ख्याल लोकनाट्य (khyala locknatkiya)

यह ख्याल लोकनाट्य की एक विशिष्ट एवं राजस्थान में सबसे लोकप्रिय विधा है जो 18वीं सदी में विकसित हुई इसकी विषय वस्तु सामाजिक ऐतिहासिक वीर गाथाएं पैरानी या पूरा ख्याल लोकनाट्य न्यू पर आधारित होती है जिसे पदबंध रचनाओं के रूप में अलग-अलग पात्रों द्वारा गायन वादन वह सवाद को सम्मिलित करके लोगों का मनोरंजन किया जाता है
अन्य ख्याल
अली बक्शी ख्याल अलवर मुंडावर ठिकाना
ठपाली ख्याल अलवर
बीकानेरी ख्याल बीकानेर मोतीचंद
किशनगढ़ खयाल किशनगढ़ बंशीधर शर्मा
2.संत चरणदास जी एवं चरणदासी पंथ, संत सहजोबाई, दया बाई, संत मावजी (sant charandas ji avm charandasi panth, sant sahajobai, daya bai, sant mavaji)
रम्मत लोकनाट्य (rammat locknatkiya)
रम्मत का अर्थ खेल होता है , इसे खेलने वाले खेलार ‘ या ‘ रम्मतिये ‘ कहलाते हैं ।
रम्मतिये ऐतिहासिक , पौराणिक व प्रेमाख्यानों को काव्य रचना के रूप में प्रस्तुत करते हैं ।
रम्मतें होली के अवसर पर फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से चतुर्दशी तक खेली जाती हैं । रम्मतें सामान्यतया पुष्करणा ब्राह्मण खेलते हैं । वाद्य यंत्र नगाड़ा व ढोलक प्रयुक्त होते हैं ।रम्मतें जैसलमेर , बीकानेर , पोकरण , फलौदी क्षेत्रों में खेली जाती है । बीकानेर में रम्मत का मंचन पाटों पर होता है , अतः ‘ पाटा संस्कृति ‘ बीकानेर की देन कही जाती है । रम्मत का मूल स्थान जैसलमेर माना जाता है । यहाँ के तेज कवि ने स्वतंत्रता बावनी , मूमल , भर्तृहरि , छेले तम्बोलन आदि रम्मत को लोकप्रिय बनाया । इन्होंने श्रीकृष्ण कम्पनी के नाम से अखाड़ा बनाया तथा ‘ स्वतंत्रता बावनी ‘ ( 1943 ) की रचना कर उसे महात्मा गाँधी को भेंट किया । रम्मत के अन्य रचयिताओं में मनीराम व्यास , तुलसीदास , फागू महाराज , सुआ महाराज प्रमुख हैं । रम्मतों के विषयों में चौमासा , लावणी ( पूजा गीत ) , गणेश वंदना , रामदेवजी के भजन मुख्य हैं ।
रम्मतों में साहित्य एवं कला का पुट पाया जाता है ।
रम्मतों का सर्वाधिक प्रसिद्ध व व्यवस्थित अखाड़ा आचार्यों के चौक बीकानेर का अखाड़ा है
जिसकी ‘ अमरसिंह राठौड़ री रम्मत ‘ प्रसिद्ध है । जवाहर जी पुरोहित की हेड़ाऊ मेरी की रम्मत प्रसिद्ध है ।