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महाराजा अजीतसिंह, वीर दुर्गादास राठौड़, maharaja ajit singh, veer durgadas rathore

महाराजा अजीतसिंह
महाराजा अजीतसिंह

महाराजा अजीतसिंह, maharaja ajit singh ( 1707 – 1724 ई.)

जसवंतसिंह की मृत्यूपरान्त 19 फरवरी , 1679 को उसकी गर्भवती रानी ने लाहौर में राजकुमार महाराजा अजीतसिंह को जन्म दिया । औरंगजेब इनकी हत्या करना चाहता था लेकिन दुर्गादास राठौड़ , मुकन्ददास खींची व अन्य सरदारों के साथ राजकुमार को सुरक्षित निकालकर कालन्द्री ( सिरोही ) में जयदेव ब्राह्मण के यहाँ इनकी परवरिश की तथा अजीतसिंह को जोधपुर की गद्दी पर बिठाया गया। अजीतसिंह ने बहकावे में आकर दुर्गादास को राज्य से निष्कासित कर दिया तब वे मेवाड़ चले गये ।

बाद में दुर्गादास की मृत्यु उज्जैन में हुई जहाँ उनकी समाधि क्षिप्रा नदी के तट पर बनी हुई है ।

महाराजा अजीतसिंह ने मुगल बादशाह फर्रुखशियर से संधि कर अपनी पुत्री इन्द्र कुंवर का विवाह सुल्तान से कर दिया ।

महाराजा अजीतसिंह की हत्या उनके पुत्र बख्तसिंह ने 23 जून , 1724 को कर दी थी ।


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वीर दुर्गादास राठौड़, veer durgadas rathore

दुर्गादास राठौड़ जसवंत सिंह के मंत्री आसकरण का पुत्र था । उसका जन्म 1638 ई . में जोधपुर के निकट सालवा ग्राम में हुआ । जब मारवाड़ को शाही जमीन में शामिल कर बालक अजीत सिंह को इस्लामी शिक्षा – दीक्षा की व्यवस्था की गई तो दुर्गादास राठौड़ ने सरदारों को संगठित कर युक्ति से युवराज को शाही चंगुल से बचा लिया । उसने सिसोदियों के साथ गठबंधन कर मुगलों के दाँत खट्टे किये । जब मेवाड़ के साथ संधि हुई तो वह कूटनीति पूर्ण तरीके से अकबर को निकालकर मराठा दरबार में ले गया । इससे औरंगजेब अपनी पूरी शक्ति मारवाड़ पर केन्द्रित न कर सका और अन्त में उसे विवश होकर दुर्गादास और अजीतसिंह के साथ संधि के लिए बाध्य होना पड़ा था । 

मारवाड़ के सरदार उसका विशेष सम्मान करते थे ।

जब दुर्गादास अजीतसिंह के पास जोधपुर आ गया और वह समझ गया

कि अब उसे दुर्गादास की आवश्यकता नहीं रही तो एक स्वार्थी शासक की भाँति उसने उसे मारवाड़ से निकाल दिया । दुर्गादास अपने परिवार सहित उदयपुर के महाराणा अमरसिंह द्वितीय की सेवा में चला गया । बाद में उसे रामपुरा का हाकिम नियुक्त कर दिया गया । दुर्गादास राठौड़ की मृत्यु उज्जैन में 22 नवम्बर , 1718 ईस्वी को हो गयी ‘ दुर्गादास सप्तशती ‘ की रचना नारायणसिंह कविया ने की है ।


1.राजस्थान के परमार राजवंश – आबू, जालौर, मालवा, किराडु, वागड़ के परमार (rajasthan ke parmar rajvansh – aabu, jallor, malva, kiradu, ke parmar)


2.नागभट्ट द्वितीय, भोजदेव प्रतिहार, राजोगढ़ के गुर्जर प्रतिहार (nagbhat divatiye, bhojdev pratihar, rajogadh ke gujar pratihar )


3.जालौर, उज्जैन, कन्नौज और वत्सराज प्रतिहार (jalore, ujjain, kannauj or watsaraj pratihar)


4.मण्डोर के प्रतिहार राजवश (mandhor ke partihar rajvansh)




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