एरण दुर्ग (eran durg)
– वह एरण दुर्ग जिसके मार्ग खाई , कांटों तथा पत्थरों इत्यादि से दुर्गम निर्मित हों ।
दुर्ग निर्माण की प्राचीन परम्परा (durg nirman ki prachin parmpra)
दुर्ग निर्माण की परम्परा हमारे प्रदेश में बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है जिसका प्रमाण हमारे धर्म एवं नीतिशास्त्र के ग्रन्थ हैं । जिनमें दुर्ग के रचना शिल्प तथा उनके विविध भेदों का विशद् विवेचन किया गया है । शुक्रनीति के अनुसार राज्य के सात अंग स्वामी ( राजा ) , अमात्य । ( मंत्री ) , सुत् , कोश , राष्ट्र , दुर्ग तथा सेना होते हैं । राज्य को मानव शरीर का रूपक मानते हुए शुक्रनीतिकार ने दुर्ग को शरीर के प्रमुख अंग हाथ की संज्ञा दी है । शक नीतिसार में दर्गा में निम्न 9 प्रकार बताये हैं
1.कुम्भलगढ़ दुर्ग, अरावली पर्वत श्रृंखला (kumbhalagadh durg, araavalee parvat shrankhala)
पारिख दुर्ग (paarikh durg)
जिसके चारों ओर खाई हो ।
पारिध दुर्ग (paaridh durg)
जिसके चारों ओर ईट , पत्थर मिट्टी से बना हुआ परकोटा हो ।
1.राजस्थान के जल दुर्ग, गागरोण दुर्ग, गिरि दुर्ग (rajasthan ke jal durg, gaagaron durg, giree durg)
वन दुर्ग (van durg)
जो चारों ओर से वृक्षों से घिरा हो ।
जल दुर्ग (jal durg)
जिसके चारों ओर जल फैला हुआ हो ।
1.जालौर का दुर्ग, आबू का अचलगढ़ दुर्ग (jaalor ka durg, aabu ka achalagadh durg)
गिरि दुर्ग (giri durg)
जो पहाड़ी पर निर्मित हो ।
सैन्य दुर्ग (senya durg)
जो दुर्ग व्यूह रचना में चतुर वीरों से व्याप्त पर अभेद्य हो ।
1.जयगढ़ दुर्ग, निराला दुर्ग (jayagadh durg, niraala durg)
सहाय दुर्ग (sahaay durg)
जिसमें शूर एवं बान्धव लोग रहते हों । शुक्रनीतिकार के अनुसार पारिख दुर्ग से श्रेष्ठ एरण दुर्ग , उससे थे पारिध दुर्ग , उससे श्रेष्ठ वन दुर्ग , उससे श्रेष्ठ धान्व दुर्ग , उससे श्रेष्ठ जल दुर्ग तथा उससे भी श्रेष्ठ गिरि दुर्ग को माना गया है । लेकिन इन सभी से उत्तम है सैन्य दुर्ग जिस सर्वश्रेष्ठ बताया गया है । कौटिल्य ने चार प्रकार के दुर्गों का उल्लेख किया है
औदक दुर्ग (odak durg)
उदक जल को कहते हैं अतः औदक अर्थ है — जल दुर्ग । अर्थात् जो जल से सुरक्षित व हो तथा जिसके चारों ओर जल हो ।
गागरोण पर्वत दुर्ग (gaagron parvat durg)
जो किसी उच्च गिरि अवस्थित हो । राजस्थान श्रेणी में आते हैं
धान्वन दुर्ग (dhanvan durg)
धन्व संस्कृत में ‘ मरुस्थल ‘ को कहते है । अतः धान्वन दुर्ग वह होता है जो मरुस्थल में बना हो तथा उसके इर्द गिर्द झाड़ झंखाड़ तथा ऊबड़ – खाबड़ भूमि हो । यथा – जैसलमेर का दुर्ग ।
3.प्रिंटर, इम्पैक्ट प्रिंटर, लाइन प्रिंटर, नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर (printer, impact printer, line printer, non impact printer)