सवाई जगतसिंह (savai jagatsingh) (1804 – 1818 ई.)
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जगतसिंह के शासनकाल में उदयपुर महाराणा भीमसिंह की पुत्री कृष्णा कुमारी को लेकर जयपुर व जोधपुर के अलवर मध्य गींगोली का युद्ध ( 1807 ई . ) हुआ जिसमें जयपुर की सेना विजयी रही । मराठों व पिण्डारियों के आक्रमण से परेशान होकर 1818 को ईस्ट इण्डिया कम्पनी से सवाई जगतसिंह ने संधि कर ली और 21 दिसम्बर , 1818 को उसका देहावसान हो गया । सवाई जगतसिंह के मृत्युपरांत उसका नाबालिग पुत्र जयसिंह तृतीय शासक बना , जिसने 1835 ई . तक शासन किया ।
रामसिंह द्वितीय (ramsingh divtiya) (1835 – 1880 ई.)
जयसिंह तृतीय की मृत्युपरांत उसका अवयस्क पुत्र रामसिंह मात्र 16 माह की आयु में राजा बना
वयस्क होने तक जयपुर का प्रशासन अंग्रेजों ने संभाला । 1843 ई . में लार्ड लुडलो प्रशासक बनकर आए
उन्होंने सामाजिक कुरीतियाँ सती प्रथा , दास प्रथा , कन्या वध व दहेज प्रथा पर रोक लगाई । रामसिंह द्वितीय ने जयपुर शहर को प्रिंस ऑफ वेल्स | अल्बर्ट के स्वागत में 1876 ई . में गुलाबी रंग ( वास्तविक रंग गेरू ) से रंगवाया । 1876 ई . में प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट की स्मृति में जयपुर में अल्बर्ट हॉल का शिलान्यास करवाया । रामसिंह द्वितीय ने जयपुर में ‘ मदरसा हुनरी ‘ (महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट) का निर्माण करवाया ।
इस संस्था का दूसरा नाम ‘ तसवीरां रो कारखानो ‘ था ।
1.सवाई जयसिंह-दितीय, औरंगजेब (savai jaisingh-ditiya, oragjeb)
महाराजा माधोसिंह द्वितीय (maharaja madhosingh divtiya) (1880 – 1922 ई.)
रामसिंह द्वितीय के दत्तक पुत्र माधोसिंह द्वितीय 1880 ई . में जयपुर के शासक बने ।
माधोसिंह ने मदनमोहन मालवीय का जयपुर में स्वागत करके बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु 5 लाख रुपये की सहायता की ।
महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय (maharaja savai mansingh divtiya)
1922 ई . में माधोसिंह द्वितीय के दत्तक पुत्र मानसिंह द्वितीय जयपुर के शासक बने ।
मानसिंह द्वितीय स्वतंत्रता के पश्चात एकीकृत राजस्थान के राजप्रमुख ( प्रथम एवं एकमात्र ) बनाये गये । सवाई मानसिंह पेरिस ( फ्रांस ) में भारत के प्रथम राजदूत बने ।
1.वीर कल्लाजी, कल्ला राठौड़, हड़बू जी (veer kallaji, kalla rathor, harabu ji)
2.राजस्थान के लोकवदेता, रामदेवजी (rajasthan ke lockvadevta, ramdevji)
3.कंप्यूटर से परिचय, कंप्यूटर की पीढ़िया (computer se prichaya, computer ki pidhiya)