रावल रत्नसिंह (raval ratansingh)।
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समरसिंह के पश्चात उसका पुत्र रावल रत्नसिंह चित्तौड़ की गद्दी पर बैठा ।
रत्नसिंह की रानी पद्मिनी ( पद्मावती ) सिंहलद्वीप के राजा गंधर्वसेन की पुत्री थी । ऐसा माना जाता है कि रत्नसिंह को पद्मिनी के विषय में गंधर्वसेन के पालतू तोते हीरामन ने बताया , जिसे रत्नसिंह ने एक ब्राह्मण से खरीदा था । रावल रत्नसिंह ने 12 वर्ष योगी के वेश में सिंहल द्वीप में रहने के पश्चात पद्मिनी से विवाह किया । (जनश्रुति के अनुसार ) अलाउद्दीन खिलजी को पद्मिनी के सौंदर्य के बारे में चित्तौड़ से निर्वासित राघव चेतन ने बताया , जिससे पद्मिनी को पाने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 ई . में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया । अलाउद्दीन खिलजी की सेना द्वारा 8 माह तक चित्तौड़ दुर्ग पर घेरा डालने पर भी अभेद्य दुर्ग को नहीं जीत पाने पर खिलजी ने छलकपट से रत्नसिंह को बंदी बना लिया ।
2.राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम), राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना (rashtriya gramin aajivika missan, rajasthan gramin aajivika priyojana)
गोरा व बादल राजपूत सरदार (gora v badal rajput sardar)
गोरा व बादल , जो कि पदुमिनी के रिश्ते में चाचा व भाई लगते थे , ने पालकियों में दासियों के वेष में राजपूत योद्धाओं को भेजकर रत्नसिंह को मुक्त कराया । 1303 ई . घमासान युद्ध में रत्नसिंह के नेतृत्व में गोरा व बादल सहित राजपूत योद्धाओं ने केसरिया किया तथा पद्मिनी के नेतृत्व में राजपूत रानियों ने जौहर किया । यह ‘ चित्तौड़ का प्रथम साका ‘ कहलाता है ।
चित्तौड़ पर विजय के उपरांत किले का शासन खिज्र खाँ को सौंपकर इसका नाम ‘ खिज़ाबाद ‘ रखा
कुछ समय पश्चात् खिज्र खाँ के स्थान पर मालदेव चौहान ( जालोर ) को चित्तौड़ का शासन सौंप दिया ।
अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ अभियान में उसके साथ प्रसिद्ध इतिहासकार ‘ अमीर खुसरो ‘ था ।
1.बायो फ्यूल प्राधिकरण (bayo falula pradhikarn)
2.राष्ट्रीय गोवंश एवं भैंस प्रजनन परियोजना (rashtriya govansh avm bhes parjanan priyojana)
4.भामाशाह योजना( ग्रामीण विकास), मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम पंचायत योजना (mukhyamantri aadarsh gram panchayat yojana)