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prithviraj tritiya ka itihas, tarain ka yuddh, tarain ka pratham yuddh, hammir dev chauhan ka itihas – (तराइन का प्रथम युद्ध, पृथ्वीराज तृतीय का इतिहास, हम्मीर चौहान वंश का शासक)

tarain ka pratham yuddh (तराइन का प्रथम युद्ध ( 1191 ई . )) :-

पृथ्वीराज तृतीय
पृथ्वीराज तृतीय

भारत के उत्तर पश्चिमी भाग पर गजनवी के बाद जब गौरी वंश प्रबल हुआ तो मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज तृतीय की महत्वाकांक्षायें दोनों एक – दूसरे के पास ले आई । पृथ्वीराज तृतीय का साम्राज्य इस समय तक सतलज नदी से बेतवा नदी तक और हिमालय से आबू तक फैला हुआ था । मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज तृतीय के बीच अनेक बार मुठभेड़ हुई ऐसा प्रमाणित होता है । कि हम्मीर महाकाव्य ने पृथ्वीराज का गौरी को सात बार परास्त करना लिखा है ।

1191 ईस्वी में मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज तृतीय के बीच हरियाणा के करनाल जिले के तराइन के मैदान में घमासान युद्ध लड़ा गया जिसमें मोहम्मद गौरी की अपमानजनक पराजय का सामना करना पड़ा ।

विजय के जोश में मग्न होकर पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी की भागती हुई

सेना का पीछा नहीं किया ।

यद्यपि अनेक इतिहासकार इसे पृथ्वीराज(prithviraj) की उदारता मानते हैं , परन्तु यह उसकी महान् भूल थी ।

1.सिरोही के चौहान राज वंश ( देवड़ा )(sirohi ke chohan raj vansh (deora))

2.जालौर के चौहान( सोनगरा चौहान ),नाडोल के चौहान(jalor ke chohan) 

3.राव चन्द्रसेन और मुगलों का शासन, गिरी – सुमेल का युद्ध (rav chandrasen or mugalo ka shasan, giri sumer yuddh)

hammir dev chauhan ka itihas (हम्मीर चौहान वंश का शासक( 1282 – 1301 ई . ),पृथ्वीराज तृतीय) :-

जैत्रसिंह का पुत्र हम्मीर चौहान वंश की इस शाखा का अंतिम व सबसे प्रतापी शासक था , जिसने 1282 ई . से 1301 ई . तक शासन किया था । हम्मीर के शासनकाल में 1290 ई . में सुल्तान जलालुद्दीन ने आक्रमण कर ‘झाइन के दुर्ग ‘ पर विजय प्राप्त की थी। तत्पश्चात 1292 ई . में रणथम्भौर पर आक्रमण किया लेकिन सफलता नहीं मिली ।

जलालुद्दीन रणथम्भौर पर आक्रमण करने वाला प्रथम खिलजी शासक बना था ।

अपनी हठ व शरणागत की रक्षा हेतु प्रसिद्ध हम्मीर के द्वारा अलाउद्दीन खिलजी के भगौड़े सैनिक नेता मुहम्मद शाह को शरण देने पर अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया , 1301 ई . में हुए रणथम्भौर के युद्ध में हम्मीर सहित सभी राजपूत योद्धा मारे गये |

हम्मीर की रानी रंग देवी के नेतृत्व में सैकड़ों वीरांगनाओं ने जौहर किया था ।

रणथम्भौर के युद्ध में अलाउद्दीन के साथ अमीर खुसरो व अलाउद्दीन का छोटा भाई उलुग खाँ भी शामिल थे ।

हम्मीर के शासनकाल के विषय में विस्तृत जानकारी नयनचन्द्र सूरि द्वारा रचित हम्मीर महाकाव्य व ‘ सुर्जन चरित्र ‘ , जोधराज रचित हम्मीर रासो , चन्द्रशेखर रचित ‘ हम्मीर हठ ‘ , अमीर खुसरो तथा बरनी द्वारा रचित अन्य ग्रंथों में मिलती है |

रणथम्भौर के प्रतापी चौहान शासक हम्मीर के संदर्भ में यह उक्ति राजस्थान में लोक प्रचलित है-
‘ त्रिया तेल , हम्मीर हठ , चढ़े न दूजी बार ।

( अर्थात वधू के तेल की रस्म के बाद विवाह एवं अधीन ले हम्मीर के हठ करने के बाद वीरगति ही प्राप्त होती है )

1.सोजत, जोधपुर और जैसलमेर में राव मालदेव का इतिहास(sojat, jodhpur or jesalamer me rav maladev ka itihas)

2.राजस्थान के अभयारण्य – तालछापर अभयारण्य (चूरू ), वन विहार अभयारण्य (धौलपुर ), माउंट आबू अभयारण्य (सिरोही)(rajasthan ke abhayarany)

3.राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान, रणथंबोर(सवाईमाधोपुर),केवलादेव(भरतपुर),मुकुंदरा हिल्स(कोटा चित्तौड़गढ़)(rajasthan ke rashtriy uddhan)

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