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महानायक पाबूजी (mahanayak pabuji)

महानायक पाबूजी (pabuji)

महानायक पाबूजी
महानायक पाबूजी

पश्चिमी राजस्थान के महानायक पाबूजी एवं वीर योद्धाओं में लोक देवता पाबूजी का नाम अग्रणी है ।


राठौड़ वंश के मूल पुरुष राव सीहा के वंशज पाबू राठौड़ का जन्म 13वीं सदी में कोलूमण(वर्तमान में जोधपुर जिले की फलौदी तहसील का एक गाँव ) में धांधलजी राठौड़ एवं कमलादे के घर हुआ था । पाबूजी को लक्ष्मण का अवतार माना जाता है । पाबूजी की घोड़ी का नाम ‘ केसर काळवी ‘ (कालमी) था । पाबूजी का विवाह अमरकोट ( वर्तमान पाकिस्तान ) के सोढा शासक राजा सूरजमल की पुत्री सुप्यारदे के साथ हुआ था। ऐसा माना जाता है कि शादी के दौरान फेरों के बीच में ही उठकर पाबूजी देवल बाई चारण की गायों को अपने बहनोई जायल नरेश जिन्दराव खींची से बचाने के लिए चले गए थे ।

इस युद्ध में पाबूजी देचू गाँव ( जोधपुर ) के समीप वीरगति को प्राप्त हुए ।

1.साँपों के देवता गोगाजी (sapo ke devta goga ji)


2.जाट लोकदेवता तेजाजी (jaat lockdevta tejaji)


3.देवनारायण जी गुर्जर (devnarayan ji gurjar)


पाबूजी का बोध चिह्न (pabuji ka bodh chinh)

पाबूजी का बोध चिह्न ‘ भाला है । उत्तरी एवं पश्चिमी राजस्थान के गाँवों में पाबूजी की पूजा भाला लिये अश्वारोही ‘ के रूप में की । जाती है । इसीलिये पाबूजी को पाबू भालाळौ ‘ कहा जाता है उत्तरी एवं पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण अंचल में पाबूजी की मान्यता ऊँटों के देवता एवं प्लेग रक्षक देवता के रूप में है ।

ऊँट के बीमार होने पर पाबूजी की पूजा की जाती है । ऐसा माना जाता है

कि राजस्थान में सर्वप्रथम ऊँट पाबूजी ने ही लाया था ।

पाबूजी की पूजा वैसे तो उत्तर – पश्चिमी राजस्थान के सभी लोग करते हैं तथापि रैबारी , थोरी , भील एवं मेहर मुसलमान पाबूजीको अपना आराध्य देव मानते हैं । चांदा – डेमा एवं हरमल पाबूजी के सहयोगी थे । पाबूजी की स्मृति में प्रतिवर्ष चैत्र अमावस्या को कोलूमण्ड ( फलौदी ) में मेला भरता है । पाबूजी की स्तुति में फड़ का वाचन भील जाति के नायक भोपों द्वारा किया जाता है । रेबारी एवं भोपे माठ वाद्य के साथ पाबूजी के पवाड़े ( पद्यबद्ध वीरगाथा ) गाते हैं ।

पाबूजी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालने वाला महत्त्वपूर्ण ग्रंथ पाबू प्रकाश है ।

इसकी रचना मोडजी आशिया नामक चारण कवि ने की थी ।

स्व . मोड जी बाड़मेर जिले के भांडियावास गाँव के रहने वाले थे ।

1.राजस्थान की कला एवं संस्कृति (rajasthan ki kala avm sanskarti)


2.महाराणा प्रताप, हल्दीघाटी का युद्ध (maharana parthap, haldighati ka yudha)


3.रावल रत्नसिंह, गोरा व बादल राजपूत सरदार (raval ratansingh, gora v badal rajput sardar)


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