सच्चियाय माता (sachiyay mata)
ओसवालों की कुलदेवी ‘ सच्चियाय माता का मन्दिर ओसियाँ ( जोधपुर ) में स्थित है । मन्दिर का निर्माण यहाँ के परमार राजकुमार उपलदेव ने करवाया था । सच्चियाय माता को ‘ महिषासुर मर्दिनी ‘ का सात्विक रूप माना जाता है। कैवाय माता कैवाय माता का मंदिर नागौर जिले में परबतसर के निकट स्थित है । मुहता नैणसी के अनुसार सांभर के चौहान राजा दुर्लभराज के सामंत चच्च देव दधीचिक ने इस मंदिर का निर्माण 909 ई . में करवाया । कैवाय माता चामुण्डा माता का ही एक रूप है । मंदिर परिसर में मारवाड़ के शासक अजीतसिंह के समय का एक शिलालेख उत्कीर्ण है।
1.सुन्धा माता, नारायणी माता, त्रिपुर सुन्दरी ( तुरताई माता ) (sundha mata, narayani mata, tripura sundari (turatai mata)
सकराय माता ( शंकरा ) (sakaray mata (shankara)
राजस्थान में खण्डेलवाल वैश्यों की कुलदेवी ‘ सकराय माता ‘ को संस्कृत साहित्य में ‘ शकर राय ‘ या ‘ शाकम्भरी ‘ कहा जाता है । ऐसा माना जाता है कि एक बार | अकाल से पीड़ित जनता के भोजन हेतु सकराय माता ने फल , सब्जियाँ , शाक एवं कन्दमूल उगाये थे , तभी से वे शाकम्भरी कहलाई । सकराय माता का विशाल मन्दिर मालकेतु पर्वत की सुरम्य घाटी के मध्य उदयपुरवाटी ( झुंझुनूं ) में स्थगित है ।
1.शिला देवी, शीतला माता (शील माता) (shila devi, shitala mata(shil mata)
अम्बिका माता (ambika mata)
मेवाड़ क्षेत्र की प्रमुख लोक देवी अम्बिका माता का मंदिर उदयपुर नाम से 55 कि . मी . दक्षिण पूर्व में जगत में स्थित है । जगत का अम्बिका माता मंदिर अपनी कलात्मकता एवं शिल्पकला राव के लिए जाना जाता है ।
इस मंदिर में महिषासुर मर्दिनी के विविध रूपों का अंकन किया गया है ।
1.आमजा माता, कुशाला माता, हर्षद माता, बीजासण माता,वीरातरा माता (aamaja mata, kushala mata, harshad mata, bijasan mata, veeratra mata)
दधिमती माता (dadhimati mata)
गोठ मांगलोद ( नागौर ) में स्थित दधिमती माता के मंदिर का निर्माण चामुण्डराय दाहिमा ने करवाया था ।
दाहिमा दधीचक ब्राह्मणों की कुलदेवी का यह मंदिर भारतीय स्थापत्य एवं वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है ।
राजस्थान में प्रतिहारकालीन मूर्तिकला में रामायण दृश्यावती का प्राचीनतम अंकन दादी माता माता मंदिर में ही देखने को मिलता है