राजस्थान में मृदा अपरदन की समस्या(rajasthan me mardha apardan ki samsya) :-

– अरावली पर्वतीय क्षेत्रों में राजस्थान में मृदा अपरदन के प्रमुख कारण वनों का विनाश अविवेकपूर्ण कृषि अत्यधिक पशुचारण के कारण होता है पश्चिमी मरुस्थलीय जिलों में राजस्थान में मृदा अपरदन का मुख्य कारण वायु द्वारा होता है| राज्य में सर्वाधिक क्षेत्रफल वायु प्रधान के अंतर्गत होती है|
चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज तृतीय(chohan vansh ke shasak prathviraj tratiy)
– मिट्टी का अपरदन प्रमुख चार प्रकार का होता है(miti ka apardan parmuk char parkar ka hotha he)
(1) आवरण अपरदन(sheet Erosion) :- जब तेजवर्षा के कारण यह मरदा वर्षा में घुलकर पहाड़ियों से मिट्टी जल के साथ बह जाती हैं
(2) धरातलीयअपरदन(surface Erosion):- पर्वतीयक्षेत्रों में जल के तेज भाव से मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत का कटाव होना धरातालीअपरदन कहलाता है
(3) नालीनुमाअपरदन (gully erosion) :- सर्वाधिकहानिकारक अपरदन इस अपरदन में नदियों सहायक नदियों लघु सरिता एवं नाले मिट्टी कोकहीं फूट की गहराई तक काट कर गहरे गड्ढे नालिया बना देते हैं इस प्रकार का प्रधानराज्य के कोटा करौली धौलपुर सवाई माधोपुर जिले में चंबल नदी द्वारा किया जाता है
(4) वात( वायुद्वारा )अपरदन(winderosion) :- इस अपरदनद्वारा मरुभूमि में तेजी से बहती प्रखंड पवनों द्वारा मिट्टी को उठाकर एक स्थान सेदूसरे स्थान पर ले जाना राज्य के पश्चिमी एवं उत्तरी भाग इस प्रकार के अपरदनसे प्रभावित होते हैं|
त्रिवेणी संगम – माही, सोम, जाखम नदियां(triveni sangam – mahi, som, jakham nadiya)
राजस्थान में मिट्टी अपरदन के प्रमुख कारण(rajasthan me miti apardan ke parmuk karan) :-
(1) वनों का विनाश (झूमिंग कृषि प्रणाली द्वारा एक वनों की कटाई )
(2) अन्धा धुन्ध पशुचारण (क्षेत्रों में भेड़ बकरियों के अनियंत्रण चराई द्वारा)
(3) ग्रीष्मकाल में चलने वाली आंधियां
(4) फसल चक्रको नहीं अपनाना
केवला देव, सवाई मानसिंह अभ्यारण्य (kevala dev, savai manasingh abhyarany )
– राजस्थान में मिट्टी अपरदन के प्रभाव(rajasthan me miti apardan ke parbav) :-
(1) भीषण एवंआकस्मिक बाढो का प्रकोप
(2) सुखे के एवं आकार की लंबी अवधि
(3) नदियोंकी तह में बालू के जम जाने से उनकी धारा परिवर्तन की संभावना देना
(4) कृषिउत्पादन में कमी
(5) कृषि योग्य भूमि में कमी होना
– राजस्थान में मिट्टी अपरदन को रोकने के उपाय(rajasthan me miti apardan ko rokne ke uphay) :-
(1) पहाड़ी ढालो बंजर भूमि एवं नदियों के किनारे वृक्षारोपण करना
(2) भेड़बकरियों की अन्धाधुन्ध चराई पर नियंत्रण करने एवं उनके लिए चारा गांवों का विकासकरना
(3) बहते हुएजल के वेग को रोकने के लिए खेतों में मेड़बंदी करना
(4) उच्चढालू भूमि में समोच्च रेखीय पद्धति कृषि करना
(5) पर्वतीय ढालो एवं तराई में छोटे-छोटे बांध एवं एनीकटो का निर्माण करना ताकि जल के वेग एवं आयतन में कमी हो सके
(6) मरुस्थलीय क्षेत्र में मिट्टी को उड़ने से रोकने के लिए वृक्षों पट्टियों लगाई जाए( शेल्फबेल्ट)
1.तराइन का द्धितीय युद्ध और पृथ्वीराज चौहान(tarain ka dvitiy yoddh or prathviraj chohan)
2.तराइन का प्रथम युद्ध और पृथ्वीराज तृतीय(tarain ka yuddh, prathviraj tratiy)
3.सिरोही के चौहान राज वंश ( देवड़ा )(sirohi ke chohan raj vansh (deora))