जाट राजवंश (jat rajvansh)
राजस्थान के पूर्वांचल में स्थित भरतपुर एवं धौलपुर रियासतों में । स्वतंत्रता से पूर्व जाट राजवंश का साम्राज्य रहा है । औरंगजेब से पूर्व भरतपुर , डीग एवं धौलपुर के निकट जाट । करवा सरदारों की लघु रियासतें थीं ।
औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् जाट सरदार चूडामन ने ‘ धून का किला बनाकर वहाँ अपना राज्य स्थापित किया ।
चूड़ामन के वंशज बदनसिंह को जयपुर नरेश सवाई जयसिंह ने ‘ ब्रजराज ‘ की उपाधि देकर डीग परगने की जागीर दी ।
भरतपुर के जाट वंश में प्रतापी शासक महाराजा बदनसिंह हुआ , जिसने डीग के जलमहलों का निर्माण करवाया ।
1.भाटी राजवंश, यादव राजवंश (bhati rajvansh, yadav rajvansh)
महाराजा सूरजमल (maharaja surajamal)
बदनसिंह का पुत्र महाराजा सूरजमल भरतपुर का सबसे प्रतापी शासक हुआ ।
भारत के इतिहास में स्वतंत्रता प्रिय एवं वीरोदात्त शासकों में सूरजमल का नाम अग्रगण्य है ।
उसने 12 जून , 1761 ई . को आगरा के किले पर अधिकार कर लिया ।
महाराजा सूरजमल 1763 ई . में नजीब खाँ रोहिल्ला के विरुद्ध युद्ध में वीर गति को प्राप्त हुए ।
महाराजा सूरजमल ने सोधर के निकट 1733 ई . में दुर्ग का निर्माण करवाया जो बाद में भरतपुर के दुर्ग के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
सूरजमल के पश्चात् जवाहरसिंह भरतपुर का शासक बना
जिसने दिल्ली के लाल किले के दरवाजे उतारकर भरतपुर के किले में लगवाये ।
भरतपुर के लोहागढ़ दुर्ग में स्थित जवाहर बुर्ज ‘ में यहाँ के शासकों का राजतिलक करने की परम्परा रही है ।
1803 ई . में यहाँ के शासक रणजीत सिंह ने अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ संधि कर ली ।
मुस्लिम राजवंश (musilam rajvansh)
राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक की स्थापना नवाब अमीर खाँ पिंडारी ने अंग्रेजों की सहायता से 1817 ई . में की बर्माण पिण्डारी , मराठों के लुटेरे सैनिक थे ।
3.राव किशोरसिंह, राव रामसिंह, महाराव भीमसिंह, राव दुर्जनशाल (rav kisorsingh, rav ramsingh, maharav bhimsingh, rav durjanshala)