मेहाजी (mehaji)
मेहाजी को ‘ मेहजी मांगलिया ‘ के नाम से भी जाना जाता है । इनको मांगलिया राजपूत इष्ट देव के रूप में पूजते हैं । मेहाजी का प्रमुख थान जोधपुर जिले के ‘ बापिणी गाँव ‘ में है , जहाँ पर प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी ( जन्माष्टमी ) को मेला भरता है । ऐसा माना जाता है कि मेहाजी जैसलमेर के भाटी शासक राणंग देव से युद्ध करते समय वीरगति को प्राप्त हुए थे । मेहाजी के प्रिय घोड़े का नाम ‘ किरड़ काबरा ‘ था । मल्लीनाथ जी राजस्थान के बाड़मेर जिले के मालाणी क्षेत्र का नामकरण यहाँ के लोकदेवता मल्लीनाथ जी पर हुआ है । 1358 ई . में जन्मे मल्लीनाथ जी मालाणी के शासक राव तीड़ा जी के पुत्र थे । इनकी माता का नाम जाणी दे था । मल्लीनाथ जी निर्गुण एवं निराकार ईश्वर में आस्था रखते थे ।
मल्लीनाथ जी का प्रमुख मन्दिर बाड़मेर जिले में बालोतरा के निकट तिलवाड़ा गाँव में स्थित है
जहाँ पर इनकी स्मृति में चैत्र माह कहर ‘ , में ‘ मल्लीनाथ पशु मेला ‘ ( चैत्री मेला ) भरता है ।
मल्लीनाथ जी की राणी रूपां दे का मन्दिर मजल गाँव ( बाड़मेर ) में स्थित है ।
1.कैला देवी, आई माता (kela devi, aai mata)
3.मामाजी, देव बाबा, वीर बिग्गाजी (mamaji, dev baba, veer biggaji)
तल्लीनाथ जी (tallinath ji)
( गाँगदेव राठौड़ ) यहाँ बाबा तल्लीनाथ मारवाड़ के वीरमदेव राठौड़ के पुत्र थे ।
मारवाड़ के शेरगढ़ ठिकाने ( वर्तमान जोधपुर जिले में ) पर शासन करने के बाद गांगदेव राठौड़ ने गुरु जलंधर नाथ जी से दीक्षा ली । गुरु ने इनको ‘ तल्लीनाथ नाम दिया । इनका थान जालौर जिले की आहोर तहसील के पाँचोटा गाँव के निकट पंचमुखी पहाड़ी पर त्र थे । स्थित है । वे तथा जालौर एवं पाली जिलों में बाबा तल्लीनाथ की विशेष मान्यता कवाने है । बाबा ने सदैव पेड़ – पौधों एवं वनस्पति के संरक्षण पर जोर दिया , आज भी पंचमुखी पहाड़ पर कोई भी पेड़ – पौधा नहीं काटता |
गाँव है , यह क्षेत्र तल्लीनाथ जी का ओरण ‘ कहलाता है ।
निकटवर्ती क्षेत्र में पशु के बीमार होने पर या किसी को जहरीला जानवर काटने ने की ।
पर इनके नाम का ‘ डोरा ( धागा ) बाँधा जाता है ।
3.बूंदी के हाड़ा चौहान, राव सुरजन हाड़ा, राव भोज, राव रतन, राव शत्रुशाल हाड़ा (bundi ke hadha chohan, rav surajana hadha, rav bhoj, rav ratan, rav shatrushala hadha)