भाटी राजवंश (bhati rajvansh)
चन्द्रवंशी यादव सरदार भट्टी ने 285 ई . में भटनेर ( वर्तमान हनुमानगढ़ ) में भाटी राजवंश साम्राज्य स्थापित करके दुर्ग बनवाया , उसके वंशज ‘ भाटी ‘ कहलाये । भट्टी का पुत्र मंगलराय एक युद्ध में गजनी के शासक ढुण्डी से पराजित हो गया । अतः उसने भटनेर का क्षेत्र छोड़कर तनोट को भाटी राजवंश की दूसरी राजधानी बनाया ।
यह स्थान वर्तमान में करौली जैसलमेर जिले में पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है ।
तनोट के शासक देवराज भाटी ने पंवार उल्लेख शासकों से लोद्रवा को जीतकर अपनी राजधानी बनाया ।
इस प्रकार लौद्रवा विजयपार भाटियों की तीसरी राजधानी बन गया ।
वर्तमान में यह स्थान जैसलमेर के निकट में स्थित है
तथा जैन मंदिरों एवं मूमल की मेड़ी ‘ के लिए प्रसिद्ध है ।
1155 ई . में भाटी राजा जैसलदेव ने संधि कर दे । जैसलमेर को भाटियों की चौथी राजधानी बनाकर जैसलमेर के दुर्ग ( सोनार का किला ) का निर्माण करवाया । 1570 ई . में आयोजित नागौर दरबार में जैसलमेर के राजा हरराय भाटी ने अकबर की अधीनता स्वीकार करके मुगलों से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये । औरंगजेब के शासनकाल में यहाँ के शासक अमरसिंह ने ‘ अमरकास ‘ नाला बनाकर सिंधु नदी का पानी अपने राज्य क्षेत्र र्तमान में लाया ।
1818 ई . में यहाँ के शासक मूलराज ने अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ संधि कर ली ।
2.सवाई जयसिंह-दितीय, औरंगजेब (savai jaisingh-ditiya, oragjeb)
3.सवाई ईश्वरीसिंह, सवाई माधोसिंह प्रथम, सवाई प्रतापसिंह (savai esvarisingh, savai madhosingh partham, savai partapsingh)
यादव राजवंश (करौली) (yadav rajvansh karoli)
करौली ( प्राचीन नाम गोपालपाल ) में यादव वंश के साम्राज्य की स्थापना विजयपाल यादव द्वारा 1040 ई . में की गई । इसका उल्लेख नल्लसिंह भाट द्वारा रचित महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक काव्य ग्रंथ ‘ विजयपाल रासो ‘ में मिलता है । इस ग्रंथ में करीली का नाम ‘ विजयगढ़ ‘ बताया गया है
विजयपाल के वंशज तिमनपाल द्वारा तिमनगढ़ के दुर्ग का निर्माण करवाया गया
जिसे मुहम्मद गौरी ने कुमारपाल को हराकर जीता ।
बाद में अर्जुनपाल ने 1326 ई . में यह दुर्ग पुनः जीत लिया ।
अर्जुनपाल ने 1348 ई . में करौली ( कल्याणपुर ) नगर बसाया , जिसे धर्मपाल द्वितीय ने अपनी राजधानी बनाया ।
1817 ई . में करौली नरेश हरवक्षपाल सिंह ने अंग्रेजों से सर्वप्रथम संधि कर ली ।
3.सवाई जगतसिंह, रामसिंह द्वितीय, महाराजा माधोसिंह द्वितीय, महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय (savai jagatsingh, ramsingh divtiya, maharaja madhosingh divtiya, maharaja savai mansingh divtiya)