भूमि दुर्ग की विशेषताएं (bhumi durg ki visheshatay)
मध्य एशिया , सिन्ध व काबुल के व्यापारी मुल्तान से भटनेर होते हुए दिल्ली व आगरा तक आते जाते थे ।
दिल्ली – मुल्तान मार्ग पर स्थित होने के कारण भटनेर का बड़ा सामरिक महत्त्व था ।
इतिहास के अनुसार घग्घर नदी के तट पर बने इस प्राचीन दुर्ग का निर्माण
भाटी राजा भूपत ने तीसरी शताब्दी ई . में करवाया था ।
2.चित्तौड़ का दुर्ग, धान्व दुर्ग, मही दुर्ग, वाक्ष दुर्ग, वन दुर्ग (chitor ka durg, dhanva durg, mahi durg, jal durg, vakash durg, van durg)
वीर अमरसिंह राठौड़ (veer amarsingh rathor)
राजस्थान के भूमि दुर्ग की विशेषताएं में नागौर का प्राचीन दुर्ग उल्लेखनीय है ।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार सोमेश्वर चौहान के सामन्त कैमास ने विक्रम संवत 1211 में नागौर दुर्ग का निर्माण करवाया था । सुदृढ़ प्राचीर और जल से भरी गहरी परिखा या खाई नागौर दुर्ग की विशेषता है । इसकी प्राचीर में 28 विशाल बुजें बनी हैं । किले के भीतर सुन्दर भित्तिचित्र बने हैं तथा बादशाह अकबर द्वारा बनवाया गया एक फव्वारा भी विद्यमान है । किन्तु यह किला ‘ वीर अमरसिंह राठौड़ ‘ की शौर्यगाथाओं के कारण इतिहास में एक विशिष्ट स्थान और महत्त्व रखता है ।
बीकानेर का जूनागढ़ दुर्ग भी स्थल दुर्ग का अच्छा उदाहरण है ।
मरुस्थल के मध्य अवस्थित होने के कारण इसमें धान्वन दुर्ग की विशेषताएँ विद्यमान हैं ।
इस किले के भव्य महल शानदार भित्तिचित्रों के रूप में कला और संस्कृति की अमूल्य धरोहर संजोये हुए हैं ।
पूर्वी राजस्थान में भरतपुर का किला लोहागढ़ भूमि दुर्ग का सुन्दर उदाहरण है ।
इस दुर्भेद्य दुर्ग के साथ जाट राजाओं की वीरता और पराक्रम के रोमांचक आख्यान जुड़े हैं । महाराजा सूरजमल द्वारा स्थापत्य की मान्यताओं के अनुरूप तराशे हुए पत्थरों से निर्मित दुर्ग स्थापत्य की मान्यताओं के अनुरूप तराशे हुए पत्थरों से निर्मित इस किले ने शक्तिशाली मुस्लिम आक्रान्ताओं तथा आधुनिक शस्त्रों से सुसज्जित अंग्रेज सेना के आक्रमणों का सफल प्रतिरोध किया है ।
1.कुम्भलगढ़ दुर्ग, अरावली पर्वत श्रृंखला (kumbhalagadh durg, araavalee parvat shrankhala)
2.राजस्थान के जल दुर्ग, गागरोण दुर्ग, गिरि दुर्ग (rajasthan ke jal durg, gaagaron durg, giree durg)
3.जालौर का दुर्ग, आबू का अचलगढ़ दुर्ग (jaalor ka durg, aabu ka achalagadh durg)