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भूमि का दुर्ग एवं धान्वन का दुर्ग, सोनारगढ़ का दुर्ग (bhumi ka durg avm dhanvan ka durg, sonargad ka durg)

 

भूमि का दुर्ग एवं धान्वन का दुर्ग (bhumi ka durg avm dhanvan ka durg)

राजस्थान में स्थल दुर्ग अनेक हैं । उत्तरी सीमा के प्रहरी ‘ और उत्तर भड़ किंवाड़ का विरुद्ध धारण करने वाले भाटी राजपूतों की वीरता , शौर्य और बलिदान का प्रतीक है जैसलमेर का किला । जैसलमेर री ख्यात के अनुसार विक्रम संवत 1212 ( 1155 ई . ) रावल जैसल ने गढ़ जैसलमेर की नींव रखी । जैसलमेर का यह किला ‘ सोनारगढ़ ‘ कहलाता है । चारों ओर मरुस्थल से घिरा होने के कारण इसे शास्त्रों में वर्णित भूमि का दुर्ग रख सकते । त्रिकुटाकृति का 99 बुर्जा वाला जैसलमेर का विशाल किला अंगड़ाई लेते हुए सिंह के समान प्रतीत होता है ।

चित्तौड़ में इतिहास प्रसिद्ध तीन साके हुए तो जैसलमेर में ढाई साके होने के ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं ।

पहला साका अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय हुआ

जब कई वर्षों तक चलने वाले लम्बे घेरे के उपरान्त यहाँ के भाटी शासक मूलराज , कुंवर रतनसी सहित सैकड़ों योद्धाओं ने आक्रान्ता का सामना करते हुए

अपने प्राणोत्सर्ग किये तथा दुर्ग ललनाओं ने जौहर किया ।

1.जयगढ़ दुर्ग, निराला दुर्ग (jayagadh durg, niraala durg)


2.कंप्यूटर मेमोरी, कैश मेमोरी, स्पीकर, मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर (computer memory, cache memory, speaker, multimedia projector)

सोनारगढ़ का दुर्ग (sonargad)

जैसलमेर का दूसरा साका दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में हुआ

जब जैसलमेर के रावल दूदा , त्रिलोकसी व अन्य भाटी सरदारों और योद्धाओं ने शत्रु सेना से लड़ते हुए

वीरगति पाई और दुर्ग की वीरांगनाओं ने जौहर किया । जैसलमेर का तीसरा साका अर्द्ध साका ‘ कहलाता है । कारण इसमें वीरों ने केसरिया तो किया ( लड़ते हुए वीर गति पायी ) लेकिन जौहर नहीं हुआ । अतः इसे आधा साका ही माना जाता है । यह अर्द्ध साका जैसलमेर के राव लूणकरण के शासन काल में कंधार के राज्यच्युत शासक अमीर अली के छलपूर्वक किये गये

हमले के समय वि . संवत 1697 ( 1550 ई . ) में हुआ

जिसमें रावल लूणकरण ने शत्रु से जूझते हुए अपने अनेक योद्धाओं सहित वीरगति पाई ।

1.लोकवाद्य, तत् वाद्य, जन्तर वाद्य, सारंगी वाद्य, रावण हत्था वाद्य (lokavaddh, tat vaddh, jantara vaddh, sarangi vaddh, ravan hattha vaddh)


2.अवनद्ध वाघ, मृदंग वाघ, नौबत वाघ, ढोलक वाघ, नगाड़ा वाघ, चंग वाघ (avanadhd vaddh, mardang vaddh, nobat vaddh, dolak vaddh, nagaada vaddh, chang vaddh)


3.भपंग, रवाज, कमायचा, इकतारा, तन्दूरा (तम्बूरा), रबाब वाद्य यंत्र (bhampag, ravaaj, kamaayacha, ikatara, tandura (tambura), rabaaba vaddh yantra)


 

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