राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम) (rashtriya gramin aajivika missan)
ग्रामीणों को एकजुट करने में काफी अधिक क्षेत्रीय विधाएं लाभार्थियों मैं अपर्याप्त क्षमता निर्माण समुदायक संस्थान बनाने के लिए अपर्याप्त निवेश और बैंकों के साथ कम संपर्क जिसकी वजह से ऋण की कम उपलब्धता तथा बार-बार वित्तीय पोषण जैसी अनेक कमियों तथा मानव संसाधनों एवं उपयुक्त सुपुर्दगी प्रणालियों की कमी की वजह से एस .सी .एस .वाई को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रूप में पुणे गठित किया गया है|
डांग क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम, जनता जल योजना (dhang chetriya vikas karyakram, janta jal yojana)
योजना का उद्देश्य
निर्धनों की सशक्त एवं स्थाई संस्थाएं बनाकर ग्रामीण परिवारों को लाभप्रद रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर प्राप्त करने में समर्थन बनाते हुए गरीबी को कम करना
एन .आर. एल. एम गरीबों की अंतर्निहित क्षमता का उपयोग करेगा उनकी क्षमता -निर्माण (जानकारी ,ज्ञान, कौशल ,साधन वित्तीय और समेकन) में सहयोग करना
गरीबी की अजिविका के मौजूदा विकल्पों की वर्दी एवं विस्तार बाजार के बाहर रोजगार बाजार के लिए कौशल विकास और स्वयं नियोजित व्यक्तियों और उद्यमियों को सहयोग करना
योजना के लाभ
प्रशिक्षण क्षमता निर्माण और कौशल निर्माण एवं ब्याज अनुदान
अवसरचना सर्जन और विपणन सहायता के साथ ही ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण
जीविकोपार्जन गतिविधियों के लिए तकनीकी सहायता करवाना
योजना की पात्रता
सामुदायिक सहभागिता आकलन के माध्यम से गरीब परिवारों की महिला सदस्य
गरीबों के स्वस्थ सहायता समूह से जुड़ाव सुनिश्चित होना जरूरी है
राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना (आर.आर.एल.पी) (rajasthan gramin aajivika priyojana))
वित्तीय वर्ष 2009- 10 के बजट भाषण में विश्व बैंक की सहायता से राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना लागू करने की घोषणा की गई इस के क्रम में राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना के प्रस्ताव विश्व बैंक को प्रस्तुत कर अनुमोदन उपरांत वित्तीय सहायता प्राप्त कर दिनांक 22 .06.2011 से यह योजना प्रभावी हो गई है
परियोजना राजस्थान के निर्धन 18 जिलों( बांसवाड़ा ,बारा, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी ,चित्तौड़गढ़ ,चूरू, दौसा ,धौलपुर ,डुंगरपुर, झालवाडा, करौली, कोटा प्रतापगढ़ ,राजसमंद ,सवाई माधोपुर , उदयपुर) में संचालित
योजना के उद्देश्य
4 लाख चायनीत बी.पी.एल परिवारों की आय में वर्दी करते हुए गरीब रेखा से ऊपर लाना
चयनित परिवारों की समाज की मुख्यधारा से जोड़ते हुए क्षमतावर्धन में माध्यम से सशक्तिकरण करना
गठित स्वयं सहायता समूह का बैंक साख हेतु क्षमतावर्धन करना
योजना के लाभ
स्वय सहायता समूह के साथ साथ उनकी उच्च स्तरीय संस्थाओं का गठन करना
एक से अधिक समूह में वित्तीय सहायता प्रदान करना
अनुदान के स्थान पर बचत एवं साख की पद्धति ज्यादा सफल हैं
आजीविका संसाधनों का विकेंद्रीकरण करना एवं सामुदायिक एवं आजीविका सुरक्षा
समुदाय की लागत आधार पर ब्याज दरों का निर्धारण
समुदाय से समुदाय का क्षमता वर्धन साथ ही दक्षातावध्दन एवं सुनिश्चित रोजगार प्रदान करना
योजना की पात्रता
सामुदायिक सहभागिता आकलन के माध्यम से चिन्हित गरीब परिवारों की महिला सदस्य
गरीबों के स्वयं सहायता समूह से जुड़ा होना आवश्यक है|
1.मगरा क्षेत्रीय विकास योजना (magra chetriya vikas yojana)
3.पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना, सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम (paschimi rajsthan garibi shaman priyojana, simavarti chetra vikas karyakram)