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राजस्थान के लोकगीत, घुड़ला गीत, चिरमी गीत, कागा गीत, लांगुरिया गीत, बधावा गीत, हीडो गीत, रसिया गीत, लावणी गीत, हरजस गीत, तेजा गीत, हमसीढ़ो गीत

राजस्थान के लोकगीत (rajasthan ke lokageet)

राजस्थान के लोकगीत
राजस्थान के लोकगीत

हमसीढ़ो गीत (hamsidho geet) –मेवाड़ क्षेत्र में भील स्त्री – पुरुषों द्वारा सामूहिक रूप से गाया जाने वाला राजस्थान के लोकगीत है। ।

तेजा गीत (teja geet)

खेत में काम करते समय किसानों द्वारा गाया जाने वाला किसानों का प्रेरक गीत । इसके बोल हैं

“ गर्जयो – गर्जयो जेठ ने आषाढ़ कॅवर तेजा रे लगतोड़ो गर्जयो सावन – भादवो जी ‘ ‘

हरजस गीत (harjas geet)

सगुण भक्ति लोकगीत जिसमें रामलीला एवं कृष्णलीला का वर्णन किया जाता है ।

1.जीरो लोकगीत, मोरिया, फाग, गणगौर, तीज, पटेल्या , बीडियो एवं लालर, बीछुडो़, पंछीड़ा, घुड़ला, पीपली, कुरजाँ लोकगीत(ziro lokageet, moriya, phaag, ganagaur, teej, pateliya avm bideoavm lalar, vichuda, panchida, gudala, pipali, kurja lokageet)

लावणी गीत (lavani geet)

राजा मोरध्वज , गोपीचंद , राजा भरथरी आदि प्रसिद्ध लावणियाँ हैं । लावणी का शाब्दिक अर्थ बुलावा है , जो नायक द्वारा नायिका को बुलावे के अर्थ में गाई जाती है ।

रसिया गीत (rasiya geet)

रसिया ब्रज की ओर के क्षेत्रों भरतपुर , धौलपुर की ओर गाए जाने वाले गीतों की एक विशेष धुन है ।

हीडो गीत (hido geet)

सावण मास में गाया जाने वाला तु गीत जिसे महिलाएं । बागों में झूला झूलते समय गाती हैं ।

बधावा गीत (badhava geet)

शुभ या मांगलिक अवसरों पर गाया जाने वाला मंगल गीत है ।

1.राजस्थान लोक संगीत लोकगीत एवं लोक वाघ – राजस्थानी शास्त्रीय संगीत (rajasthan shastriya sangit, rajasthani kavya guru ganpat, tok riyasat)

लांगुरिया गीत (laguriya geet)

कैलादेवी के मेले में नवयुवकों द्वारा किए जाने वाले वाला गीत लांगुरिया नृत्य के समय लांगुरिया गीत भी गाते हैं ।

कागा गीत (kaga geet)

विरह गीत जिसमें विरहिणी नायिका कौए को प्रलोभन देकर उड़ाना चाहती है जिससे वह अपने प्रियतम के आने की शगुन जानना चाहती है । इसके बोल हैं
| ‘ उड – उड रे म्हारा काला रे कागला , वाले गीत जद म्हारो पिवजी घर आवै । खीर – खांड रा जीमण जीमावे , गाली गीत सोना में चोंच मंडाऊ म्हारा कागा , जद म्हारा पिवजी घर आवै । ”

चिरमी गीत (chirami geet)

एक नवविवाहिता ससुराल में अधिक दिन होने पर अपने समय तथा भाई व पिता की प्रतीक्षा के समय की मनोदशा को चिरमी पेड़ के माध्यम से बताती है । इसी मनोदशा का चित्रण चिरमी गीत में किया गया है ।

1.फड या पड़ लोकनाट्य, लीलाएँ लोकनाट्य, कत्थक लोकनाट्य (phad ya pad loknatkya, leelaye loknatkya, kathak loknatkya)

घुड़ला गीत (gudala geet)

मारवाड़ क्षेत्र में प्रचलित लोकगीत जिसे कन्याओं के दीर्घायु द्वारा घुड़ला त्यौहार के अवसर पर गाया जाता है ।

1.नौटंकी लोकनाट्य, स्वांग लोकनाट्य, भवाई लोकनाट्य, चारबैत लोकनाट्य (notanki loknatkya, svang locknatkiya, bhavai locknatakiya, charbet locknatkiya)


2.गवरी लोकनाट्य, तमाशा लोकनाट्य (gavari locknatkiya, tamasha locknatkiya)


3.राजस्थान के लोकनाट्य – ख्याल लोकनाट्य, रम्मत लोकनाट्य (rajasthan ke locknatkiya – khyala locknatkiya, rammat locknatkiya)


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