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फड या पड़ लोकनाट्य, लीलाएँ लोकनाट्य, कत्थक लोकनाट्य (phad ya pad loknatkya, leelaye loknatkya, kathak loknatkya)

फड या पड़ लोकनाट्य (phad ya pad loknatkya)

फड या पड़  लोकनाट्य
फड या पड़ लोकनाट्य

कपडे पर चित्रांकन की विशिष्ट शैली फड या पड़ लोकनाट्य कहलाती है ।पौराणिक व ऐतिहासिक पात्रों का जीवनवृत्त चित्रित होता से भोपा वाद्य यंत्र के साथ गाकर सुनाता है तथा भोपी धत भाग पर लालटेन की रोशनी डालकर दिखाती तथा नाचती है । ब्रड चित्रण में शाहपुरा ( भीलवाड़ा ) का जोशी परिवार श्री लाल जोशी ) सिद्धहस्त हैं । श्रीमती पार्वती जोशी राजस्थान की पहली फड़ चितेरी हैं ।

नोट – फड़ चित्रण एवं प्रकारों के विस्तृत अध्ययन हेतु इस पुस्तक के अध्याय ‘ राजस्थान की चित्रकला ‘ का अध्ययन करें । फइ से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्य सबसे लोकप्रिय फड़ पाबूजी की है जिसे नायक ( थोरी या आयड़ी ) भोपे रावणहत्था के साथ प्रस्तुत करते हैं । सबसे लम्बी फड़ देवनारायण की फड़ है जिसे गुर्जर भोपे जंतर वाद्य यंत्र के साथ प्रस्तुत करते हैं । देवनारायण की फड़ को भारतीय डाक विभाग ने डाक टिकट के रूप में भी जारी किया है । ( 2×2 से . मी . ) रामदला कृष्णदला की फड़ हाडोती क्षेत्र में प्रभावित हैं जिसे बाट रूपए बिना वाद यंत्र के प्रस्तुत करते हैं भैसासुर की फड़ एकमात्र ऐसी फल है जिसका वचन नहीं किया जाता है

इसे बावरी प्रभावित हैं जिसे बाट रूपए बिना वाद यंत्र के प्रस्तुत करते हैं

भैसासुर की फड़ एकमात्र ऐसी फल है जिसका वचन नहीं किया जाता है

इसे बावरी जाति के लोग चोरी करने जाते समय पूजते हैं

1.संत रामचरण जी, हरिराम दास जी, संत रामदास जी (sant ramcharn ji, hariram das ji, sant ramdas ji)

लीलाएँ लोकनाट्य (leelaye loknatkya)

रासलीला — भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित लीलाओं का प्रमुख केन्द्र फुलेरा ( जयपुर ) है । ( जनक वल्लभाचार्य ) रामलीला — भगवान श्री रामचन्द्र के जीवन पर आधारित ती है लोकनाट्य जिसका प्रारम्भ तुलसीदास ने किया था । रासलीलाओं में बिसाऊ ( मूकाभिनय ) , पाटुंदा व भरतपुर की भोपी रामलीलाएँ प्रसिद्ध हैं ।

इसके अतिरिक्त घोसूण्डा व बस्सी की तथा सनकादियों की लीलाएँ भी प्रसिद्ध रही हैं ।


1.संत लालदास जी एवं लालदासी सम्प्रदाय (sant laladas ji avm laldasi sampradaay)

कत्थक लोकनाट्य (kathak loknatkya)

यह राजस्थान मूल का एक प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है , जिसका जयपुर घराना ( प्रवर्तक – भानूजी ) प्रसिद्ध है ।

प्रेरणा श्रीमाली कत्थक एवं कुंदनलाल इस नृत्य के प्रसिद्ध नृत्यांगना / नर्तक है ।

1.जाम्भोजी ( गुरु जंभेश्वर ), विश्नोई सम्प्रदाय (jambhoji (guru jambheshvar), vishnoi sampradaay)


2.संत दादूदयाल एव दादू पथ, संत दादूदयाल की समाधि (sant dadudayal avm dadu panth, sant dadudayal ki samadhi)


3.संत रैदास (संत रविदास), प्राणनाथजी, सुंदर दास जी (sant redas (sant ravidas), prannathaji, sundar das ji)


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