खारे पानी की झीले (khare pani ki jeele)
राजस्थान की खारे पानी की झीले – राजस्थान की खारे पानी की झीले की उत्पत्ति एवं नमक के स्रोत के बारे में विभिन्न विद्वानों के विचार –
– हुम्स – विशाल जलाशय द्वारा (आंतरिक जल प्रवाह की नदियों द्वारा परिपूरित)
– नॉटीलिंग – लवणीय जल के स्रोतों द्वारा (लवणीय चटाने)
– होलैंण्ड एवं क्राइस्ट – ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली द, प मानसूनी पवनों द्वारा कच्छ की खाड़ी से अपने साथ सोडियम क्लोराइड के कण लाकर राजस्थान में छोड़े जाते हैं|
सांभर झील (जयपुर- नागौर) (sambhar jeel jaipur-nagor)
– सांभर झील 27 डिग्री से 29 डिग्री उत्तरी अक्षांश एवं 14 डिग्री से 75 डिग्री पूर्वी देशांतरों के मध्य जयपुर एवं नागौर जिले में स्थित है
– भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 367 मीटर है !
– इस झील में मन्था (मेढा), रूपनगढ़ खारी खण्डेला इत्यादि नदियां सहित विभिन्न नाले जल लाते हैं जिनकी अपवाह क्षेत्र 500 वर्ग किमी से भी ज्यादा है !
– सांभर झील की अधिकतम लंबाई 32 किमी तथा चौड़ाई 3 से 12 किमी है !
– झील का अधिकतम छेत्रफल वर्षा ऋतु से 145 वर्ग किमी तक का हो जाता है !
– झील में 4 मीटर की गहराई तक नमक की अनुमानित मात्रा 350 लाख टन है !-
– भारत सरकार की हिंदुस्तान नमक कंपनी द्वारा 1964 में सांभर साल्ट परियोजना प्रारंभ की गई जो यहां पर नमक का उत्पादन करती है !
– यहां पर सोडियम सल्फेट बनाने का कारखाना भी है!
– देश के कुल नमक का 8% सांभर झील से प्राप्त किया जाता है!
– यहां पर मुगल काल से ही नमक निकाला जा रहा है|
डीडवाना झीला (नागौर ) (didvana jeel nagor)
– 27 डिग्री उत्तरी अक्षांश एवं 74 डिग्री देशांतर पर स्थित डीडवाना झील की लंबाई लगभग 4 किमी चौडाई 3से6 किमी है यहां पर वर्ष भर नमक तैयार किया जाता है
– यहां पर राजस्थान सरकार द्वारा सोडियम सल्फेट बनाने का सबसे बड़ा संयंत्र स्थापित किया गया है क्लोराइड की मात्रा अधिक होने से यहां पर नमक खाने अयोग्य है इसका उपयोग एवं रंगाई छपाई उद्योग में किया जाता है (उद्योगिक नमक)
नकी झील (सिरोही) (naki jeel (sirohi)
पचपदरा झील (बाड़मेर ) (pachpadra jeel badmer)
– बाड़मेर जिले के बालोतरा से 35 किमी उत्तर – पश्चिम में स्थित यह वर्षा पर निर्भर नहीं है बल्कि नित्यावाही जल से प्राप्त स्रोत मिल जाता है!
– यहां के सोडियम क्लोराइड की मात्रा 98 प्रतिशत होने के कारण खाने की दृष्टि से सर्वोत्तम होता है! यहां पर राजस्थान सरकार का राज्यकीय लवण स्त्रोत है !
– यहां पर नमक का उत्पादन परंपरागत रूप से खारवाल जाति के लोगों के द्वारा मोराली नामक झांडी की टहनी की सहायता से किया जाता है यहां पर नमक उत्तम किस्म का होता है
लूणकरणसर झील (बीकानेर) (lunakransir jeel bikaner)
– राजस्थान में बीकानेर जिले में बीकानेर श्री गंगानगर मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग स, 15) पर लूणकरणसर कस्बे के निकट स्थित है !
– राजस्थान की एकमात्र खारे पानी की झील है खारापन कम होने की वजह से स्थानीय मांग की पूर्ति का ही नमक उत्पादित होता है|
फतेहसागर झील उदयपुर, पुष्कर झील अजमेर (phatehasagar jeel udaypur, puskar jeel ajmer)
राजस्थान में खारे पानी की अन्य प्रमुख जिले–
1 कावोद एवं पोकरण( जैसलमेर )
2 डेगाना एवं कुचामन-( नागौर )
3 कोछोर एवं रैवासा( सीकर)
4 फलोदी (जोधपुर)
– सांभर डीडवाना पंचपदरा में छोटी-छोटी नमक उत्पादन निजी संस्थाएं हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में देवल कहते हैं
– राजस्थान में नमक की सबसे बड़ी मंण्डी नावा (नागौर) है|
1.राजस्थान की मीठे पानी की झीले (rajasthan ki mithe pani ki jeele)
2.रेगिस्तान की अनेक पशु नस्लें – ऊंट, अश्व (घोड़े ), गधे, खच्चर, सुअर, कुक्कुट(मुर्गी)पालन (registan ki anek pashu nasle – unth, ashve(gode), gadhe, khachar, suar, kukkuta(murgi)palan)