नौटंकी लोकनाट्य (notanki loknatkya)
भरतपुर करौली धौलपुर सवाई माधोपुर इत्यादि उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में प्रचलित नौटंकी लोकनाट्य उत्तर प्रदेश की हाथरस शैली में प्रभावित है राजस्थान में नौटंकी को पर सेट करने का श्रेय भूरेलाल डींग को जाता है भरतपुर धौलपुर में नथाराम की मंडली नौटंकी के खेलों हेतु प्रसिद्ध होती है बिहा शादी सामाजिक समारोह मेला एवं अन्य लोकोत्सव पर खेली जाने वाली नौटंकी के मुख्य नाटकों में रूप बसंत सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र गोपीचंद राजा भरतरी नकाबपोश इत्यादि है
भरतपुर जिले के कामा कस्बे के निवासी गिरिराज प्रसाद नौटंकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी माने जाते हैं
1.गवरी लोकनाट्य, तमाशा लोकनाट्य (gavari locknatkiya, tamasha locknatkiya)
स्वांग लोकनाट्य (svang loknatkya)
एक ही व्यक्ति ऐतिहासिक , पौराणिक या किसी धार्मिक चरित्र का मेकअप करके उसके अनुरूप अभिनय करता है ।
इसे स्वांग रचाना कहते हैं तथा ऐसा करने वाला व्यक्ति बहुरूपिया ‘ कहलाता है ।
राजस्थान के जानकीलाल भाण्ड ने इस लोकनाट्य को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई । चैत्र कृष्ण – 13 को भीलवाड़ा जिले के मांडल कस्बे में ‘ नाहरों का स्वांग किया जाता है जो बहुत लोकप्रिय है । स्वांग एक हास्य प्रधान नाट्य है ।
भवाई लोकनाट्य (bhavai loknatakya)
भवाई लोकनाट्य व्यावसायिक किस्म का लोकनाट्य है
जिसके जनक बाघा जी जाट ( केकड़ी ) हैं । भवाई लोकनाट्य भवाई जाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है
जिसमें नृत्य व विभिन्न चमत्कारिक अभिनय को महत्त्व दिया जाता है ।
इसमें संगीत पक्ष को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है । ॐ जस्मा – ओडन ( शांता गांधी ) , सगोजी – सगीजी , बीकाजी बाघजी प्रमुख भवाई नाट्य हैं ।
भवाई लोकनाट्य में सारंगी , नफीरी ( शहनाई ) , नगाड़ा , मंजीरा आदि वाद्य यंत्र की संगत होती है ।
चारबैत लोकनाट्य (charbet loknatkya)
टोंक के प्रचलित पठानी मूल के इस लोकनाट्य को अब्दुल करीम खाँ एवं खलीफा करीम खाँ निहंग ने नवाब फेजुल्ला स्तक खाँ के प्रोत्साहन से प्रारम्भ किया । कव्वाली के समान इसमें घुटने के बल गाते हैं ।
इसमें डफ वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है ।
1.मीरा बाई, मीरा का विवाह (mira bai, mira ka vivaha)
4.राजस्थान के रामस्नेही सम्प्रदाय, संत दरियावजी रेण शाखा (rajasthan ke ramsanehi sampradaay, sant dariyavaji ren shakha)