कविराजा श्यामलदास, kaviraja shyamal das

मेवाड़ के महाराणा शम्भूसिंह व उनके पुत्र सज्जनसिंह के शासनकाल में कविराजा श्यामलदास दधवाड़िया द्वारा रचित ‘ वीर विनोद ‘ ग्रथ में उदयपुर राज्य के इतिहास का विस्तृत वर्णन का विस्तार है । श्यामलदास का संबंध भीलवाड़ा से है । महाराणा फतहसिंह ने किसी कारणवश इस ग्रंथ के प्रचलन पर रोक लगाई थी ।
राजस्थान का प्राचीन इतिहास (rajasthan ka parachin itihas)
गौरीशंकर हीराचन्द ओझा,gaurishankar hirachand ojha
सिरोही में जन्मे श्री ओझा ने सर्वप्रथम हास , 1911 में ‘ सिरोही राज्य का अनेख इतिहास लिखा , तत्पश्चात् सम्पूर्ण राजस्थान के विभिन्न राज्यों का डौती इतिहास लिखने वाले इतिहासकार श्री ओझा राजस्थान के प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता भी माने जाते गये हैं ।
राजपूताने का इतिहास एवं ‘ भारतीय प्राचीन लिपिमाला ‘ इनके महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ माने गये हैं |
मथुरा मानमोरी का शिलालेख (mathura manmori ka shilalekh)
मुंशी देवी प्रसाद,munshi devi prasad
जयपुर में जन्मे मुंशी देवी प्रसाद ने बाबरनामा , हुमायूँनामा , जहाँगीरनामा इत्यादि फारसी ग्रंथों का हिन्दी अनुवाद करने के साथ स्वप्न राजस्थान ‘ नामक ग्रंथ में राजपूत शासकों के चरित्र का उल्लेख किया था |
रामनाथ रत्नू, ramnath ratnu
जयपुर में जन्में प्रसिद्ध चारण इतिहासकार रामनाथ राजस्थान का इतिहास ‘ नामक ग्रंथ की रचना का वर्णन किया ।
जगदीश सिंह गहलोत, jagdish singh gehlot
इन्होंने तीन खण्डों में राजस्थान का सम्पूर्ण इतिहास लिखा । मुँहता नैणसी । मेहता नैणसी मारवाड़ के राजा जसवंत सिंह का समकालीन | विद्वान एवं इतिहासकार था । मुंशी देवीप्रसाद ने मुँहता नैणसी | को ‘ राजपूताने का अबुलफजल ‘ कहा है ।
इनके द्वारा रचित ‘ मुंहता नैणसी री ख्यात ‘ में राजपूताने की तत्कालीन सामाजिक , आर्थिक एवं सांस्कृतिक जानकारी मिलती है ।
इनकी दूसरी रचना मारवाड़ रा परगनां री विगत ‘ हैं ।
महाराजा अजीतसिंह, वीर दुर्गादास राठौड़ (maharaja ajitsigh, veer durgadhas rathor) (1707-1724 ई.)
रामकरण आसोपा, ramkarn asopa
मारवाड़ के रामकरण आसोपा ने इतालवी विद्वान लुइज पियो टैस्सीटोरी के साथ राजस्थान ( तत्कालीन राजपूताने ) के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करके वृहद् डिंगळ कोष ‘ तैयार किया ।
रीमा हुजा या प्रचलन (rima huja ya parchalan)
इतिहासकार रीमा हूजा ने ‘ द हिस्ट्री ऑफ राजस्थान ‘ नामक पुस्तक लिखी । जिसमें राजस्थान के इतिहास की विस्तृत जानकारी उपस्थित है ।
आऊवा का जम्मर( पुरुषों का जौहर) aahuva ka jammar(puruso ka johar)
चौहान राजवंश शाकम्भरी व अजमेर के चौहान (chohan rajvansh shakambari v ajmer ke chohan) — Draft