लोकदेवता तेजाजी (lockdevta tejaji)
राजस्थान में जाट समुदाय के आराध्य लोकदेवता तेजाजी का जन्म नागौर जिले के खड़नाल गाँव में हुआ था । इनकी माता का नाम राजकुंवर एवं पिता का नाम ताहड़ जी जाट था । तेजाजी ने लाछा गुजरी की गायों को मेरों से छुड़वाते । हुए अपने प्राणोत्सर्ग कर दिये । साँप या कुत्ते के काटने पर तेजाजी की पूजा की जाती है । किसान तेजाजी का स्मरण करके खेत में बुवाई प्रारम्भ करते हैं , यह खेत में अच्छी फसल होने की कामना के लिए किया जाता है । वैसे तो तेजाजी की पूजा राज्य के अधिकांश भागों में होती है , फिर भी ये अजमेर जिले में अधिक पूजे जाते हैं । अजमेर जिले में इनके प्रमुख थान सुरसुरा ( जहाँ तेजाजी को सर्पदंश हुआ था ) , ब्यावर , सेंदरिया एवं भांवताँ में हैं ।
1.देवनारायण जी गुर्जर (devnarayan ji gurjar)
2.राजस्थान की कला एवं संस्कृति (rajasthan ki kala avm sanskarti)
तेजाजी की घोड़ी लीलण (tejaji ki godi lilan)
तेजाजी के थान पर बैठने वाले भोपे को घोड़ला ‘ कहते हैं । ‘ घोड़ला ‘ सर्पदशं का इलाज करता है ।
लोकदेवता तेजाजी की घोड़ी का नाम लीलण ‘ ( सिणगारी ) था ।
लोकदेवता तेजाजी का विवाह पनेर ( अजमेर ) गाँव के रामचन्द्र जी जाट की बेटी पेमल के साथ हुआ था । राजस्थान में तेजाजी की ख्याति ‘ परम गौरक्षक एवं गायों के मुक्तिदाता ‘ , ‘ काला एवं बाला के देवता ‘ एवं कृषि कार्यों के उपकारक देवता के रूप में है । विक्रम संवत् 1160 की माघ कृष्ण चतुर्थी को तेजाजी का देवलोक गमन हो गया । तेजाजी की स्मृति में ब्यावर के तेजा चौक में प्रतिवर्ष भादवा सुदी दशमी को ‘ तेजाजी का मेला ‘ भरता है । ( तेजा दशमी राजस्थान सरकार द्वारा परबतसर ( नागौर ) में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी से पूर्णिमा तक विशाल पशु मेले का आयोजन किया जाता है ।
यह राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला है
जो ‘ वीर तेजाजी पशु मेला ‘ के नाम से जाना जाता है ।
1.राजस्थान की संस्कृति (rajasthan ki sanskarti)
2.राजस्थान में कला एवं संस्कृति (rajasthan me kala avm sanskarti)
3.अब्दुल कलाम फारसी संस्थान, रवीन्द्र रंगमंच, जयपुर कत्थक केन्द्र, गुरुनानक संस्थान (abdul kalam farasy sansthan, ravindra ragmanch, jaipur katthak kendra, gurunanak sansthan)