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भपंग, रवाज, कमायचा, इकतारा, तन्दूरा (तम्बूरा), रबाब वाद्य यंत्र (bhampag, ravaaj, kamaayacha, ikatara, tandura (tambura), rabaaba vaddh yantra)

तन्दूरा ( तम्बूरा ) वाद्य यंत्र (tandura (tambura) vaddh yantra)

तन्दूरा वाद्य यंत्र
तन्दूरा वाद्य यंत्र

इस तन्दूरा वाद्य यंत्र में चार तार होते हैं , जिसे कामड़ जाते के लोग अधिक बजाते हैं । इसके संगत में करताल – मंजीरे – चिमटा आदि वाद्य काम में लिए जाते हैं । इसे अंगुलियों में मिश्रा पहनकर बजाया जाता है

1.ठुमरी संगीत, टप्पा संगीत, हवेली संगीत, दादरा संगीत, तराना संगीत, मॉड संगीत (thumaree sangeet, tappa sangeet, havelee sangeet, daadara sangeet, taraana sangeet, mod sangeet)

भपंग वाद्य यंत्र (bhampag vaddh yantra)

यह वाद्य कटे हुए तुम्बे से बनाया जाता है जिसके सिरे पर चमड़ा मढ़ा होता है ।

अलवर क्षेत्र में यह वाद्य प्रचलित है । जहूर खाँ मेवाती इसके वादन में सिद्धहस्त थे ।

अपंग इस वाद्य यंत्र को कद्दू की तूम्बी से बनाया जाता है । यह भपंग से मिलता – जुलता रूप है जिसे लकड़ी की सहायता से भील व गरासिया जाति द्वारा बजाया जाता है ।

1.हिंदुस्तानी गायन शैली – ध्रुपद संगीत, ख्याल संगीत, विषय वस्तु संगीत, घराना संगीत (hindustaanee gaayan shailee – dhrupad sangeet, khyaal sangeet, vishay astu sangeet, gharaana sangeet)

रवाज वाद्य यंत्र (ravaaj vaddh yantra)

यह वाद्य यंत्र सारंगी की श्रेणी का ही वाद्य है । इसे गज रुनी नागाड़ा , ढीबको , डैरू , ढाक , औल , मंडल , जिम पटा . के स्थान पर नख से आघात करके बजाया जाता है । इसमें 12 तार होते हैं ।

मेवाड़ के राव एवं भाट जाति के लोग इसे बजाते हैं ।

इसे मारवाड़ के रावल रम्मत के समय बजाते हैं ।

1.राजस्थान के लोकगीत, घुड़ला गीत, चिरमी गीत, कागा गीत, लांगुरिया गीत, बधावा गीत, हीडो गीत, रसिया गीत, लावणी गीत, हरजस गीत, तेजा गीत, हमसीढ़ो गीत

कमायचा वाद्य यंत्र (kamaayacha vaddh yantra)

यह सारंगी जैसा वाद्य यंत्र है । इसकी तबली चमड़े से मढ़ी गोल होती है । बाड़मेर , जैसलमेर के माँगणियार व लंगा जाति के लोगों द्वारा बजाया जाता है ।

1.राजस्थान लोक संगीत लोकगीत एवं लोक वाघ – राजस्थानी शास्त्रीय संगीत (rajasthan shastriya sangit, rajasthani kavya guru ganpat, tok riyasat)

इकतारा वाद्य यंत्र (ikatara vaddh yantra)

जिसका सम्बन्ध मुनि नारद से जोड़ा जाता है ।

इकतारा एक हाथ की अँगुली से ही बजाया जाता है जबकि दूसरे हाथ में करताल रखी जाती है ।

इकतारा नाथ , साधु संन्यासी भजन मण्डली आदि में बजाते हैं ।

1.फड या पड़ लोकनाट्य, लीलाएँ लोकनाट्य, कत्थक लोकनाट्य (phad ya pad loknatkya, leelaye loknatkya, kathak loknatkya)

रबाब वाद्य यंत्र (rabaaba vaddh yantra)

अलवर टो क्षेत्र में सुप्रसिद्ध इस वाद्य यंत्र को मेवा विभागों द्वारा बजाया जाता है

1.गवरी लोकनाट्य, तमाशा लोकनाट्य (gavari locknatkiya, tamasha locknatkiya)

सूरमंण्डल स्वरमंडल वाद्य यंत्र (surmandal suvarmandal vaddh yantra)

लकड़ी के पटिया से चतुष्कोण या आकृति किस वाद्य यंत्र को ऊपरी भाग तिरछा होता है

प्राचीन काल में कोकिला वीणा के नाम से सुप्रसिद्ध किस वाद्ययंत्र को पश्चिमी राजस्थान में मांगणियार लोक बजाते हैं

1.नौटंकी लोकनाट्य, स्वांग लोकनाट्य, भवाई लोकनाट्य, चारबैत लोकनाट्य (notanki loknatkya, svang locknatkiya, bhavai locknatakiya, charbet locknatkiya)


2.राजस्थान के लोकनाट्य – ख्याल लोकनाट्य, रम्मत लोकनाट्य (rajasthan ke locknatkiya – khyala locknatkiya, rammat locknatkiya)

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