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महाराणा जगतसिंह प्रथम, महाराणा राजसिंह (maharaja jagatsingh partham, maharana rajsingh)

महाराणा जगतसिंह प्रथम (maharana jagatsingh partham) (1628 – 1652 ई.)

महाराणा जगतसिंह प्रथम
महाराणा जगतसिंह प्रथम

1628 ई . में कर्णसिंह की मृत्यु होने पर उसका पुत्र जगतसिंह (प्रथम) मेवाड़ का शासक बना ।
महाराणा जगतसिंह प्रथम दानी शासक थे जिन्होंने उदयपुर में जगन्नाथ राय (जगदीश) मंदिर (पंचायतन शैली) का निर्माण करवाया ।

जगतसिंह के शासनकाल में शाहजहाँ ने प्रतापगढ़ की जागीर मेवाड़ से स्वतंत्र करा ली ।

राणा जगतसिंह ने महाराणा कर्णसिंह के शासनकाल में प्रारम्भ किए गए जगमंदिर व जगमहल को पूर्ण करवाया ।

राणा हम्मीर, महाराणा मोकल, महाराणा मोकल (rana hammir, maharana mokal, maharana mokal)

महाराणा राजसिंह (maharana rajsingh)( 1652 – 1680 ई.)

राणा राजसिंह 10 अक्टूबर , 1652 को राजसिंहासन पर बैठा । महाराजा राजसिंह वीर व साहसी शासक था जिसने चित्तौड़ के किले की मरम्मत का कार्य जारी रखा जो जगतसिंह ने प्रारम्भ किया था तथा औरंगजेब द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने (2 अप्रेल 1679) व हिन्दू देवी – देवताओं की मूर्ति तोड़ने का पुरजोर विरोध किया तथा बादशाह को जजिया कर नहीं दिया । किशनगढ़ के राजा रूपसिंह की पुत्री चामती से धर्म की रक्षार्थ विवाह किया जिसकी सगाई पहले औरंगजेब से हो चुकी थी । महाराणा राजसिंह ने जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह को आश्रय एवं सहायता प्रदान की ।

राणा राजसिंह ने सिहाड़ (नाथद्वारा) में श्रीनाथ जी तथा जायेगा कांकरोली में द्वारकाधीश की मूर्ति को प्रतिष्ठित करवाया । महाराणा राजसिंह ने गोमती नदी को रोक कर राजसमंद गुहिल के झील का निर्माण करवाया तथा इसके किनारे 25 बड़े शिलालेखों पर संस्कृत में मेवाड़ का इतिहास उत्कीर्ण करवाया जिसे राजप्रशस्ति कहते हैं । राजप्रशस्ति ‘ नामक संस्कृत ग्रंथ की रचना रणछोड़ भट्ट ने की थी ।

महाराणा रायमल, महाराणा सांगा (maharana raymal, maharana sanga)

महाराणा जयसिंह (maharana jaisingh)( 1680 – 1698 ई.)

राणा जयसिंह ने उदयपुर के सलूम्बर के निकट जयसमंद (ढेबर झील) का निर्माण करवाया ।
राणा जयसिंह ने कुछ समय तक औरंगजेब से संघर्ष करने के बाद अन्त में संधि कर ली ।

महाराणा सांगा व इब्राहीम लोदी (maharana sanga v ebrahim lodi)

महाराणा अमरसिंह द्धितीय (maharana amarsingh divtiya)( 1698 – 1710 ई.)

राणा अमरसिंह द्वितीय ने जोधपुर व जयपुर को मुगलों से मुक्त कराकर पुनः अजीतसिंह व जयसिंह को दिलाने में सहायता की तथा मारवाड़ , मेवाड़ व आमेर को एकता के सूत्र में बाँधने हेतु वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए । अपनी पुत्री का विवाह सवाई जयसिंह से कि

1.महाराजा अभयसिंह, विजयसिंह, महाराजा मानसिंह (maharaja abhayasingh, vijayasingh, maharaja mansingh)


2.राजस्थान के जलप्रपात (rajasthan ke jalprapat)


3.राजस्थान में खारे पानी की झीले (rajasthan me khare pani ki jeele)


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