महाराणा अरिसिंह (maharana arisingh)

महाराजा राजसिंह द्वितीय की नि:संतान मृत्यु होने पर महाराणा जगतसिंह द्वितीय के छोटे पुत्र महाराणा अरिसिंह को गद्दी पर बैठाया ।
स्वर्गीय राजसिंह द्वितीय की झाली रानी के गर्भ से एक बालक का जन्म हुआ जिसका नाम रत्नसिंह हुआ ।
सरदार लोग उसी बालक को गद्दी पर बैठाने का उद्यम करने लगे ।
अरिसिंह क्रोधी, हठी और मूर्ख स्वभाव का राजा था । उसने सरदारों को संतुष्ट करके अपने पक्ष में लेने का उद्यम नहीं किया और एक – एक करके सरदारों की हत्या करवानी आरम्भ की तथा सिन्धियों , गुजरातियों और मुसलमानों की सेनायें रख लीं । झाली रानी के गर्भ से उत्पन्न बालक रत्नसिंह चेचक की बीमारी से मात्र सात वर्ष का होकर मर गया । तब सरदारों ने एक अन्य बालक को रत्नसिंह घोषित कर दिया और उसके नेतृत्व में महाराणा से लड़ाई जारी रखी । इस कारण चारों ओर अव्यवस्था फैल गई । बूंदी राज्य से भी मेवाड़ की शत्रुता हो गई ।मेवाड़ी सरदार फ्रांसीसी सेनापति समरू को मेवाड़ पर चढ़ा लाये किन्तु महाराणा ने उसे परास्त कर संधि करने पर विवश प्रताप कर दिया था।
महाराणा रायमल, महाराणा सांगा (maharana raymal, maharana sanga)
महाराणा हम्मीरसिंह (द्वितीय) (maharana hammirsingh divtiya)
1773 ई . में बूंदी के राव अजीतसिंह ने अरिसिंह की हत्या कर दी ।
अरिसिंह का पुत्र हम्मीरसिंह (द्वितीय) मेवाड़ की गद्दी पर बैठा ।
उस समय वह लगभग 12 वर्ष का बालक था । 1778 ई . में शिकार खेलते समय बंदूक की नली फट जाने से महाराणा हम्मीरसिंह की मृत्यु हो गई ।
उस समय वह मात्र 17 वर्ष का बालक था ।
अतः उसका छोटा भाई भीमसिंह मात्र 10 वर्ष की आयु में मेवाड़ का स्वामी हुआ ।
महाराणा सांगा व इब्राहीम लोदी (maharana sanga v ebrahim lodi)
महाराणा भीमसिंह (maharana bhimsingh)
राणा भीमसिंह की पुत्री कृष्णाकुमारी के विवाह को लेकर जोधपुर के राजा मानसिंह व जयपुर के जगतसिंह के मध्य गिंगोली का युद्ध हुआ जिसमें जोधपुर की सेना हार गई । कृष्णाकुमारी का विवाह जोधपुर के भीमसिंह से तय हुआ था । लेकिन भीमसिंह की मृत्यु हो जाने पर महाराणा भीमसिंह ने उसका विवाह जगतसिंह ( जयपुर ) से तय किया जिसका विरोध मानसिंह ( जोधपुर ) द्वारा किया गया जिसके कारण गिंगोली का युद्ध हुआ
जिसमें अमीर खाँ पिण्डारी की सहायता से जगतसिंह ( जयपुर ) जीत गये ।
लेकिन 1810 ई . में कृष्णाकुमारी ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली ।
महाराणा भीमसिंह ने 1818 ई . में अंग्रेजों से संधि कर ली ।
1.महाराजा अभयसिंह, विजयसिंह, महाराजा मानसिंह (maharaja abhayasingh, vijayasingh, maharaja mansingh)