WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

अब्दुल कलाम फारसी संस्थान, रवीन्द्र रंगमंच, जयपुर कत्थक केन्द्र, गुरुनानक संस्थान (abdul kalam farasy sansthan, ravindra ragmanch, jaipur katthak kendra, gurunanak sansthan)

मौलाना अब्दुल कलाम आजाद अरबी – फारसी शोध संस्थान, टोंक (molana abdul kalam aajad arabi – farasy sansthan, tok)

 अब्दुल कलाम  फारसी शोध संस्थान
अब्दुल कलाम फारसी शोध संस्थान

मुगल काल से ही राजस्थान की संस्कृति विशेषकर मस्लिम संस्कृति में अरबी एवं फारसी भाषाओं के प्रति रुचि रही है । इन भाषाओं की प्राच्य सामग्री के संरक्षण एवं शोध हेतु टोंक में ‘ अब्दुल कलाम फारसी संस्थान शोध संस्थान ‘ की स्थापना 4 दिसम्बर , 1978 ई . में की गई संस्थान में औरंगजेब द्वारा लिखित ‘ आलमगिरी कुरान शरीफ एवं शाहजहाँ द्वारा लिखवाई गई कुरान – ए – कमाल ‘ रखी हुई है ।

वर्तमान में यह संस्थान अरबी एवं फारसी भाषाओं पर अनुसंधान एवं प्रकाशन कार्य करवाता है ।

वर्ष 1987 में इसका नामकरण मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के नाम पर किया गया है।

राजस्थान की मीठे पानी की झीले (rajasthan ki mithe pani ki jeele)

रवीन्द्र रंगमंच, जयपुर (ravindra ragmanch, jaipur)

जयपुर नगर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति एवं नाटकों के मंचन हेतु 15 अगस्त , 1963 को रामनिवास बाग परिसर में । ‘ रवीन्द्र रंगमंच ‘ की स्थापना की गई है ।

रंगमंच का नाम भारत के प्रमुख साहित्यकार गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर रखा गया है ।

यह मंच कला एवं संस्कृति के संवर्धन हेतु भी कार्य करता है ।

रेगिस्तान की अनेक पशु नस्लें – ऊंट, अश्व (घोड़े ), गधे, खच्चर, सुअर, कुक्कुट(मुर्गी)पालन (registan ki anek pashu nasle – unth, ashve(gode), gadhe, khachar, suar, kukkuta(murgi)palan)

जयपुर कत्थक केन्द्र, जयपुर (jaipur katthak kendra, jaipur)

जयपुर के प्रसिद्ध कत्थक घराने एवं कत्थक नृत्य का संरक्षण देने के लिए 1978 ई . में जयपुर कत्थक केन्द्र की स्थापना की गई ।

वर्तमान में यह केन्द्र कत्थक की प्राचीन शास्त्रीय नत्य परम्परा को पुनर्जीवित कर लोकप्रिय बनाने हेतु प्रयासरत है ।

यहां पर बच्चों एवं युवाओं को कत्थक नृत्य का प्रशिक्षण भी दिया जाता है ।

1.राजीव गांधी सिद्धमुख नोहर सिंचाई परियोजना (rajiv gandhi sidhdmukh nohar sichai priyojana)

गुरुनानक संस्थान, जयपुर (gurunanak sansthan, jaipur)

वर्ष 1969 में जयपुर में स्थापित गरुनानक संस्थान द्वारा कला एवं संस्कृति सम्बन्धी जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाता है । संस्थान प्रतिवर्ष ग्रीष्मावकाश के प्राचीन छात्रों के लिए अभिरुचि शिविरों का आयोजन करवाता है ।

1.राष्ट्रीय गोवंश एवं भैंस प्रजनन परियोजना (rashtriya govansh avm bhes parjanan priyojana)

राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपर (rajasthan prachya vidha partisthan, jodhpur)

राजस्थान की विविध आयामी प्राच्य संस्कृति ,के संरक्षण हेतु इस संस्थान की स्थापना 1950 – 51 ई में की गई है|

1.राजस्थान की प्रमुख नहर परियोजना, भरतपुर, गुड़गांव, जाखम बांध, गंगनहर, ईसरदा बांध (rajasthan ki parmukh nahar priyojana, bhartpur, gudagav, jakham bandh,gangnahar, esarada bandh)


2.इंदिरा गांधी नहर परियोजना, (आई.जी.एन.पी), हरिके बैराज (endira gandhi nahar priyojana, harike beraj)


3.राजस्थान में मत्स्य पालन (rajasthan me matsya palan)


Leave a Comment