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जसनाथी सम्प्रदाय, मारवाड़ का नाथ सम्प्रदाय (jasnathi sampradaay, marwar ka nath sampradaay)

जसनाथी सम्प्रदाय (jasnathi sampradaay)

जसनाथी सम्प्रदाय
जसनाथी सम्प्रदाय

मध्यकाल में नाथ पंथ से प्रभावित ज्ञानमार्गी सिद्ध शैव सम्प्रदाय जा दिन में के रूप में जसनाथी सम्प्रदाय का प्रवर्तन गोरक्षनाथ जी ( गोरखनाथ ) हर्षपर्वत के शिष्य जसनाथ जी ने किया । जसनाथ जी का जन्म 1482 ई .कतरियासर ( वर्तमान बीकानेर जिले में ) गाँव में हम्मीर जी जाट व रूपादे के घर हुआ । सम्प्रदायों ( कार्तिक शुक्ला एकादशी , विक्रम सं . 1539 ) बाल्यकाल में ही जसनाथी इन्होंने गुरु गोरखनाथ से दीक्षा ( 1551 विक्रमी में ) लेकर समीपवर्ती है , ‘ गोरख मालिया ‘ नामक स्थान पर तपस्या करनी प्रारम्भ कर दी । ऐसा माना जाता है कि जसनाथ जी ने 24 वर्ष की आयु में 1563 शब्दी तक विक्रमी में कतरियासर में जीवित समाधि ली । मेवाड़ के इनकी समाधि स्थल पर इनकी पत्नी सती काजलदे की याद में भगवी चादर के नीचे ‘ भंवरी ओढ़नी ‘ हमेशा चढी रहती है । इनके प्रधान शिष्य हारोजी , हांसोजी एवं रुस्तमजी थे ।

बाद में रम्भ पूर्व लालनाथ जी भी इस सम्प्रदाय के प्रसिद्ध संत हुए ।

जसनाथ जी के उपदेश सिंभूदड़ा ‘ एवं ‘ कोडाँ ‘ नाम ग्रंथों में । धरनाथ , संग्रहित हैं ।

अन्य ग्रन्थ – गोरख छंद , झाड़ौ ।राजस्थान के जाट को शिव |समुदाय में इनकी अधिक मान्यता है ।

जसनाथी सिद्धों द्वारा धधकते अंगारों पर ‘ अग्नि नृत्य किया जाता है ।

इस सम्प्रदाय की प्रधान पीठ कतरियासर ( बीकानेर ) Tथ के में स्थित है ।

इनके अनुयायी गले में काली ऊन का धागा बाँधते और 36 नसिंह नियमों का पालन करते हैं

1.राजस्थान की सगुण भक्ति धारा, शैव मत, नाथ सम्प्रदाय ( पंथ ) (rajasthan ki sahgun bhakti dhara, shev mat, nath sampradaay (panth)


2.गौड़ीय सम्प्रदाय (ब्रह्म सम्प्रदाय), वल्लभ सम्प्रदाय (पुष्टिमार्गीय), विट्ठलनाथ जी के पुत्र (godiya sampradaay(brahaman sampradaay), vallabha sampradaay(pustimargiya), vitalanath ji ke putra)

मारवाड़ का नाथ सम्प्रदाय (marwar ka nath sampradaay)

मारवाड़ क्षेत्र में महामंदिर , जोधपुर ( केन्द्रीय मठ ) राता डूंगर ( पुष्कर ) पालासणी ( जोधपुर ) एवं जालौर नाथ सम्प्रदाय की प्रमुख गद्दियाँ है जालौर के कन्यागिरी पर्वत पर स्थित ‘ सिरे मंदिर के नाथ सम्प्रदाय की स्थापना गुरु जलन्धरनाथ ने की थी । इनकी शिष्य परम्परा में आयस देवनाथ एवं शांतिनाथ प्रमुख साधु हुए थे। जालौर के नाथ पंथ । रामानुज का समूचे मारवाड़ एवं गोड़वाड़ क्षेत्र में अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है ।

1.संत रामचरण जी, हरिराम दास जी, संत रामदास जी (sant ramcharn ji, hariram das ji, sant ramdas ji)


2.संत लालदास जी एवं लालदासी सम्प्रदाय (sant laladas ji avm laldasi sampradaay)


3.जाम्भोजी ( गुरु जंभेश्वर ), विश्नोई सम्प्रदाय (jambhoji (guru jambheshvar), vishnoi sampradaay)


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