मामाजी ( मामादेव ) (mamaji (mamadev)
राजस्थान में जब कोई राजपूत योद्धा लोक कल्याणकारी कार्य हेतु वीरगति को प्राप्त होता था , तब से उस योद्धा को क्षेत्र विशेष के लोग आराध्य देवता मामाजी के रूप में मानते हैं । लोकदेवता की पूजा विस्तृत क्षेत्र में होती है जबकि मामादेव की पूजा क्षेत्र विशेष में ही होती है । आज भी पश्चिमी राजस्थान के गाँव – गाँव में इनके ‘ थान ‘ मिलते हैं । राजस्थान में ऐसे सैकड़ों मामादेव हुए हैं जैस – धोणेरी वीर , बावड़ी वाले मामाजी , झुटाना मामाजी , सोनगरा मामाजी इत्यादि । मामादेव ‘ बरसात के देवता हैं । इनकी अश्वारूढ़ मिट्टी की मूर्तियाँ होती हैं । ये मूर्तियाँ जालौर जिले की आहोर तहसील के हरजी गाँव के कुम्हारों द्वारा बनाई जाती हैं ।
इन्हें ‘ मामाजी के घोड़े कहा जाता है । मेला णंग झराजी ( रूपनाथ जी ) झरड़ा जी पाबूजी राठौड़ के बड़े भाई बूढ़ोजी के पुत्र थे । इन्होंने अपने पिता एवं चाचा की मृत्यु का बदला अपने फूफा जींदराव खींची को मारकर लिया ।
इनको ‘ रूपनाथ ‘ या ‘ बूढो झरड़ा ‘ के नाम से भी जाना जाता है ।
कोलूमंड ( जोधपुर ) एवं सिंधूदड़ा ( बीकानेर ) में इनके थान हैं ।
यहाँ झरड़ा जी को हिमाचल प्रदेश में ‘ बाबा बालकनाथ ‘ के रूप में पूजा जाता है ।
तीड़ा इनकी नाथ सम्प्रदाय में अगाध आस्था थी तथा जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने नाथ सम्प्रदाय से दीक्षा ली थी , तभी से वे रूपनाथ कहलाये ।
देव बाबा (dev baba)
पूर्वी राजस्थान के मेवात अंचल में ग्वालों के देवता के रूप में ख्याति प्राप्त देव बाबा ‘ पशु चिकित्सा शास्त्र में निपुण थे । इनका प्रमुख मन्दिर भरतपुर जिले के नगला जहाज गाँव में है , जहाँ पर प्रतिवर्ष दो बार भाद्रपद शुक्ला पंचमी एवं चैत्र शुक्ला पंचमी को मेला भरता है ।
मेले में ग्वालों को भोजन करवाने की परम्परा है ।
मेवात क्षेत्र के अलावा बुंदेलखण्ड एवं रूहेलखण्ड क्षेत्र के ग्वाले भी देव बाबा की पूजा करते हैं ।
वीर बिग्गाजी (veer biggaji)
वीर बिग्गाजी का जन्म जांगल प्रदेश ( वर्तमान बीकानेर ) में जाट किसान परिवार में हुआ ।
इनके पिता का नाम राव महन एवं माता का नाम सुल्तानी देवी था ।
बिग्गाजी ने मुस्लिम लुटेरों से गायों को बचाने के लिए अपना सर्वस्व लुटा दिया ।
राजस्थान में जाखड़ समाज के लोग बिग्गाजी की पूजा कुल देवता के रूप में करते हैं ।
1.कैला देवी, आई माता (kela devi, aai mata)
2.जाट राजवंश, महाराजा सूरजमल, मुस्लिम राजवंश (jat rajvansh, maharaja surajamal, musilam rajvansh)