राजस्थान में कला एवं संस्कृति (rajasthan me kala avm sanskarti)

राजस्थान में कला एवं संस्कृति से सम्बद्ध संस्थाएँ। (rajasthan me kala avm sanskarti se samband sansthaya)

राजस्थान में कला एवं संस्कृति  संस्थाएँ।
राजस्थान में कला एवं संस्कृति संस्थाएँ।

राज्य में कला संस्कृति, संगीत एवं साहित्य के संवर्द्धन एवं प्रसार – प्रचार में प्राचीन समय से ही विभिन्न व्यक्तियों एवं संस्थाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । संस्थाएँ कलाकारों , साहित्यकारों , संस्कृति – समालोचकों एवं संगीतकारों को मंच प्रदान करती है । वर्तमान समय में राजस्थान में कला संस्कृति, साहित्य एवं संगीत को नई ऊँचाइयाँ दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान करने वाली प्रमुख सरकारी – गैर सरकारी संस्थाओं का वर्णन किया जा रहा है ।


राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम), राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना (rashtriya gramin aajivika missan, rajasthan gramin aajivika priyojana)

1. पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर (paschimi chetra sanskartik kendra,udaypur)

भारत सरकार ने राजस्थान , महाराष्ट्र , गुजरात एवं गोवा राज्यों तथा दमन – दीव एवं दादरा नागर हवेली केन्द्र शासित प्रदेशों की विशिष्ट संस्कृति के संवर्द्धन एवं संरक्षण हेतु उदयपुर में पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना 1986 ई . में की । यह केन्द्र उदयपुर की प्रसिद्ध बागौर की हवेली में स्थापित किया गया है । इस केन्द्र का प्रमुख कार्य लोक – कलाओं का पुनरुत्थान करना एवं लोक कलाकारों को मंच प्रदान करना है । पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा उदयपुर से 13 किमी . की दूरी पर फतेहसागर झील के निकट रमणीक पहाड़ियों की गोद में शिल्पग्राम का निर्माण करवाया गया है ।

‘ शिल्पग्राम ‘ में राजस्थान , महाराष्ट्र , छ गुजरात एवं गोवा के सांस्कृतिक परिवेश एवं गृह प्रकारों की झाँकी देखने को मिलेगी

1.राजस्थान में विविध विकास कार्यक्रम (rajasthan me vividh vikas karyakram)


2.सांसद आदर्श ग्राम योजना, विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम (sansad aadars gram yojana, vidhayak ithaniya chetra vikas karyakram)

2. जवाहर कला केन्द्र, जयपुर (javahar kala kendra, jaipur)

राजस्थान में लुप्त हो रही पारम्परिक कलाओं , लोक संगीत , लोकनृत्य , थिएटर , चित्रकला , ख्याल , दंगल , लोकनाट्यों एवंलोक कलाओं के संरक्षण हेतु राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 1993 में जयपुर में जवाहर कला केन्द्र की स्थापना की ।

इस केन्द्र का उद्घाटन 8 अप्रैल , 1993 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ . शंकरदयाल शर्मा ने किया था।

केन्द्र का भवन अपने विशिष्ट स्थापत्य के लिए भी प्रसिद्ध है ।

इसमें कुल नौ खण्ड हैं , इन खण्डों में मुक्ताकाशी मंच ‘ , रंगायन एवं कृष्णायन थिएटर , पुस्तकालय , कैफेटेरिया एवं स्टूडियो हैं ।

केन्द्र पर वर्ष भर चित्रकला की प्रदर्शनियाँ लगती रहती हैं । यहाँ पर प्रतिमाह अनेक नाटकों का मंचन होता है । जवाहर कला केन्द्र द्वारा प्रतिवर्ष दिसम्बर माह में ‘ लोकरंग ‘ का आयोजन करवाया जाता है जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों के लोकनृत्यों की प्रस्तुति होती है इसी अवसर पर यहाँ राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला भी भरता है । केन्द्र के परिसर में ही ‘ शिल्पग्राम उपस्थित है

जहाँ पर राजस्थान के विभिन्न प्रदेशों के गृहों का निर्माण किया गया है ।

आजकल रुत्थान राजस्थानी फिल्मों , नाटकों एवं दूरदर्शन के कार्यक्रमों की रिकॉर्डिंग यहाँ पर होती है ।

यहाँ पर लोक संस्कृति संग्रहालय अलंकार ‘ की स्थापना की गयी है

जो राज्य की विविध आयामी लोक संस्कृति का प्रदर्शन करता है ।

यहाँ पर शुक्रवारीय नाट्यशाला ‘ एवं ‘ सुर – सरिता ‘ कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं ।

1.भामाशाह योजना( ग्रामीण विकास), मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम पंचायत योजना (mukhyamantri aadarsh gram panchayat yojana)


2.इंदिरा आवास योजना(indira aavas yojana)


3.निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना, स्वविवेक जिला विकास योजना (nirmal gram purskar yojana, svaviveka jila vikas yojana)


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