गवरी बाई ( वागइ की मीरा ) (gavari bai (vagai ki mira)
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राजस्थान के दक्षिणी वागड़ अंचल में सगुण कृष्ण भक्ति का अलख जगाने वाली भक्तिमती गवरी बाई का जन्म संवत् 1815 में डूंगरपुर के एक नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ था । गवरी बाई को वागड़ की मीरा ‘ कहा जाता है । डूंगरपुर के महारावल शिवसिंह ने डूंगरपुर में गवरी बाई के लिए ‘ बाल मुकुंद मंदिर का निर्माण करवाया था।
गवरी बाई के गुजराती , राजस्थानी व ब्रजभाषा मिश्रित लगभग 610 पद उपस्थित हैं ।
भक्त कवि दुर्लभ (bhakt kavi durlabh)
वागड़ क्षेत्र में कृष्ण के अनन्य भक्त एवं कवि दुर्लभ जी का जन्म मीराबाई 1696 ई . में हुआ ।
कृष्ण में अत्यन्त आसक्ति के कारण दुर्लभ जी राजस्थान के नृसिंह ‘ कहलाये थे।
इनका कार्य क्षेत्र राजस्थान का मीरा को वागड़ अंचल ( डूंगरपुर तथा बाँसवाड़ा जिले मैं है)
1.राजस्थान के मुस्लिम संत एवं पीर, ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती (rajasthan ke mushilam santn avm pir, khvaja muinnudin chishti)
संत राजाराम जी (sant rajaram ji)
भगवान श्रीकृष्ण की सगुण भक्ति का उपदेश देने वाले संत राजाराम जी की मान्यता कलबी नगण्य है ।
पटेल ( आँजणा ) समाज में अधिक मीराबाई है ।
इनके अनुयायी राजस्थान के गई तथा जोधपुर , बाड़मेर , जालौर , सिरोही , बेलीन हो पाली , भीलवाड़ा , चित्तौड़गढ़ जिलों एवं मध्य प्रदेश तथा उत्तर गुजरात जम्प्रदाय , के बनासकांठा जिले में मिलते हैं ।
संकलित श्री राजाराम एक सिद्ध पुरूष थे
जिन्होंने नायरो ‘ , जनमानस को पर्यावरण सुरक्षा , जीव दया , परोपकार एवं समाज सोरठ सुधार हेतु प्रेरित किया ।
इनकी की गयी भविष्यवाणियाँ वर्तमान में सिद्ध हो रही है , ऐसा इनके अनुयायी मानते हैं ।
इनका प्रधान स्थान शिकारपुरा ( जोधपुर ) में है ।
इनके शिष्य देवाराम महाराज हुए ।
1.राजस्थान के लोकनृत्य – घूमर नृत्य, ढोल नृत्य, बिंदौरी नृत्य, झूमर नृत्य, चंग नृत्य, गीदड़ नृत्य, घुइला नृत्य (rajasthan ke locknartya – gumar nartya, dhol nartya, bindori nartya, jumar nartya, chang nartya, gidad nartya, duila nartya )
संत खेताराम जी (sant khetaram ji)
जालौर जिले की सांचोर तहसील के बिजरोल खेडा गाँव में जन्मे एवं पश्चिमी राजस्थान में ब्रह्म भक्ति की अलख जगाने वाले सिद्ध चमत्कारिक लोकसंत खेताराम जी ने पुष्कर के पश्चात् राजस्थान के लिए । दूसरे ब्रह्मा मन्दिर का निर्माण आसोतरा गाँव ( बाड़मेर ) में करवायाथा ।
इनकी मान्यता पश्चिमी एवं उत्तरी राजस्थान के राजपुरोहित ब्राह्मण समाज में अधिक है ।
इनका प्रधान स्थान ( ब्रह्मधाम ) बालोतरा के निकट आसोतरा ( बाड़मेर ) गाँव में उपस्थित है ।
1.मीरा बाई, मीरा का विवाह (mira bai, mira ka vivaha)
3.राजस्थान के जातीय लोकनृत्य – इंण्डोणी, शकरिया, पणिहारी, बागड़िया, रणबाजा, रतवई, मावलिया, होली, नजा, रसिया, शिकारी, लहंगी, चकरी, धाकड़ (endoni, shakariya, panihari, bagadiya, ranbaja, ratvai, mavaliya, holi, naja, rasiya, shikari, lahangi, chakari, dhakad)