घन वाद्य यंत्र (gan vaddh yantra)
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विभिन्न वाद्य यंत्र जो धातु के बने होते हैं घन वाद्य यंत्र कहलाते हैं कुछ प्रमुख घन वाद्य यंत्र निम्न है
मंजीरा वाद्य यंत्र (manjira vaddh yantra)
यह लोहे पीतल के बने होते हैं तथा आपस में टकराकर बजाये जाते हैं ।
गंभीरा की जोड़ी को डोरी से बांधकर रखा जाता है ।
धाँधने के लिए बीचों – बीच में छेद होता है । इनकी आकृति कटोरीमा होती है ।
इसे काम जाति के लोग तेरहताली नृत्य करते समय बजाते हैं।
झांझ वाद्य यंत्र (janja vaddh yantra)
यह वाद्य यंत्र मंजीरे का ही बड़ा रूप है । कच्छी घोड़ी नृत्य के समय इसका उपयोग किया जाता है ।
खड़ताल खड़ताल शब्द कर – ताल से बना है ।
लकड़ी के टुकड़ों के बीच में पीतल की गोल तश्तरियां लगी होती हैं
जो लकड़ी के टुकड़ों को आपस में टकराने पर मधुर आवाज निकालती हैं ।
इसका प्रयोग भक्तजनों तथा साधु – सन्तों द्वारा भी किया जाता है ।
झालर वाद्य यंत्र (jalar vaddh yantra)
यह पीतल की थाली के आकार की होती है , जो प्रायः संध्याकालीन मन्दिरों में बजाई जाने वाली है ।
रमझौल वाद्य यंत्र (ramjola vaddh yantra)
यह छोटे – छोटे मुँघरू की एक पट्टी होती है जिसे कलाकार अपने पाँवों पर नाचते समय बांधते हैं ।
विभिन्न पशुओं जैसे — ऊँट , गाय , भैंसे आदि के भी रमझौल बाँधी जाती है ।
थाली काँसे की बनी थाली का प्रयोग वाद्य के रूप में ढोल के साथ विशेष रूप से किया जाता है ।
इसका प्रयोग सामान्यतया कालबेलिया तथा भीलों द्वारा किया जाता है ।
लेजिम वाद्य यंत्र (lejima vaddh yantra)
यह बॉस का धनुषाकार टुकड़ा होता है ।
इसके ऊपर पीतल की गोल पत्तियाँ होती हैं जो हिलाने पर बजती है ।
श्रीमण्डल वाद्य यंत्र (shreemand vaddh yantra)
झाडूनुमा वाद्य यंत्र जिस पर चाँद जैसे छोटे – बड़े टंकारे लटकते हैं , प्रत्येक टंकारे की ध्वनि अलग होती हैं ।
इस ‘ घंटी काँटा ‘ भी कहते हैं ।
3.फड या पड़ लोकनाट्य, लीलाएँ लोकनाट्य, कत्थक लोकनाट्य (phad ya pad loknatkya, leelaye loknatkya, kathak loknatkya)