WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

कविराजा श्यामलदास, गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, मुंशी देवी प्रसाद, रामनाथ रत्नू, जगदीश सिंह गहलोत, रामकरण आसोपा, kaviraja shyamal das, gaurishankar hirachand ojha, munshi devi prasad, ramnath ratnu, jagdish singh gehlot, ramkarn asopa

कविराजा श्यामलदास, kaviraja shyamal das

कविराजा श्यामलदास
कविराजा श्यामलदास

मेवाड़ के महाराणा शम्भूसिंह व उनके पुत्र सज्जनसिंह के शासनकाल में कविराजा श्यामलदास दधवाड़िया द्वारा रचित ‘ वीर विनोद ‘ ग्रथ में उदयपुर राज्य के इतिहास का विस्तृत वर्णन का विस्तार है । श्यामलदास का संबंध भीलवाड़ा से है । महाराणा फतहसिंह ने किसी कारणवश इस ग्रंथ के प्रचलन पर रोक लगाई थी ।

राजस्थान का प्राचीन इतिहास (rajasthan ka parachin itihas)

गौरीशंकर हीराचन्द ओझा,gaurishankar hirachand ojha

सिरोही में जन्मे श्री ओझा ने सर्वप्रथम हास , 1911 में ‘ सिरोही राज्य का अनेख इतिहास लिखा , तत्पश्चात् सम्पूर्ण राजस्थान के विभिन्न राज्यों का डौती इतिहास लिखने वाले इतिहासकार श्री ओझा राजस्थान के प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता भी माने जाते गये हैं ।

राजपूताने का इतिहास एवं ‘ भारतीय प्राचीन लिपिमाला ‘ इनके महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ माने गये हैं |

मथुरा मानमोरी का शिलालेख (mathura manmori ka shilalekh)

मुंशी देवी प्रसाद,munshi devi prasad

जयपुर में जन्मे मुंशी देवी प्रसाद ने बाबरनामा , हुमायूँनामा , जहाँगीरनामा इत्यादि फारसी ग्रंथों का हिन्दी अनुवाद करने के साथ स्वप्न राजस्थान ‘ नामक ग्रंथ में राजपूत शासकों के चरित्र का उल्लेख किया था |

महाराजा गजसिंह प्रथम, वीर अमरसिंह राठौड़, महाराजा जसवंत सिंह प्रथम (majaraja gajsingh pratham, veer amarsingh ratore, maharaja jaswant sigh pratham)

रामनाथ रत्नू, ramnath ratnu

जयपुर में जन्में प्रसिद्ध चारण इतिहासकार रामनाथ राजस्थान का इतिहास ‘ नामक ग्रंथ की रचना का वर्णन किया ।

जगदीश सिंह गहलोत, jagdish singh gehlot

इन्होंने तीन खण्डों में राजस्थान का सम्पूर्ण इतिहास लिखा । मुँहता नैणसी । मेहता नैणसी मारवाड़ के राजा जसवंत सिंह का समकालीन | विद्वान एवं इतिहासकार था । मुंशी देवीप्रसाद ने मुँहता नैणसी | को ‘ राजपूताने का अबुलफजल ‘ कहा है ।

इनके द्वारा रचित ‘ मुंहता नैणसी री ख्यात ‘ में राजपूताने की तत्कालीन सामाजिक , आर्थिक एवं सांस्कृतिक जानकारी मिलती है ।

इनकी दूसरी रचना मारवाड़ रा परगनां री विगत ‘ हैं । 

महाराजा अजीतसिंह, वीर दुर्गादास राठौड़ (maharaja ajitsigh, veer durgadhas rathor) (1707-1724 ई.)

 रामकरण आसोपा, ramkarn asopa

मारवाड़ के रामकरण आसोपा ने इतालवी विद्वान लुइज पियो टैस्सीटोरी के साथ राजस्थान ( तत्कालीन राजपूताने ) के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करके वृहद् डिंगळ कोष ‘ तैयार किया ।

रीमा हुजा या प्रचलन (rima huja ya parchalan)

इतिहासकार रीमा हूजा ने ‘ द हिस्ट्री ऑफ राजस्थान ‘ नामक पुस्तक लिखी । जिसमें राजस्थान के इतिहास की विस्तृत जानकारी उपस्थित है ।

आऊवा का जम्मर( पुरुषों का जौहर) aahuva ka jammar(puruso ka johar)


चौहान राजवंश शाकम्भरी व अजमेर के चौहान (chohan rajvansh shakambari v ajmer ke chohan) — Draft

Leave a Comment