रेगिस्तान की अनेक पशु नस्लें (registan ki anek pashu nasle)
(1) ऊंट (unth) –रेगिस्तान की पशु नस्लें – इसके कुबेर में चर्बी का भंडार होने, मोटी चमड़ी ,पाँव गद्देदार होने , तेज दौड़ सकने ,प्यास जल्दी नहीं लगने ,के कारण इसे रेगिस्तान का जहाज कहते हैं भारत में सर्वाधिक रेगिस्तान की पशु नस्लें ऊंट राजस्थान में ही मिलते हैं
– राजस्थान में सर्वाधिक ऊंट बाड़मेर, बीकानेर ,हनुमानगढ़, में मिलते हैं
– राज्य में ऊटों की संख्या लगभग 3.25 लाख हैं
– न्यूनतम ऊट– धौलपुर जिले में पाए जाते हैं
– नाचना (जैसलमेर)
का ऊंट भारत भर में सुंदरता हिम्मत रफ्तार बोझा ढोने में प्रसिद्ध हैं
– गोमठ( फलौदी ,जोधपुर) का ऊंट सवारी की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है
– अन्य नशले — सिंधी ,अलवरी ,एवं कच्छी
– केंद्रीय ऊंट अनुसंधान संस्थान– बांसवाड़ा ,बीकानेर में स्थित हैं |
हमारी बेटी एक्सप्रेस, मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष योजना (mukhyamantri bi.pi.al jivan raksha kosh yojana, hamari beti axpress)
(2) अश्व (घोड़े) ashva (gore)
– भारत में सर्वाधिक अश्व : जम्मू कश्मीर में
– राज्य का देश में स्थान: चौथा
– सर्वाधिक पशुओं वाले जिले: बाड़मेर, जयपुर, जालौर ,आदि
– राज्य में न्यूनतम अश्व :बांसवाड़ा जिले में पाए जाते हैं
रेगिस्तान की पशु नस्लें
(अ) मालाणी
क्षेत्र-सिवाना ,पंचपदरा , गुडामालानी क्षेत्र( बाड़मेर )
“विशेषता” घुडदौड़ के लिए देश में उत्तम
(ब) मारवाड़ी
– मारवाड़। क्षेत्र (जोधपुर संभाग)
” विशेषता ” राजस्थान के अधिकांश अश्व इसी नस्ल के हैं
(स) काठियावाड़ी
-जालौर, उदयपुर ,भीलवाड़ा ,सिरोही ,
“विशेषता “
– घुड़सवारी के लिए सबसे अच्छी नस्ल
– अरबी घोड़े से मिलता सिर
– पशुपालन विभाग मालाणी घोड़े की नस्ल सुधार हेतु अश्व विकास कार्यक्रम चला रहा है
– पशुपालन विभाग के अश्व प्रजनन केंद्र 7 बिलाड़ा ,जोधपुर सिवाना, बाड़मेर, मनोहर थाना, बालवाड़ा, पाली ,जालौर ,चित्तौड़गढ़ ,बाली (पाली )
– बहुउद्देशीय चिकित्सालय -3 उदयपुर ,बीकानेर ,जयपुर ,
– आलम जी का धोरा गुडामालानी के पास बाड़मेर जिले में स्थित है यह स्थान घोड़ा का तीर्थ स्थल के लिए प्रसिद्ध है क्षेत्र-सिवाना ,पंचपदरा , गुडामालानी क्षेत्र( बाड़मेर )
“विशेषता”
घुडदौड़ के लिए देश में उत्तम
(ब) मारवाड़ी
– मारवाड़। क्षेत्र (जोधपुर संभाग)
” विशेषता “ राजस्थान के अधिकांश अश्व इसी नस्ल के हैं
(स) काठियावाड़ी
-जालौर, उदयपुर ,भीलवाड़ा ,सिरोही ,
“विशेषता “
– घुड़सवारी के लिए सबसे अच्छी नस्ल
– अरबी घोड़े से मिलता सिर
– पशुपालन विभाग मालाणी घोड़े की नस्ल सुधार हेतु अश्व विकास कार्यक्रम चला रहा है
– पशुपालन विभाग के अश्व प्रजनन केंद्र 7 बिलाड़ा ,जोधपुर सिवाना, बाड़मेर, मनोहर थाना, बालवाड़ा, पाली ,जालौर ,चित्तौड़गढ़ ,बाली (पाली )
– बहुउद्देशीय चिकित्सालय -3 उदयपुर ,बीकानेर ,जयपुर ,
– आलम जी का धोरा गुडामालानी के पास बाड़मेर जिले में स्थित है यह स्थान घोड़ा का तीर्थ स्थल के लिए प्रसिद्ध है |
जनजाति कल्याण कार्यक्रम (janjati kalyan karyakram)
जननी एक्सप्रेस योजना, मुख्यमंत्री शुभ लक्ष्मी योजना (janani express, mukhyamantri shubh lakshmi yojana)
(3) गधे (gadhe)
– सर्वाधिक : बीकानेर ,बाड़मेर जैसलमेर
– न्यूनतम : ,प्रतापगढ़, टोक दोसा
– देश में सर्वाधिक गधे: उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं
– गधों का प्रयोग भवन निर्माण हेतु माल ढोने के काम में किया जाता है
– जयपुर के निकट लूनियावास (खानिया बन्धा) में गधों का प्रसिद्ध मेला भरता है यहां पर खलकरणी माता का मंदिर स्थित है गधा शीतला माता की सवारी के रूप में पूजनीय है|
मुख्यमंत्री राजश्री योजना (mukhyamantri rajshree yojana)
(4) खच्चर (khachar)
– वर्ष 2012 की पशुगणना में खच्चर को एक अलग पशु माना है यह राजस्थान के सबसे कम संख्या( 3375) वाला पशु है
– सर्वाधिक : हनुमानगढ़ ,अलवर
– सबसे कम : टोक (0) बांसवाड़ा( 1 )
जननी सुरक्षा शिशु योजना (janni suraksha shishu yojana)
(5) सुअर (suar)
– मांस के लिए इनका पालन किया जाता है
– सूअर के बाल चमड़े दांत कई वस्तुएं बनाई जाती हैं
– सर्वाधिक सुअर– जयपुर
– न्यूनतम सूअर: बांसवाड़ा
– राज्य सरकार ने अलवर में विदेशी नस्ल के सूअरों का राजकीय शुकर फॉर्म स्थापित किया है इस फार्म पर लार्ज वाइट यार्क नश्ल के सूअर पाले जाते हैं
– देश में सर्वाधिक सूअर असोप राज्य में मिलते हैं |
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग योजना, मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना (swasthy evm parivar kalyan vibhag yojana, mukhyamantri ni shulk janch)
(5) कुक्कुट (मुर्गी) पालन (kukkut (murgi) palan)
– भारत में सर्वाधिक कुक्कुट : तमिलनाडु ,पश्चिम बंगाल ,आंध्र प्रदेश, राजस्थान, में
– सर्वाधिक : अजमेर ,झुंझुनू उदयपुर ‘बांसवाड़ा ‘राजस्थान में
– न्यूनतम : धौलपुर ,बाड़मेर
– देश में राजस्थान का कुक्कुट पालन में स्थान “18
– उन्नत नस्ल की सर्वाधिक मुर्गियां: अजमेर में
– देसी नस्ल की सर्वाधिक मुर्गियां : बांसवाड़ा में
– राजस्थान की अंडे की टोकरी :अजमेर
– प्रमुख नस्लें
1 देसी : असील , बरसा, टेनी
2 विदेशी: लेगहाँर्न वाइट
– अजमेर में मुर्गी पालन के प्रशिक्षण हेतु राजकीय प्रशिक्षण सन 1988में स्थापित किया गया
है
– राज्य कुक्कुट विकास हेतु एक नया तरीका सिस्टम विकास किया गया है
– तथा अंडा के उत्पादन में भारत का विश्व में पांचवा स्थान आता है
– कुक्कुट रोगों की रोकथाम हेतु राज्य में कोटा अजमेर जोधपुर उदयपुर में रोग निदान व्यवहार विश्लेषण प्रयोगशाला स्थापित की गई है
— डूंगरपुर बांसवाड़ा में बत्तख पालन का आदिवासियों को प्रशिक्षण देने हेतु केंद्रीय किए गए हैं
– कुक्कुट पालन की दृष्टि से बांसवाड़ा में कड़कनाथ योजना चलाई जा रही है |