण बालोतरा के बाद इसका जल थोड़ा खारा हो जाता है |
त्रिवेणी संगम – माही, सोम, जाखम नदियां(triveni sangam – mahi, som, jakham nadiya)
लूनी की सहायक नदिया, luni ki sahayek nadiya
‘ गुहिया ‘जवाई’ सगाई ‘सुकड़ी ‘आदिअरावली के पश्चिमी दलों से निकलती है|
जबकि इसमें दायी और से मिलने वाला सहायक नदियां ‘जोजरी’ सरस्वती’ मीठड़ी ‘ है
– लूनी नदी के किनारे बिलाडा एवं लूणी जंक्शन ‘जोधपुर ‘बालोतरा’ समदड़ी’ नाकोडा ‘तिलवाड़ा ‘गुढामालानी’ बाड़मेर नामक नगर बसे हुए हैं|
बंगाल की खाड़ी की नदीया(bangal ki khari ki nadiya )
राजस्थान में कम वर्षा होने के मुख्य कारण, शीत ऋतु (shit ritu, rajasthan me kam varsha hone ke karan )
लूनी की सहायक नदियों के संगम स्थल, luni ki sahayek nadiya ke sangam sethal
(a) सरस्वती :- गोविंदगढ़ (अजमेर)
(b) जोजरी :- काकेलाव (जोधपुर)
(c) बन्डी :- दुन्दाड़ा (जोधपुर )
(d) सूकड़ी :- समदड़ी (बाड़मेर )
(e) जवाई :- गांधव (बाड़मेर)