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रूपायन संस्थान, नगर श्री लोक – संस्कृति शोध संस्थान, राजस्थान राज्य अभिलेखागार (rupayan sansthan, nagar shree lock – sanskarti shodh sansthan, rajasthan rajye abhilekhagar)

रूपायन संस्थान, बोरुन्दा (जोधपुर) (rupayan sansthan, borunda (jodhpur)

रूपायन संस्थान
रूपायन संस्थान

पश्चिमी राजस्थान के विलुप्त हो रहे मधुर लोक संगीत , लोक वाद्यों एवं लोकानुरंजन के संरक्षण हेतु इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1960 में जोधपुर जिले के बोरून्दा गाँव के संभ्रान्त नागरिकों द्वारा की गई । इस ने राजस्थानी कला एवं संस्कृति की धरोहर का क्रमबद्ध संकलन किया है । रूपायन संस्थान के विकास एवं लोकप्रियता दिलाने में कलामर्मज्ञ पद्मभूषण स्व . कोमल कोठारी एवं पद्मश्री विजयदान देथा ( राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार ) का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन में जन्मे राजस्थान के कला मर्मज्ञ कोमल कोठारी ( कोमल दा ) ने पश्चिमी राजस्थान के लोकवाद्यों को एकत्रित एवं सूचीबद्ध करने का कार्य किया गया है। ‘स्व . कोमल कोठारी के प्रयासों से ही आज पश्चिमी राजस्थान के लगा व मांगणियार कलाकार देश – विदेश में लोकगीतों एवं लोकसंगीत की मधुर स्वर – लहरियाँ बिखेर रहे हैं ।

वर्तमान में इस संस्थान का मुख्यालय जोधपर में स्थापित है तथा इसके अध्यक्ष निहार कोठारी हैं ।

1.महाराजा अभयसिंह, विजयसिंह, महाराजा मानसिंह (maharaja abhayasingh, vijayasingh, maharaja mansingh)


2.राजस्थान के जलप्रपात (rajasthan ke jalprapat)

नगर श्री लोक – संस्कृति शोध संस्थान, चुरु (nagar shree lock – sanskarti shodh sansthan, churu)

शेखावाटी एवं बीकानेर अंचल की लोक – कलाओं के संरक्षण हेतु वर्ष 1964 में रामनवमी के दिन चूरू में नगरी लोक संस्कृति शोध संस्थान की स्थापना कला प्रेमी श्री सुबोध कुमार अग्रवाल द्वारा स्थापित की गई । संस्थान में सीकर, झुंझुनूं , चूरू, नागौर एवं बीकानेर जिला के लोकजीवन के विविध आयामों को प्रस्तुत करता हुआ एक संग्रहालय स्थित है ।

इस संग्रहालय में प्राचीन हस्तलिखित पुस्तकों की पाण्डुलिपियाँ , ताड़पत्रों पर लिखित पुस्तकें , सिक्के , मूर्तियाँ एवं प्राचीन बहीखाते संरक्षित हैं ।

यहाँ का प्रमुख आकर्षण मुड़िया लिपि में लिखित प्राचीन बहियाँ । हैं ।

संस्थान राजस्थानी लोक कथाओं के संग्रहण का भी कार्य कर रहा है ।

संग्रहालय में कालीबंगा , पल्ल , कराती एव गमहल से प्राप्त प्राचीन सामग्री भी संरक्षित है ।

राजस्थान में खारे पानी की झीले (rajasthan me khare pani ki jeele)

राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर (rajasthan rajye abhilekhagar, bikaner)

राज्य अभिलेखागार की स्थापना 1955 ई . में जयपुर की गई है । स्थापना के पाँच वर्ष बाद 1960 ई . में अभिलेखागर जयपुर से बीकानेर स्थानान्तरित कर दिया गया इस अभिलेखागार में राजस्थान के इतिहास एवं संस्कृति के प्राचीन अभिलेख संरक्षित है । प्राचीन राजस्थान के सामाजिक, सास्कृतिक धार्मिक एवं ऐतिहासिक परिदृश्य हेतु ये अभिलेख अत्यन्त महत्वपूर्ण है ।

1.राजस्थान कि झीले, बालसमंद झील जोधपुर, उदय सागर झील उदयपुर (rajasthan ki jeele, balsamnd jeel jodhpur, uday sagar jeel udayapur)


2.नकी झील (सिरोही) (naki jeel (sirohi)


3.फतेहसागर झील उदयपुर, पुष्कर झील अजमेर (phatehasagar jeel udaypur, puskar jeel ajmer)


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