जयगढ़ दुर्ग (jayagadh durg)
आम्बेर के राजासाद के ऊपर पर्वत शिखा की सबसे ऊंची चोटी पर जयगढ़ दुर्ग का प्रसिद्ध किला उपस्थित है सभवत इसका निर्माण राजा मानसिंह प्रथम अथवा मिर्जा राजा जयसिह द्वारा करवाया गया था फिर सवाई जयसिंह ने इस किले का विस्तार करवाया था। इस किले की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें तोपें ढालने का एक विशाल कारखाना ( संयत्र ) है जो शायद ही अन्य दुर्ग में मिले इस किले में रखी जवबाण एशिया की सबसे बड़ी तोप है । इस किले की एक और उल्लेखनीय विशेषता है पानी के विशाल टाके किले के चारों ओर पहाड़ियों पर बनी पक्की नालियों से बरसात का पानी इन टाकों में एकत्र होता है । जालियों के द्वारा उसको छानने वा फिल्टर होने का भी प्रबन्ध है । सबसे बड़ा टांका लगभग 54 फीट गहरा है । । जयगढ़ के पाश्र्व में पहाड़ी मखला के दूसरे छोर पर नागर का किला अवस्थित है ।
यह किला जयपार शहर की ओर झाला हुआ सा प्रतीत होता है ।
इस किले का एक नाम सदर्शनगद भी है । किन्तु इसका नाहरगढ़ नाम ही अधिक लोकप्रिय है ।
जनश्रुति है कि इसका यह नाम नाहरसिह भोमिया के नाम पड़ा जिनका स्मारक किते के भीतर विद्यमान है ।
इस किले का निर्माण महाराजा सवाई जयसिह ने मरहठों के विरुद्ध सुरक्षा की दृष्टि से करवाया था ।
2.सुन्धा माता, नारायणी माता, त्रिपुर सुन्दरी ( तुरताई माता ) (sundha mata, narayani mata, tripura sundari (turatai mata)
निराला दुर्ग (niraala durg)
दौसा का किला एक विशाल और ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ अपने ढंग का निराला दुर्ग उपस्थित है । यह विशाल किला सूप ( छाजले) की आकृति है । इस दुर्ग का निर्माण इस क्षेत्र के चौहान अथवा बडगुजर क्षत्रियों ने करवाया था । बाद में कड़वा शासको ने इस किले में अनेक नयी बुर्जे , प्राचौर एवं दूसरे भवन बनवाये । उपर्युक्त महत्त्वपूर्ण गिरि दुगों के अलावा पूर्वी राजस्थान में बवाना का किला , तिमनगढ़ का दुर्ग , मारवाड़ में सोजत और कुचामन का किला , पूर्व जयपुर रियासत के शिवाड , कालाखो , काकोड़ और खंडार के किले , हाड़ौती का शेरगढ़ तथा सिरोही का बसन्तगढ़ दुर्ग भी अपने स्थापत्य और विशिष्ट संरचना के कारण उल्लेखनीय हैं ।
1.शिला देवी, शीतला माता (शील माता) (shila devi, shitala mata(shil mata)