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rav chandrasen ka itihas, giri sumer yuddh, mota raja rav uday singh (राव चन्द्रसेन का इतिहास, गिरी – सुमेल का युद्ध, मोटा राजा राव उदय सिंह)

गिरी – सुमेल का युद्ध(giri sumer yuddh) :-

युद्ध गिरी – सुमेल का ( 1544 ई . ) :-

गिरी - सुमेल का युद्ध
गिरी – सुमेल का युद्ध

शेरशाह सूरी ने दिल्ली व आगरा पर अधिकार कर लेने के पश्चात मारवाड़ पर आक्रमण किया । ‘ गिरी – सुमेल ‘ ( जैतारण , पाली ) नामक स्थान पर मालदेव व शेरशाह सूरी के मध्य भयंकर युद्ध हुआ | जिसमें शेरशाह सूरी छल – कपट से विजयी हुआ । इस युद्ध में मालदेव के वीर सेनानायक जैता व कँपा वीरगति को प्राप्त हुए । इस युद्ध में बीकानेर के राव कल्याणमल व मेड़ता के वीरमदेव ने शेरशाह का साथ दिया । जोधपुर विजय के पश्चात् शेरशाह सूरी ने किले का प्रबंध खवास खाँ को सौंपा जिसे हराकर मालदेव ने पुनः अधिकार कर लिया था ।

युद्ध गिरी समेल में विजय के पश्चात शेरशाह सूरी ने मालदेव के सैनिकों की वीरता से प्रभावित होकर कहा कि में एक मुट्ठी भर बाजरे के लिए दिल्ली की बादशाहद खो देता ।

1.सोजत, जोधपुर और जैसलमेर में राव मालदेव का इतिहास(sojat, jodhpur or jesalamer me rav maladev ka itihas)

2.जोधपुर के राजा राव सातल, राव सूजा और राव गांगा (jodhpur k raja rav satal , rav suja or rav ganga)


3.राठौड़ राजवंश का इतिहास(मालाणी के राठौड़,जोधपुर ( मारवाड़ ) के राठौड़,)

राव चन्द्रसेन का इतिहास(rav chandra ka itihas)( 1562-1583 ई . ) :-

1562 ई . में मालदेव की मृत्युपरांत उसका पुत्र राजगद्दी पर बैठा |

जिससे मालदेव का ज्येष्ठ पुत्र उदयसिंह नाराज होकर अकबर के पास चला गया ।

अकबर ने हुसैनकुली के नेतृत्व में शाही सेना भेजकर जोधपुर पर अधिकार कर लिया और चन्द्रसेन भाद्राजून चला गया था।

अकबर ने नवम्बर 1570 ई . को नागौर में नागौर दरबार आयोजित किया |

जिसमें जैसलमेर नरेश रावल हरराय, बीकानेर नरेश राव कल्याणमल एवं उनके पुत्र रायसिंह व चन्द्रसेन के भाई उदयसिंह ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।

रायसिंह को जोधपुर का शासन संभलाया गया ।

चन्द्रसेन मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं करते हुए अन्तिम समय तक संघर्ष करता रहा |

इस कारण उन्हें मारवाड़ का महाराणा प्रताप व ‘ मारवाड़ का भूला भटका शासक ‘ कहते हैं ।

मोटा राजा राव उदयसिंह ( 1583 – 1595 ई . ) :-

राव मालदेव के पुत्र व चन्द्रसेन के बड़े भ्राता उदयसिंह 4 अगस्त , 1583 ई . में जोधपुर के गद्दी पर बैठे ।

उदयसिंह ने 1593 ई . में बालोतरा के निकट राव मल्लीनाथ चैत्री पशु मेला प्रारम्भ करवाया था।

उदयसिंह मारवाड़ के प्रथम शासक थे |

जिन्होंने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर अपनी पुत्री मानबाई ( जगत गुसाई ) का विवाह शहजादे सलीम ( जहाँगीर ) से किया था ।

1.राजस्थान में वनों के प्रकार(शुष्क सागवान वन,शुष्क वन,मिश्रित पतझड़ वन)

2.राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान, रणथंबोर(सवाईमाधोपुर),केवलादेव(भरतपुर),मुकुंदरा हिल्स(कोटा चित्तौड़गढ़)

3.राजस्थान के अभयारण्य – तालछापर अभयारण्य (चूरू ), वन विहार अभयारण्य (धौलपुर ), माउंट आबू अभयारण्य (सिरोही)(rajasthan ke abhayarany)

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